नवजात व बच्चों के लिए सांस बनी आस, स्वास्थ्य विभाग पहल
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जागरण संवाददाता,पूर्णिया: बदलते मौसम का सबसे अधिक असर नवजात और छोटे बच्चों पर पड़ता है। निमोनिया जैसी बीमारी होने का खतरा रहता है जिसमें लापरवाही होने पर जानलेवा भी हो सकता है। जिले में निमोनिया प्रबंधन के लिए सांस (सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन प्लान टू नयूट्रीलाइज निमोनिया सक्सेसफुली) कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की ओर से सामाजिक स्तर पर जागरूकता लाने के उद्देश्य से सांस कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है। स्वास्थ्य केंद्रों में निमोनिया जैसी बीमारी से बचाव के लिए प्रबंधन को सु²ढ़ करना है। इसको लेकर बिहार के 14 जिलों में सांस कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसको लेकर फ्रंट लाइन वर्कर्स को प्रशिक्षित भी किया जा चुका है। प्रशिक्षण के दौरान उनलोगों को यह बताया गया है कि निमोनिया बीमारी की पूर्व में ही पहचान कैसे हो सकती है। इससे निमोनिया जैसी बीमारी पर प्रभावी रूप से नियंत्रण के साथ ही सफलता मिल सकती हैं। निमोनिया जैसी बीमारी की शिकायत अक्सर एक वर्ष से कम उम्र के नवजात शिशुओं को सबसे ज्यादा होती है। शिशुओं की देखभाल के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान दिया जाए तो नवजात बच्चों को निमोनिया से बचाया जा सकता है। बदलते मौसम का होता है असर बदलते मौसम की शुरुआत के बाद नवजात शिशुओं में निमोनिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। नवजात शिशुओं में निमोनिया का संक्रमण होने की आशंका रहती है। निमोनिया को लेकर अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। पांच वर्ष तक के बच्चों में निमोनिया मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। निमोनिया जैसी घातक बीमारी को लेकर प्रभावी नियंत्रण बहुत ही जरूरी है। नवजात शिशुओं में निमोनिया होने के कई कारण होते हैं। ग्रामीण इलाकों में लोग मच्छर भगाने के लिए घर में धुआं या मच्छर को भगाने के लिए अगरबत्ती का प्रयोग किया जाता है। जो कि यह सबसे ज्यादा खतरनाक साबित भी होता है। ठंड के मौसम में नवजात शिशुओं को गर्मी देने के लिए आग का सहारा भी लिया जाता है। इससे धुआं काफी फैलता है जो बच्चों में निमोनिया का कारण भी बनता है। सिविल सर्जन डा. एसके वर्मा ने बताया कि नवजात शिशुओं में निमोनिया जैसी बीमारियों से बचाने के लिए पीसीवी का टीका दिया जाता है। पेंटावेलेंट एवं मीजिल्स का भी टीका निमोनिया रोकथाम में मददगार साबित होता है।