टीबी रोगी की पहचान और उपचार के लिए चलेगा अभियान

राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत टीबी मरीजों की पहचान और उपचार के लिए विशेष जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। टीबी दिवस तक यह अभियान चलेगा। जागरूकता अभियान का संचालन केनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 13 Mar 2021 08:04 PM (IST) Updated:Sat, 13 Mar 2021 08:05 PM (IST)
टीबी रोगी की पहचान और उपचार के लिए चलेगा अभियान
टीबी रोगी की पहचान और उपचार के लिए चलेगा अभियान

पूर्णिया। राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत टीबी मरीजों की पहचान और उपचार के लिए विशेष जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। टीबी दिवस तक यह अभियान चलेगा। जागरूकता अभियान का संचालन केनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में किया गया। मौके पर टीबी रोग के प्रति आगाह करते हुए इससे बचाव से संबंधित उपाय व उपचार के लिए उपलब्ध इंतजाम की जानकारी दी गई। इस दौरान आइसीडीएस और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मी मौके पर उपस्थित थे।

वक्ताओं ने कहा कि यह एक संक्रामक बीमारी है। उचित पोषण नहीं होने से यह बीमारी जल्दी संक्रमित करता है। यह कुपोषित व्यक्तियों या बच्चों में सबसे ज्यादा मिल रहा है। इसके लिए पर्याप्त जागरूकता बहुत जरूरी है। सरकार दवा सहित टीबी जांच निशुल्क सभी सरकारी अस्पताल में उपलब्ध कराती है। टीबी रोगियों के साथ सबसे बड़ी समस्या है कि उसकी पहचान दर काफी कम है। टीबी रोग उन्मूलन की दिशा में रोग पहचान में कमी बहुत बड़ी समस्या है। इसके लिए लोगों के बीच जागरूकता जरूरी है। सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कर्मियों और एसटीएस के माध्यम से खोजी अभियान में तेजी लाना बेहद जरूरी है। इससे टीबी के मरीजों की जल्द से जल्द पहचान की जा सकती है। इसके साथ ही सामुदायिक स्तर पर अन्य गतिविधियों में भी सहयोग किया जाना सुनिश्चित किया गया है। स्थानीय स्तर पर आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका सहित स्वास्थ्य विभाग और सहयोगी संस्थाओं के कर्मियों का सहयोग लिया जा रहा है।

प्रोत्साहन राशि से पहचान दर में होगी बढ़ोत्तरी -:

समन्वयक राजेश शर्मा ने बताया कि टीबी के मरीजों को निश्चय पोषण योजना के तहत डीबीटी के माध्यम से प्रति माह 500 रुपये के पोषाहार के रूप में राशि दी जाती है। टीबी मरीजों के नोटीफाइड करने पर निजी चिकित्सकों को 500 रुपये और उस मरीज को पूरी तरह से ठीक हो जाने के बाद भी निजी चिकित्सकों को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। एमडीआर के मरीज के ठीक होने पर 5000 रुपये की प्रोत्साहन दी जाती है। अगर कोई आम व्यक्ति भी किसी मरीज को सरकारी अस्पताल में लेकर आता है और उस व्यक्ति में टीबी की पुष्टि होती है तो लाने वाले व्यक्ति को भी 500 रुपये देने का प्रावधान है। विशेष अभियान के तहत वैसे गांव, टोला और बस्ती को चिह्नित करना है जहां टीबी के मरीजों की संख्या ज्यादा हैं। इन गांवों में विशेष शिविर का आयोजन कर टीबी संक्रमण जैसे लक्षण वाले लोगों की बलगम जांच कराने की जरूरत है।

लक्षण की पहचान जरूरी -:

डब्ल्यूएचओ के जोनल समन्वयक डॉ. दिलीप कुमार झा ने बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है। सामूहिक रूप से भागीदारी होने के बाद इसे जड़ से मिटाया जा सकता है। किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक समय तक लगातार खांसी की शिकायत हो तो उन्हें तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर अपने बलगम की जांच करा लेनी चाहिए। बलगम के साथ खून आना या नहीं आना, शाम के समय बुखार आना, भूख कम लगना, शरीर का वजन कम होना, सीने में दर्द की शिकायत, रात में पसीना आना टीबी रोग से जुड़े लक्षण हो सकते हैं। टीबी संक्रमण की पुष्टि होने पर पूरे कोर्स की दवा रोगी को मुफ्त उपलब्ध करायी जाती है। जांच से इलाज की पूरी प्रक्रिया नि:शुल्क है।

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