मखाना और मक्का किसानों के लिए जरूरी है कृषि आधारित उद्योग एवं निर्यात की व्यवस्था

पूर्णिया। भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ पारस नाथ ने बिहार कृषि विश्वविद्याल

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 08:21 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 08:21 PM (IST)
मखाना और मक्का किसानों के लिए जरूरी है कृषि आधारित उद्योग एवं निर्यात की व्यवस्था
मखाना और मक्का किसानों के लिए जरूरी है कृषि आधारित उद्योग एवं निर्यात की व्यवस्था

पूर्णिया। भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ पारस नाथ ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर, भागलपुर के कुलपति डा.रविद्र कुमार सोहाने को विगत 11 वर्षों में कृषि महाविद्यालय की उपलब्धियों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कृषि शिक्षा, शोध, प्रसार एवं प्रशिक्षण के साथ-साथ अन्य गतिविधियों पर विस्तार पूर्वक जानकारी दी। कहा यह महाविद्यालय मखाना के सर्वांगीण विकास के लिए सतत प्रयासरत है। मखाना अनुसंधान एवं विकास के लिए नोडल सेंटर के रूप में कार्य करते हुए उन्नतशील प्रभेद सबौर मखाना-1, मखाना उत्पादन तकनीक एवं मखाना में कीट एवं व्याधि प्रबंधन तकनीकों का विकास किया है। कोसी क्षेत्र के मखाना एवं मक्का उत्पादक किसानों का सर्वांगीण विकास तब संभव है, जब इन क्षेत्र में कृषि आधारित उद्योग लगाए जाएं या निर्यात की उचित व्यवस्था हो। बिहार से मखाना एवं मक्का के निर्यात की अपार संभावनाएं है। यहां के मक्का एवं मखाने का निर्यात विश्व बाजार में तो हो रहा है, लेकिन बिहार के किसानों या उद्यमियों के द्वारा न होकर दूसरे राज्य के व्यापरियों अथवा बिचैलियों के द्वारा हो रहा है। जिसके कारण यहां किसानों को उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में मखाना को पहचान दिलाने के लिए एच. एस. कोड की अवश्यकता है। अमेरिका जैसे देशों में उच्च गुणवत्ता मखाना की बहुत ज्यादा मांग है। किसानों को प्रोत्साहित कर किसान संगठन बनाकर स्वयं अपने उत्पाद का निर्यात विश्व बाजार में करें। ''कृषि निर्यात नीति-29'' में बिहार के प्रमुख कृषि उत्पादों को शामिल करना आवश्यक

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बिहार कृषि विवि, सबौर, भागलपुर के कुलपति डा. रविद्र कुमार सोहाने ने कहा कि भारत सरकार के ''कृषि निर्यात नीति-29'' में बिहार के प्रमुख कृषि उत्पादों मखाना, लीची, आम आदि को शामिल करना बिहार के किसानों की समृद्धि के लिए आवश्यक है। बिहार के किसानों की आय को दोगुणा करने हेतु यहां के प्रमुख कृषि उत्पादों मखाना, लीची, आम आदि को ''कृषि निर्यात नीति-2029'' में सम्मिलित करने हेतु ध्यान आकृष्ट कराया है। भारत सरकार ने किसानों की आय को वर्ष-2022 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा है, जबकि बिहार के प्रमुख कृषि उत्पाद मखाना, लीची, आम आदि को ''कृषि निर्यात निति-29 में क्लस्टर निर्माण हेतु सम्मिलित नहीं किया गया है। अन्य राज्यों के विभिन्न कृषि उत्पादों को क्लस्टर निर्माण हेतु शामिल किया गया है, जबकि बिहार के किसान इस लाभ से वंचित रह गए हैं। कहा कि अन्य राज्यों की तरह इस नीति में यहां के प्रमुख कृषि उत्पादों को शामिल किया जाए। कृषि निर्यात नीति-29 में 12 उत्पाद शामिल

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भारत सरकार द्वारा बनाई गई ''कृषि निर्यात निति-2029'' में 11 राज्यों के 67 जिलों के कुल 12 मुख्य कृषि उत्पादों (केला, अनार, आम, अंगूर, गुलाबी प्याज, प्याज, आलू, इसबगोल, संतरा, ताजी सब्जियां, दुग्ध उत्पाद, पॉल्ट्री उत्पाद एवं अंडा आदि) को शामिल किया गया है।

केला के लिए दक्षिण के राज्य केरल, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु तथा पश्चिम से महाराष्ट्र एवं गुजरात के कुल 14 जिलों को चिह्नित किया गया है। इसी तरह अनार के लिए दक्षिण के राज्य आंध्रप्रदेश, कर्नाटक तथा पश्चिम से महाराष्ट्र, एवं मध्यप्रदेश के कुल 10 जिले, आम के लिए पश्चिम से महाराष्ट्रा, गुजरात, उत्तर से उत्तरप्रदेश तथा दक्षिण से तेलंगाना एवं आंध्रप्रदेश के कुल 15 जिले, अंगूर के लिए पश्चिम के राज्य महाराष्ट्र के तीन जिले पुणा, नासिक एवं सांगली, गुलाबी प्याज के लिए दक्षिण के राज्य कर्नाटक के दो जिलों बंगलुरू ग्रामीण एवं चिक्का बलपुरा, प्याज के लिए पश्चिम के राज्य महाराष्ट्र के नासिक तथा मध्यप्रदेश के तीन जिलों इंदौर, सागर एवं दामोह, आलू के लिए पश्चिम से गुजरात, उत्तर से उत्तरप्रदेश एवं पंजाब तथा मध्यप्रदेश के कुल 10 जिले, इसबगोल के लिए राजस्थान के कुल चार जिलों जोधपुर, नागौर, बारमेर एवं जैसलमेर, संतरा के लिए पश्चिम के राज्य महाराष्ट्र तथा मध्यप्रदेश के छह जिलों, ताजी सब्जियों के लिए उत्तरप्रदेश के वाराणसी, दुग्ध उत्पाद के लिए उत्तरप्रदेश के मथुरा तथा गुजरात के बनासकांटा जिले एवं पॉल्ट्री उत्पाद एवं अंडा के लिए तमिलनाडु के नमक्कल, सलेम एवं इरोड जिलों को चिह्नित किया गया है।

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