बैसा और अमौर में बाढ़ से सैकड़ों एकड़ फसल तबाह

पिछले कई दिनों से हो रही लगातार वर्षा को लेकर जिले के कई क्षेत्रों की स्थिति विकराल हो गयी है। प्रखंड क्षेत्र होकर गुजरने वाली कनकई एवं महानंदा नदी उफना गई है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 06:07 PM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 06:07 PM (IST)
बैसा और अमौर में बाढ़ से सैकड़ों एकड़ फसल तबाह
बैसा और अमौर में बाढ़ से सैकड़ों एकड़ फसल तबाह

पूर्णिया। पिछले कई दिनों से हो रही लगातार वर्षा को लेकर जिले के कई क्षेत्रों की स्थिति विकराल हो गयी है। प्रखंड क्षेत्र होकर गुजरने वाली कनकई एवं महानंदा नदी उफना गई है। प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों गांव के घर घर में पानी प्रवेश कर गया है। लोग अपनी जान की हिफाजत में लगे हैं। माल मवेशियों के साथ ऊंचे स्थलों की ओर पलायन को मजबूर हो रहे हैं। एस एच 99 पर बाढ़ प्रभावितों की भीड़ देखी जा रही है। प्रखंड के लगभग दर्जन भर से उपर गांव के लोग बाढ़ से परेशान हैं।

प्रखंड के काशीबाड़ी, हिजली, पोखरया, मठुआ टोली, हरिया, बरडीहा ,मंगलपुर समेत अन्य गांवों में बाढ़ के कारण लोगों के बीच परेशानी का आलम है। मवेशियों का भोज्य पदार्थ बाढ़ के पानी का भेंट चढ़ चुका है। वहीं लोगों के सामने खाने-पीने की समस्या भी धीरे-धीरे उत्पन्न होने लगी है, प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों गांव का प्रखंड मुख्यालय से संपर्क टुट चुका है, कई जगहों पर सड़कें धवस्त हो चुकी है, सिरसी पंचायत के निवर्तमान मुखिया शमशाद आलम ने बताया कि सिरसी, काशीबाड़ी, हीजली, मठुआ टोली, पोखरया, मलहाना, चिलहनी आदि गांव को जोड़ने वाली मुख्य पक्की सड़क काशीबाड़ी गांव के नजदीक धवस्त हो गया है।जिसके कारण इस मार्ग होकर आवागमन पूर्ण रूप से ठप हो गया है।साथ ही साथ किसानों के धान का फसल बर्बाद हो गया है।तथा कई घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है।जिसके कारण लोग घर छोड़कर पलायन कर रहे हैं। वहीं समाज सेवी सह सरपंच प्रत्याशी मौलाना तहमीद आलम, जिला परिषद प्रत्याशी मौलाना शमीम रजा ने बताया कि बाढ़ एवं बरसात ने किसानों के धान के फसल को पूर्ण रुप से बर्बाद कर दिया है। जिसके कारण प्रखंड क्षेत्र के किसान काफी चितित है। वहीं कई गांव के नजदीक भीषण नदी कटाव जारी है। नदी कटाव के चलते दर्जनों परिवार का घर नदी में समां चुका है। एवं नदी कटाव के कारण नदी किनारे स्थित गांव के लोग रतजगा करने पर मजबूर हो गया है। नेपाल में लगातार बारिश का भी दिख रहा असर

संस,अमौर (पूर्णिया) : नेपाल के तराई क्षेत्र में लगातार बारिश होने से अमौर प्रखंड क्षेत्र के सभी नदियों का जलस्तर उफान पर हो गया है। इससे निचले इलाकों में पानी फैल जाने से लोगों में काफी अफरातफरी का माहौल बना हुआ है। जानकारी के अनुसार परमान नदी में जलस्तर बढ़ जाने से कारण केरिया गांव के निचला इलाका में ,मेनापुर, शादीपुर, सोनापुर बाधटोला , आधाग के नीचे का इलाका, गेरिया रसेली, कदगमा ,बिजलया,परसराई, कोचका, पथल कूड़ा सिघिया संथाल टोली, ढरीया पलसा एवं बेलगाछी के नीचे का इलाका पानी फैलने लगा है । जिससे खेतों में लगा धान भी डूब गया है । जिससे किसानों में काफी हताश का माहौल बना हुआ है । कनकेई का जलस्तर बढ़ने से इन गांवों में भरा पानी

वहीं कनकेई नदी के जलस्तर बढ़ जाने के कारण सीमलवाड़ी टोला, बागवाना, हरिपुर, तालबारी टोला, डहुआबाड़ी, खाड़ी टोला, हफनिया, महेश बथना , चौका,गछगरिया, रंगा माटी महादलित टोला,बाभधडोभ, मोदी टोला आदि गांव में पानी घुस जाने से लोग ऊंची जगह जाने के लिए मजबूर है।वही सिमलबारी में प्रधानमंत्री सड़क कट जाने से प्रखंड मुख्यालय से सम्पर्क भंग हो गया है। संस, केनगर (पूर्णिया) : प्रखंड क्षेत्र के किसानो के पास अब कुछ नहीं बचा। उसके हाथ पूरी तरह से खाली हो गया है। ज्ञात हो कि इस क्षेत्र के किसान मक्का की फसल बेचकर धान और आलू की खेती करते हैं। फिर धान बेचकर मक्का की खेती कर लेते हैं। आलू के बाद मक्का और गेहूं की होती है खेती

किसान आलू निकालने के बाद उस खेत में मक्का या गेहूं लगा देते हैं। साल भर की खेती के इस चक्र से क्षेत्र के किसान जीवन- जिविका के साथ बच्चों की पढ़ाई तथा बैंक या महाजनों के कर्ज की भी थोड़ी बहुत अदायगी कर देते थे। बता दें कि इस क्षेत्र के किसान अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह से लेकर माह के अन्त तक पहले आलू की रोपाई तथा उसके बाद धान की कटाई करते हैं। किसान आलू की रोपाई समाप्त कर धान कटाई में जूट गए थे। अधिकांश किसान धान कटाई कर उसे सुखने के लिए खेतों में छोड़ दिया था। बिते रविवार से बुधवार तक लगातार हुई बारिश ने किसानो के अरमानो पर पानी फेर दिया। बारिश ने ऐसी तबाही मचाई कि रोपे गए आलू के खेत एवं सुखने के लिए खेत में पड़े धान को पूरी तरह से डूबा दिया। खेतों में भर गया है पानी

खेतों में इतना पानी भरा हुआ है कि सड़ने से न तो आलू बच सकता है और न हीं धान। कुल मिलाकर किसान पूरी तरह से खाली हो गया है। अब उसकी नजर सरकार पर टिकी हुई है। प्राणपट्टी गांव के किसान चन्द्र किशोर मेहता, रणविजय मेहता, रामनगर गांव के किसान सुजीत यादव, राजेश्वर यादव, गोकुलपुर गांव के किसान विजय मेहता, प्रकाश मेहता, अजय मेहता, जगनी गांव के किसान बबलू मेहता, अरूण मेहता आदि बारिश से हुई फसल बर्वादी का दुख बयां करते हुए बताते हैं कि सरकार अगर बैंक से लिए गए कर्ज को माफ तथा फसल क्षति का उचित मुआवजा देती है तो किसानो की हालत सुधर सकती है।

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