ऑन लाइन शिक्षा साधारण नहीं है ग्रामीण क्षेत्रों में

कोरोना काल में जिस प्रकार मजबूरी में ऑनलाइन शिक्षा की ओर बढ़ रहे हैं यह साधारण प्रतीत नहीं हो रहा है। इसमें एक ओर काफी परेशानियां हैं दूसरी ओर इंटरनेट के गलत इस्तेमाल से छोटे-छोटे बचे भटक भी सकते हैं। उक्त बातें यहां के शिक्षाविद सह रिटायर्ड शिक्षक उपेंद्र जायसवाल ने कही। उन्होंने चिता व्यक्त करते हुए कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना ने ना सिर्फ दुनिया को आर्थिक रूप से कमजोर किया है बल्कि विकास का सबसे बडा आधार शिक्षा को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है ।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 Aug 2020 06:51 PM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 06:51 PM (IST)
ऑन लाइन शिक्षा साधारण नहीं है ग्रामीण क्षेत्रों में
ऑन लाइन शिक्षा साधारण नहीं है ग्रामीण क्षेत्रों में

संस, रूपौली (पूर्णिया)। कोरोना काल में जिस प्रकार मजबूरी में ऑनलाइन शिक्षा की ओर बढ़ रहे हैं, यह साधारण प्रतीत नहीं हो रहा है। इसमें एक ओर काफी परेशानियां हैं, दूसरी ओर इंटरनेट के गलत इस्तेमाल से छोटे-छोटे बच्चे भटक भी सकते हैं। उक्त बातें यहां के शिक्षाविद सह रिटायर्ड शिक्षक उपेंद्र जायसवाल ने कही। उन्होंने चिता व्यक्त करते हुए कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना ने ना सिर्फ दुनिया को आर्थिक रूप से कमजोर किया है, बल्कि विकास का सबसे बडा आधार शिक्षा को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है । इसका असर इस प्रकार हुआ है कि यहां के बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से ठप्प-सी पड़ गयी है । सरकार यहां ऑनलाइन पढ़ाई को बढ़ावा दे रही है, परंतु इसमें काफी कठिनाई दिखाई पड़ रही है । खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जान के अभिभावक ज्यादा पढे़-लिखे नहीं हैं, उनके सामने तो यह अंधकार जैसा है । साथ ही वे इतने आर्थिक रूप से कमजोर हैं कि सभी बच्चों को मंहगा मोबाइल या लैपटॉप नहीं दिया जा सकता है । अगर दिया भी जाए तो इसका बुरा प्रभाव भी बच्चों के स्वास्थ्य एवं संस्कार पर पड़ सकता है । यहां शिक्षा की इसतरह से दुर्गति है कि अगर सरकार सितंबर माह से सोशल डिस्टेंसिग के साथ विद्यालयों को संचालित भी कराती है, तब फिर यहां संसाधन का काफी अभाव है । यहां ना तो प्रर्याप्त भवन है और ना ही बेंच-डेस्क। इस परिस्थिति में विद्यालयों का संचालन किस प्रकार सरकार करवाएगी, यह समझ से परे है। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह इस महामारी में एक ठोस निर्णय ले तथा खासकर ग्रामीण क्षेत्रों को ध्यान में रखकर शिक्षा नीति बनाए, ताकि इस तरह की महामारी के समय किस प्रकार शिक्षा को निर्वाध रूप से चलाया जा सके।

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