पनामा बीमारी और तेज बारिश के कारण केले की फसल बर्बाद

पूर्णिया धमदाहा अनुमंडल केले की खेती के लिए प्रदेश में मशहूर है। यहां के 70 प्रतिशत

By JagranEdited By: Publish:Thu, 01 Oct 2020 05:40 PM (IST) Updated:Fri, 02 Oct 2020 12:08 AM (IST)
पनामा बीमारी और तेज बारिश के कारण केले की फसल बर्बाद
पनामा बीमारी और तेज बारिश के कारण केले की फसल बर्बाद

पूर्णिया : धमदाहा अनुमंडल केले की खेती के लिए प्रदेश में मशहूर है। यहां के 70 प्रतिशत किसान केले की खेती पर निर्भर है। विदित हो कि केला नकदी फसल है और इसमें किसानों के अन्य फसलों की अपेक्षा अधिक आर्थिक लाभ होता है। यही कारण है कि इस क्षेत्र के केले की खेती करने वाले किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। लेकिन विगत चार-पांच वर्षों से केले की फसल में बड़े पैमाने पर पनामा बीमारी का प्रकोप हो गया है। पनामा बीमारी के प्रकोप के कारण केले के पौधे सड़ कर बर्बाद हो जाता है। पनामा बीमारी के कारण 50 से 60 फीसद फसलों का नुकसान हो रहा है। किसानों का कहना है कि पनामा बीमारी से सुरक्षा हेतु महंगी दवाई का प्रयोग करने के बाद भी मुक्ति व छुटकारा नहीं मिल रही है। इसलिए धमदाहा अनुमंडल ने केले की खेती कम हो गई है। यही कारण है कि किसान केले की खेती से विमुख हो रहे। क्योंकि बीमारी के कारण लागत मूल्य किसानों को प्राप्त नहीं हो रहा है। किसानों का कहना कि यदि पनामा बीमारी का प्रकोप इसी तरह रहा तो अगले एक-दो वर्ष में धमदाहा अनुमंडल में केले की फसल देखने को नहीं मिलेगी। वहीं दूसरी ओर किसानों की शिकायत है कि सरकार भी पनामा बीमारी के उन्मूलन हेतु कुछ नहीं कर रही है। किसानों का कहना है कि 1 एकड़ केले की खेती में एक लाख से अधिक की लागत आती है। पनामा बीमारी एवं लगातार महीनों से हो रही भारी बारिश के कारण केले की फसल बड़े पैमाने पर बर्बाद हो गई है। इस कारण किसानों को लागत मूल्य ऊपर नहीं हो रहा है। जबकि किसानों ने कर्ज लेकर खेती की है। किसानों का कहना है कि केले की जो फसल बची है उसकी वाजिब कीमत किसानों को नहीं मिल रही है। वहीं दूसरी ओर केले का व्यापारी नहीं होने के कारण केला खेत में पक कर बर्बाद हो रहा है। किसानों ने सरकार से किसान एवं केले की हित में जल्द से जल्द पनामा बीमारी के उन्मूलन हेतु दवा निकालने की मांग की है ताकि किसान केले की खेती प्रत्यय है और उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होती रहे।

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