एआरटी सेंटर में 700 से अधिक एड्स रोगियों का चल रहा है उपचार

जागरण संवाददाता पूर्णिया विश्व एड्स दिवस पर जागरूकता को लेकर जीएमसीएच अस्पताल परिसर स्थित

By JagranEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 11:35 PM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 11:35 PM (IST)
एआरटी सेंटर में 700 से अधिक एड्स रोगियों का चल रहा है उपचार
एआरटी सेंटर में 700 से अधिक एड्स रोगियों का चल रहा है उपचार

जागरण संवाददाता, पूर्णिया: विश्व एड्स दिवस पर जागरूकता को लेकर जीएमसीएच अस्पताल परिसर स्थित प्रतिरक्षण सभागार में बुधवार को बैठक का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता सिविल सर्जन की। बैठक में स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे। सीएस ने सभी स्वास्थ्य कर्मियों को एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने और उन्हें उचित सलाह देने की अपील की।

बैठक में जानकारी दी गई कि जीएमसीएच अस्पताल परिसर में एआरटी सेंटर संचालित है जिसमें वर्तमान में 700 से अधिक रोगी का उपचार किया जा रहा है। एआरटी सेंटर में मरीजों की रोग पुष्टि के बाद उपचार और दवा प्रदान किया जाता है। सिविल सर्जन डा. वर्मा ने बताया कि एड्स के इलाज के लिए जिले में संचालित एआरटी सेंटर में आसपास के पांच जिलों के एड्स पीड़ित व्यक्तियों का इलाज किया जा रहा है। बैठक में सीएस के अलावा डीपीएम ब्रजेश कुमार सिंह, सीडीओ डा. मो. सब्बीर, जिला मलेरिया पदाधिकारी डा. आरपी मंडल, डीआईओ डा. विनय मोहन, एआरटी प्रभारी पदाधिकारी डा. सुभाष कुमार, आहना एफओ गौतम कुमार, प्रभारी जिला आईटीसीटी पर्यवेक्षक बीएन प्रसाद आदि मौजूद थे।

व्यापक जागरूकता है जरूरी -:

सीएस ने कहा कि एड्स संक्रमित व्यक्ति का खून लेने से, संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग की गई सूई का दोबारा इस्तेमाल करने या संक्रमित माता पिता से होने वाले बच्चे भी एचआईवी संक्रमित हो सकते हैं। लोगों को इसके प्रति जागरूक होना आवश्यक है। इसके लिए सभी लोगों को बिना कंडोम के असुरक्षित यौन संबंध नहीं बनाने की सलाह दी गई। कहा इस जानलेवा बीमारी का सबसे मुख्य वजह यही है। सभी गर्भवती महिलाओं को प्रसव के पहले एक बार एचआईवी जांच जरूर करवाना चाहिए ताकि अगर महिला संक्रमित पाई जाए तो होने वाले बच्चे को एड्स से सुरक्षित रखा जा सके। अधिक से लोगों को किया जा रहा है जागरूक

सीएस ने बताया कि एड्स के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है। कहा कि असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सुई का प्रयोग, संक्रमित रक्त चढ़ाने से यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे को पहुंचता है। एचआइवी संक्रमण से रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है। जिस कारण गर्भवती महिलाओं के नवजात शिशुओं को भी एचआईवी संक्रमण होने का खतरा रहता है। जन्मजात शिशुओं के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को पूरी तरह खत्म कर देता है। पीड़ित अन्य घातक बीमारियों जैसे टीबी, कैंसर व अन्य संक्रामक बीमारियों से प्रभावित हो जाता है।

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