जीएमसीएच में कंपोनेंट्स सेपरेटर यूनिट को मिला लाइसेंस, अब मरीजों को मिलेगा लाभ
जागरण संवाददाता पूर्णिया लंबे इंतजार के बाद अब राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय परिसर स्थित सरका
जागरण संवाददाता, पूर्णिया: लंबे इंतजार के बाद अब राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय परिसर स्थित सरकारी ब्लड बैंक में कंपोनेंट्स सेपरेटर संचालन का कानूनी बाधा खत्म हो गया है। दिल्ली से यूनिट प्रारंभ करने के लिए लाइसेंस निर्गत कर दिया गया है। अब जल्द ही जरूरतमंद रोगी को इसका लाभ मिलने लगेगा।
ब्लड बैंक में मशीन का इंस्टालेशन पहले ही हो चुका है। लाइसेंस की प्रक्रिया चल रही थी जिसको मंजूरी मिल चुकी है। यूनिट संचालन होने से मरीजों को सुविधा होगी। इसके लिए जिले के बाहर जाना होता था। अभी एक यूनिट रक्त दान करने पर एक ही व्यक्ति को चढ़ाया जाता है। कंपोनेंट्स सेपरेटर मशीन का संचालन होने से अब चार लोगों की जान बच सकती है। रक्तदाता का वजन अगर साठ किलो है तो साढ़े चार सौ एमएल रक्त लिया जाएगा। इसको प्लाज्मा, पीआरबीसी, प्लेटलेट्स और क्रायोप्रिसिपीटेड अलग -अलग चार -चार मरीजों की जान बच सकती है।
थैलेसीमिया व डेंगू मरीजों को भी मिलेगा लाभ कई तरह की मशीन कंपोनेंट्स सेपरेटर के साथ लगी होती है। कंपोनेंट्स आफ प्रेशर मशीन का संचालन होत ही रक्त की उपयोगिता चार गुणा होगी। डेंगू, बर्न और एचआईवी पीड़ित मरीजों को भी सुविधा होगा। दरअसल थैलेसीमिया से पीड़ितों बच्चों को आरबीसी की जरूरत होती है। ब्लड से आरबीसी अलग कर ऐसे मरीजों को चढ़ाया जा सकता है। प्लेटलेट से कमी का सामना कर रहे मरीजों को भी मिलेगा लाभ
थैलेसीमिया मरीजों को लाल रक्त कणिकाएं (आरबीसी) की आवश्यकता होती है। रक्त से आरबीसी अलग कर थैलेसीमिया के मरीजों को चढ़ाया जा सकता है। डेंगू मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाया जा सकता है। विभिन्न बीमारियों में जिन मरीजों में पर्याप्त प्लेटलेट्स नहीं है या नहीं बन रहा है उनको भी लाभ हो सकता है। बर्न मरीजों को भी प्लाज्मा की आवश्यकता होती है। ब्लड बैंक में ही प्लाज्मा और फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा को अलग कर चढ़ाया जा सकता है। एड्स के मरीजों को डब्ल्यूबीसी की आवश्यकता होती है। यह मशीन खून से श्वेत रक्त कणिका को अलग करने में भी काम आ सकता है। सिविल सर्जन डा. एसके वर्मा ने बताया कि यूनिट संचालन के लिए लाइसेंस जारी कर दिया गया है। सभी मशीनों का इंस्टालेशन का कार्य भी पूर्ण हो चुका है। कई बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए यह यूनिट वरदान साबित होगा जिसको पहले अन्य बड़े संस्थान में रेफर करना पड़ता था। जल्द ही इसकी सुविधा मरीजों के लिए प्रारंभ होगी।