पूर्णिया : किशोरों की समस्या के लिए ओपीडी सेवा में युवा क्लिनिक का होगा संचालन

पूर्णिया। राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय के मानसिक विभाग अब किशोरों के मनोस्थिति संभालने का फैसला किया

By JagranEdited By: Publish:Mon, 23 Aug 2021 10:27 PM (IST) Updated:Mon, 23 Aug 2021 10:32 PM (IST)
पूर्णिया : किशोरों की समस्या के लिए ओपीडी सेवा में युवा क्लिनिक का होगा संचालन
पूर्णिया : किशोरों की समस्या के लिए ओपीडी सेवा में युवा क्लिनिक का होगा संचालन

पूर्णिया। राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय के मानसिक विभाग अब किशोरों के मनोस्थिति संभालने का फैसला किया है। युवा क्लिनिक संचालित करने की योजना काफी पहले से विभाग के पास मौजूद थी। कोरोना संक्रमण के दौरान स्कूल बंद रहने से किशोरों को खास तौर पर कई मानसिक जटिलताओं से गुजरना पड़ रहा है। मनो चिकित्सक डा. राजेश ने बताया कि ओपीडी सेवा के दौरान बड़ी संख्या किशोर को लेकर उनके परिवार के लोग पहुंच रहे हैं। या फिर किशोर स्वयं ही फोन कर अपनी समस्या का निदान चाहते हैं। बढ़ते फोन काल को देखते हुए अब यह फैसला किया गया है। ओपीडी में अलग से युवा क्लिनिक का भी संचालन होगा। इसमें किशोरों की समस्या सुनी जाएगी और उनकी काउंसलिग होगी। आवश्यकता होने पर दवा दिया जाएगा। प्रखंड स्तर पर भी किशोरों की समस्या को दूर करने के लिए पीएचसी में युवा क्लिनिक संचालित होगा। शहरी पीएचसी पहले से ही काउंसिलिग की सुविधा है। अगर विशेषज्ञ चिकित्सक की आवश्यकता होती है मेडिकल कालेज अस्पताल रेफर कर दिया जाता है।

किशोरों के मानसिक स्थिति पर पड़ा असर -:

युवक और युवतियों को सामाजिक और मानसिक स्तर पर प्रोत्साहित किया जाए। स्कूल खुलने से मानसिक स्थिति में निश्चित रूप से बदलाव होगा। सिविल सर्जन डा. एसके वर्मा ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल के दूसरे दौर के बाद सकारात्मक बदलाव आया है। एक दूसरे से मिलने के साथ ही अभी भी कोरोना के तीसरे की आशंका है। महामारी का प्रभाव सबसे ज्यादा युवा पीढि़यों पर पड़ा है। उनकी दिनचर्या में बदलाव आ गया है। घर पर रहने के कारण अधिक खाना खाने से शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। अकारण चिड़चिड़ा या आक्रामक होना इसमें शामिल है। डा. राजेश ने बताया कि कई किशोरों में ओसीडी (अब्सेसिव कंपलसिव डिसआर्डर) का असर भी दिख रहा है। किशोर अचानक काफी गंभीर हो जाते हैं और बातों को साझा नहीं करते हैं। किशोरों की एकाग्रता में भी कमी आई है। अपने निकट सगे संबंधियों को खोने के बाद समस्या उत्पन्न हो गई है। इनके लिए युवा क्लिनिक मददगार साबित होगा।

किशोरों की समस्या को समझने की दरकार -:

स्कूल और कॉलेज खुल चुके हैं। इससे पहले स्कूली बच्चे कैंपस लाइफ और दोस्तों को मिस कर रहे थे। जिनसे अक्सर वह अपने मन की बातें साझा किया करते थे। किशोरों की समस्याओं को धैर्यपूर्वक समझने की जरूरत है। किशोरों की ऊर्जा को पारिवारिक कार्यक्रम और ऐसी रचनात्मक कार्यों में लगाएं। जिससे वह खुद को अकेलापन महसूस नहीं करें।

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