अपने उच्चतम स्तर पर महंगाई, आम लोगों की बढ़ी परेशानी

पूर्णिया। कोरोना महामारी के बीच महंगाई ने आम लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। एक तरफ लोग

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 09:04 PM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 09:04 PM (IST)
अपने उच्चतम स्तर पर महंगाई, आम लोगों की बढ़ी परेशानी
अपने उच्चतम स्तर पर महंगाई, आम लोगों की बढ़ी परेशानी

पूर्णिया। कोरोना महामारी के बीच महंगाई ने आम लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। एक तरफ लोग बीमारी से जूझ रहे हैं तो दूसरी तरफ उन्हें महंगाई से लड़ना पड़ रहा है। लॉकडाउन के बीच रोजगार का संकट, बाजार बंद, वेतन में कटौती, वार्षिक वेतन वृद्धि बंद जैसे हालातों से गुजरना पड़ रहा है, तो दूसरी तरफ परिवार चलाना भी जरूरी है। इन द्वंदों के बीच लोग किसी तरह परिवार की गाड़ी खींच रहे हैं। खाद्य पदार्थ, तेल, दाल हो या अन्य उपभोक्ता सामान। इनकी बढ़ती कीमतों ने लोगों को सोचने पर विवश कर दिया है।

खाद्य पदार्थों के दाम में पिछले दो-तीन महीनों से तेजी है। पिछले एक माह में तिलहन एवं दलहन सामानों की कीमत में 20 से 30 रूपए प्रति किलो/ लीटर तक की बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल में जो सरसों तेल 150-170 प्रति लीटर था, वह मई में 170-200 तक पहुंच गया है। इसी तरह रिफाइन की कीमतें भी चढ़ी है। खुदरा बाजार में दाल की कीमत में भी 15-20 रूपये प्रति किलो तक की बढ़ोतरी हुई है। कोरोना काल में घटती आमदनी के बीच इस महंगाई में लोगों के लिए परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। खर्च में 25 से 30 फीसद की वृद्धि

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रसोई चलाने के लिए पूर्व में हो रहे खर्च में 25 से 30 फीसद तक की वृद्धि हुई है। रसोई गैस, खाद्य पदार्थ हो या अन्य वस्तु, सभी अपने उच्चत्तम बाजार मूल्य पर है। सबसे ज्यादा रसोई गैस के धरेलू सिलेंडर में पिछले छह महीने में दो सौ रूपए से अधिक की वृद्धि हुई है। इसी तरह पिछले दो महीने में सरसों तेल के दाम में 30 से 40 प्रतिशत तो रिफाइन की कीमत में भी लगभग 50 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है। किराना व्यापारियों की मानें तो हाल के महीनों में खाद्य तेल एवं अन्य सामान की कीमतों में काफी इजाफा हुआ है। कोरोना संकट के बीच बाजार में भी अस्थिरता आई है। आम लोग से लेकर खुदरा बाजार तक में खाद्य पदार्थों का स्टॉक होने लगा है। जिसके कारण भी कीमतों में उछाल आई है।

सरसों तेल 50-75 रूपए महंगा ---------------------

सरसों तेल सात महीने में 50-70 रूपये प्रति लीटर महंगा हुआ है। अक्टूबर में जिस तेल की कीमत 115-125/लीटर थी, वहीं तेल फिलहाल खुदरा बाजार में 170-200/लीटर बिक रहा है। तेल के दाम में दिसंबर से तेजी आई है। 14-15 अप्रैल 21 तक तेल 150 रूपये प्रति लीटर बाजार में था। इन महीनों में रिफाइन की कीमत भी 50 रू प्रति लीटर से अधिक बढ़ी है। अक्टूबर 20 तक रिफाइन 108-130 प्रति लीटर था। दाल की कीमत में भी 15-20 रूपये प्रति किलो की तेजी आई है। रसोई गैस की कीमत 200 तक बढ़ी

--------------- घरेलू रसोई गैस की कीमत में भी पिछले छह महीने में प्रति सिलेंडर 200 रूपये से अधिक की वृद्धि हुई है। जबकि ग्राहकों के खाते में आने वाली सब्सिडी राशि भी कम हो गई है। गैस की कीमत 31 अक्टूबर 20 को 693 रूपये थी, जबकि मई 21 में 908 रूपये है। गैस की कीमत में इजाफा अगस्त 20 से लगतार हो रहा है। अगस्त 20 से गैस की कीमत 668, 693, 791, 818 एवं 908 पर रहा है।

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कहतें हैं अर्थशास्त्र के प्रोफेसर

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पूर्णिया विवि के अर्थशास्त्र के पीजी विभागाध्यक्ष डॉ एमएन चौधरी बताते हैं कि महंगाई बढ़ने के कई कारण होते हैं। उत्पादन में कमी, मांग और आपूर्ति में अंतर, अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भरता, जनसंख्या का दबाब, कच्चे सामान के मूल्य में वृद्धि, महंगे डीजल के कारण परिवहन खर्च का बढ़ना, लाकडाउन, जमाखोरी समेत कई कारक हैं, जिसका सीधा असर वस्तु की कीमतों पर पड़ता है। भारतीय बाजार में कौन सा फैक्टर किसको प्रभावित कर रहा है, इसका काई मापदंड नहीं है। तिलहन और दलहन के मामले में आज भी हम विदेशों पर निर्भर हैं। बड़ी मात्रा में इन सामानों का आयात किया जाता है। कई बार महंगाई स्थानीय बाजार में सामान का क्राइसिस क्रिएट करके भी बढ़ाई जाती है। इसके लिए सरकार को समय-समय पर उत्पादन, मांग और आपूर्ति की समीक्षा करनी चाहिए। जनसंख्या और खपत के मुताबिक खाद्य पदार्थों समेत अन्य सामान की उपलब्धता बनी रहे, यह भी सरकार को सुनिश्चित करना होगा।

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