टीबी मरीजों के दवा खुराक पर विभाग आनलाइन रखेगा नजर

पूर्णिया। जीत (ज्वाइंट एफर्ट फार एलिमिनेशन आफ टीबी प्रोजेक्ट) कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में ट

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 07:13 PM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 07:13 PM (IST)
टीबी मरीजों के दवा खुराक पर विभाग आनलाइन रखेगा नजर
टीबी मरीजों के दवा खुराक पर विभाग आनलाइन रखेगा नजर

पूर्णिया। जीत (ज्वाइंट एफर्ट फार एलिमिनेशन आफ टीबी प्रोजेक्ट) कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में टीबी रोगियों की खुराक पर नजर रखने के लिए मर्म बाक्स वितरित किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य 2025 घोषित किया है। प्रारंभिक चरण में सूबे के पूर्णिया और मोतिहारी जिले में कार्यक्रम का संचालन हो रहा है। मेडिकेशन इवेंट एंड मानिटर रिमाइंडर ( मर्म) बाक्स के माध्यम से टीबी मरीजों को दवा की खुराक पर नजर रखी जाएगी। यह रोगी को दवा की याद दिलाने में मददगार साबित होगा। यक्ष्मा विभाग के जिला संचारी रोग पदाधिकारी डा. मो. साबिर ने बताया कि मरीजों को मर्म बाक्स का वितरण किया जा रहा है। डा. साबिर ने बताया कि यक्ष्मा एक प्रकार की बहुत पुरानी और जटिल रोग है। इसका इलाज भी संभव है। मरीज में एक बार रोग पहचान के बाद वह नियमित दवा का सेवन करें। इस कार्य में अब मर्म बाक्स उनकी मदद करेगा। डाट्स (डायरेक्ट आब्जर्वेशन ट्रीटमेंट) के माध्यम से दवा खिलाने वाले स्वास्थ्य कर्मी प्रत्यक्ष रूप से रोगी के खुराक की निगरानी करेंगे।

कैसे मददगार साबित होगा मर्म टीबी के मरीज नियमित रूप से दवा लें। इसके लिए यक्ष्मा केंद्र जीत कार्यक्रम के सहयोग से अब एक नई तकनीक का सहारा ले रहा है। टीबी मरीजों को मेडिकेशन इवेंट एंड मानिटर रिमाइंडर (मर्म) बाक्स दिया जा रहा है। इसमें दवाओं की खुराक रहती है और जिसमें एक चिप भी लगी रहती है। मरीज इसमें से जैसे ही दवा लेता है विभाग को इसकी जानकारी मिल जाती है। अबतक 210 टीबी रोगी को मर्म बाक्स प्रदान किया गया है। टीबी रोगी पीएचसी से दवा लेते हैं लेकिन इसका नियमित सेवन नहीं करते हैं। इस कारण बीमारी तो ठीक नहीं होती है साथ ही संक्रमण फैलने की आशंका भी रहती है। हरा, पीला व लाल रंग वाली बत्ती से मिलेगा सहयोग

जीत कार्यक्रम के जिला समन्वयक अभय श्रीवास्तव ने बताया कि मर्म बाक्स एक तरह का इलेक्ट्रानिक उपकरण है। इस बाक्स में यक्ष्मा की दवाई रखी जाती है। इसमें तीन अलग-अलग प्रकार की लाइट जलती है। हरी लाइट रोज मरीज को यह याद दिलाता है कि दवा खाने का समय आ गया है। रोगी बाक्स खोलें और दवा निकालने के बाद बाक्स को बंद कर दें। बाक्स बंद करने के बाद डिजिटल रिकार्ड में सेव हो जाता है कि टीबी के मरीज ने दवा खा ली है। पीली लाइट यह दर्शाता है कि दवा खत्म होने वाली है। जल्द ही अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर दवा लें और बाक्स में रख दें। लाल बत्ती यह दर्शाता है कि मर्म बाक्स की बैट्री खत्म होने वाली है। बाक्स के साथ दी गई चार्जर से अपने मर्म बॉक्स को चार्ज कर लें

ताकि इलेक्ट्रानिक उपकरण सुरक्षित रहे।

क्षयरोग के मुख्य लक्षण डा. मो. साबिर ने बताया कि दो सप्ताह या उससे अधिक समय से खांसी हो। खांसी के साथ खून आना या छाती में दर्द हो। लगातार वजन घटना और ज्यादा थकान महसूस होना। शाम को बुखार आना, ठंड लगना और रात के वक्त पसीना आना टीबी रोग के लक्षण हो सकते हैं। इस स्थिति में चिकित्सक से मिलकर तुरंत जांच करवानी चाहिए। सरकारी अस्पताल में टीबी रोग की जांच निशुल्क होती है।

कहां कितने हैं टीबी मरीज जिले इस वर्ष 3800 टीबी रोगी की पहचान हुई है। सरकारी स्तर पर चिह्नित टीबी रोगी की संख्या 1313 है जबकि निजी स्तर पर चिह्नित 2497 टीबी रोगी हैं।

प्रखंडवार रोगी की संख्या प्रखंड - टीबी रोगी

अमौर - 113 बैसा - 47

बायसी - 94

बनमनखी - 97

बीकोठी - 77

भवानीपुर - 58

डगरूआ - 52

धमदाहा - 68

जलालगढ़ - 41

कसबा - 260

केनगर - 82

पूर्णिया शहरी - 2665

रुपौली - 99

श्रीनगर - 46

कुल - 3800

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