राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों के सर्वांगीण विकास पर किया गया है फोकस: कुलपति

भारतीय शिक्षण मंडल नीति आयोग एवं पूर्णिया विश्वविद्यालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में शिक्षकों की भूमिका विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 09:48 PM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 09:48 PM (IST)
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों के सर्वांगीण विकास पर किया गया है फोकस: कुलपति
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों के सर्वांगीण विकास पर किया गया है फोकस: कुलपति

पूर्णिया। भारतीय शिक्षण मंडल, नीति आयोग एवं पूर्णिया विश्वविद्यालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में शिक्षकों की भूमिका विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।

इसका आरंभ भारतीय शिक्षण मंडल, पूर्णिया के राजेश कुमार सिंह द्वारा मंगलाचरण से हुआ। इसके बाद पूर्णिया विश्वविद्यालय की ओर से वर्षा रानी ने आभासी वेबीनार में आगत अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। नोडल पदाधिकारी प्रो. गौरी कान्त झा ने आगत अतिथियों का परिचय एवं कार्यक्रम की झलक की प्रस्तुति दी। भारतीय शिक्षण मंडल के उत्तर बिहार के प्रांत संपर्क सुनील कुमार ने भारतीय शिक्षण मंडल का संक्षिप्त परिचय देते हुए विषय प्रवेश से अवगत कराया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय सह-संगठन मंत्री शंकरानंद उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि शिक्षक सामाजिक उन्नति के पुरोधा है। भारतीय शिक्षण मंडल सन 1969 से अद्यावधि राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय शिक्षा नीति को स्थापित करने के लिए प्रयासरत रहा है। शिक्षा में भारतीयता लाने के लिए उन्होंने तीन स्तर पर विचार करने की आवश्यकता जताई। कहा कि किसी भी शिक्षा नीति के संचालन में शिक्षकों एवं अभिभावकों की भूमिका को नहीं भुलाया जा सकता है। कोठारी कमीशन से लेकर अब तक भारतीय शिक्षण पद्धति पर चर्चा होती रही है। वर्तमान के राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुपालन पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाना है। परमात्मा ने मनुष्य को दो विकल्प दिए हैं। कर्म स्वातं‌र्त्य एवं कल्पना स्वातं‌र्त्य। इन्हीं दो विकल्पों से समाज का विकास व विनाश होता रहा है। शिक्षा में दोनों का समावेश होना चाहिए। उन्होनें विद्वतजनों का आह्वान करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदा को प्रथम पृष्ठ से अंतिम पृष्ठ तक पढ़ने की आवश्यकता है। समाज में इसके अनुकूल कार्य करने के लिए हमें तैयार होना होगा। शिक्षा पद्धति में आमूल परिवर्तन करने की आवश्यकता है। छात्र-छात्राओं को मार्गदर्शन की आवश्यकता है। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुकूल वैश्विक शिक्षा नीति के आवश्यकता पर बल दिया। यह एक समग्र शिक्षा नीति है

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अपने अध्यक्षीय भाषण में पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज नाथ यादव ने कहा कि भारतीय शिक्षण मंडल के प्रयत्न एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए आवश्यक है कि शिक्षकों की भूमिका का यथोचित मूल्याकंन हो। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुशंसाओं पर विद्वानों के बीच विचार-मंथन होता रहेगा। शिक्षकों को शिल्पकार की भूमिका में अपने को प्रस्तुत करने के लिए तैयार होना होगा। यह एक समग्र शिक्षा नीति है। इसे भारतीय संस्कृति को सामने रखकर बनाया गया है। इसमें छात्रों की सर्वांगीण विकास की बात कही गई है। इस शिक्षा नीति में विद्यार्थियों के लिए सामान्य जानकारी के साथ-साथ कौशल विकास का भी ध्यान रखा गया है। हमें एक संपूर्ण विद्यार्थियों को तैयार करना है। उन्हें कैसे पढ़ाएं- क्या पढ़ाए- इसपर समग्र विचार करने की आवश्यकता है।

वेबिनार में पूर्णिया विश्वविद्यालय क्षेत्रान्तर्गत स्नातकोत्तर विभाग के विभागाध्यक्ष, शिक्षक, अंगीभूत एवं संबद्ध महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य एवं शिक्षक, शोधार्थीगण के अतिरिक्त सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में नोडल पदाधिकारी प्रो. गौरी कांत झा ने आभार प्रकट किया। वेबिनार के सफल संचालन में वर्षा रानी एवं सूरज कुमार का सहयोग प्रशंसनीय रहा।

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