1934 में भूकंप पीड़ितों की सहायता के लिए बापू पहुंचे थे रानीपतरा

पूर्णिया। प्रखंड के रानीपतरा स्थित सर्वोदय आश्रम की जमीन पर जब गांधी जी के पैर पड़े थे तो

By JagranEdited By: Publish:Thu, 01 Oct 2020 06:14 PM (IST) Updated:Thu, 01 Oct 2020 06:14 PM (IST)
1934 में भूकंप पीड़ितों की सहायता के लिए बापू पहुंचे थे रानीपतरा
1934 में भूकंप पीड़ितों की सहायता के लिए बापू पहुंचे थे रानीपतरा

पूर्णिया। प्रखंड के रानीपतरा स्थित सर्वोदय आश्रम की जमीन पर जब गांधी जी के पैर पड़े थे, तो लोगों को लगा था कि अब इस क्षेत्र के दिन बहुरेंगे। कई महापुरुषों ने इसको लेकर बड़े-बड़े प्रयास भी किए इस क्षेत्र को संवारने और सजाने का भी काम किया। लेकिन आज बापू के सपने फिर मिट्टी में मिलते दिखाई दे रहे हैं। हालांकि जिला प्रशासन की पहल पर इसे गांधी सर्किट से जोड़ने का भी प्रयास किया गया है लेकिन अब तक इस ओर कोई खास कार्यकलाप दिखाई नहीं दे रहा है। जब भी बापू के जन्मदिवस का मौका आता है तो लोगों के जेहन में एक ही सवाल आता है की क्या बापू के चरखों में उलझ कर रह गए हैं इस सर्वोदय आश्रम के समस्याओं के धागे। बताते चलें कि 9 अप्रैल 1934 में भूकंप पीड़ितों की सहायता के लिए नेपाल से लौटने के क्रम में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चरण रानीपतरा में पड़े थे। और यहां भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए एक बड़ी जनसभा को संबोधित भी किया था। जिस स्थान पर उन्होंने लोगों को संबोधित किया उसी जगह बिहार के गांधी कहे जाने वाले सर्वोदयी नेता स्व. वैद्यनाथ चौधरी द्वारा सर्वोदय आश्रम की स्थापना 12 जून 1952 को की गई। स्वरोजगार और स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए यहां अन्य कार्यों के अलावा खादी तैयार करने के लिए चरखा और करघा उद्योग लगाया गया। यहां की तैयार खादी वस्त्र दूर-दूर तक जाती थी। गुटबंदी के कारण 2005 में खादी कमीशन द्वारा अनुदान देना बंद कर दिया गया और चरखा बंद हो गया। बापू के चरखों में उलझे समस्याओं के धागे के कारण पूर्णिया प्रमंडल में संचालित 28 खादी बिक्री केंद्रों में से अब तीन ही संचालित हैं। सर्वोदय आश्रम बदहाली का दंश झेल रहा है। कटिहार जाने के क्रम में बापू जिस जगह रूके आश्रम के अंदर आज भी उस जगह पर बापू की प्रतिमा सहित गांधी चबूतरा मौजूद है। संस्थापक स्व. बैद्यनाथ प्रसाद चौधरी एवं उनके प्रमुख सहयोगी स्व. कमलदेव नारायण सिंह, स्व. नरसिंह नारायण सिंह, स्व. अनिरूद्ध प्रसाद सिंह, स्व. बिदेश्वरी प्रसाद सिंह, स्व. गुलाब चंद साह, स्व. रामाचरण सिंह, स्व.रामेश्वर ठाकुर, स्व. भृगुनाथ सिंह जैसे नेताओं ने इस आश्रम को राष्ट्रीय स्तर पर ला खड़ा किया। लगभग 15 एकड़ जमीन में फैले इस आश्रम की दरों दीवार इसकी भव्यता के गवाह हैं। इस आश्रम में भूदान के प्रर्वतक आचार्य विनोबा भावे, लोकनायक जयप्रकाश नारायण जैसी विभूतियों ने महीनों रह कर सर्वोदय और भूदान का अलख जगाया। वहीं इस आश्रम द्वारा अनेक रचनात्मक कार्यों का संपादन किया जाता रहा जिसमें भूदान, ग्रामदान, प्रौढ़-शिक्षा, बालबाड़ी, शिक्षण-प्रशिक्षण, पुस्तकालय-वाचनालय, खादी-ग्रामोद्योग, नशाबंदी-कार्यक्रम, कृषि-गोपालन आदि प्रमुख थे। इस माध्यम से सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी चलती थी। इस आश्रम के अंदर ही सैकड़ों-परिवार निवास करते थे जिन्हें सर्वोदय विचारधारा के अंतर्गत रहना और जीना सिखाया जाता था। इस आश्रम के लोग गांधीवादी-विचारों ओत-प्रोत थे। मगर स्व. बैद्यनाथ चौधरी एवं उनके प्रमुख सहभागियों के स्वर्ग सिधारने के पश्चात यह संस्था मूल भावनाओं से भटकने लगा। आज स्थिति यह है कि इसका सारा काम बंद पड़ा है। सिर्फ खादी ग्रामोद्योग चल रहा है लेकिन उसकी भी स्थिति ठीक नहीं है। कभी यह पूर्णिया प्रमंडल के 28 खादी बिक्री केंद्रों का प्रमुख आश्रम था। आज यह केंद्र सिर्फ भवानीपुर, कटिहार, और ठाकुरगंज में सांसें ले रहा है। प्रबंध-परिषद में व्याप्त गुटबाजी के कारण पिछले दिनों इसमें दो कमिटियां बन गई और आपसी खींचतान के कारण आश्रम को काफी नुकसान पहुंचा है।

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