कलानंद उच्च माध्यमिक विद्यालय में मनाई गई रविदास की जयंती

शनिवार को कसबा प्रखंड के कलानंद उच्च माध्यमिक विद्यालय गढ़बनैली में प्रभारी प्रधानाध्यापक शम्भु नाथ घोष की अध्यक्षता में संत रविदास जी की जयंती मनाई गई।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 09:40 PM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 09:40 PM (IST)
कलानंद उच्च माध्यमिक विद्यालय में मनाई गई रविदास की जयंती
कलानंद उच्च माध्यमिक विद्यालय में मनाई गई रविदास की जयंती

पूर्णिया। शनिवार को कसबा प्रखंड के कलानंद उच्च माध्यमिक विद्यालय गढ़बनैली में प्रभारी प्रधानाध्यापक शम्भु नाथ घोष की अध्यक्षता में संत रविदास जी की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर छात्र,छात्राओं को संबोधित करते हुए प्रभारी प्रधानाध्यापक शंभूनाथ घोष ने कहा की संत रविदास 15वीं शताब्दी के एक महान संत, दर्शनशास्त्री, कवि, समाज-सुधारक और ईश्वर के अनुयायी थे। वे निर्गुण संप्रदाय में एक चमकते नेतृत्वकर्ता और प्रसिद्ध व्यक्ति थे , तथा उत्तर भारतीय भक्ति आंदोलन को नेतृत्व देते थे। ईश्वर के प्रति अपने असीम प्यार और अपने चाहने वाले, अनुयायी, सामुदायिक और सामाजिक लोगों में सुधार के लिए अपने महान कविता लेखनों के जरिये संत रविदास ने विविध प्रकार की आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश दिए। वो लोगों की नजर में उनकी सामाजिक और आध्यात्मिक जरुरतों को पूरा करने वाले मसीहा के रुप में थे। आध्यात्मिक रुप से समृद्ध रविदास को लोगों द्वारा पूजा जाता था। हर दिन और रात, रविदास के जन्म दिवस के अवसर पर तथा किसी धार्मिक कार्यक्रम के उत्सव पर लोग उनके महान गीतों आदि को सुनते या पढ़ते है। उन्हें पूरे विश्व में प्यार और सम्मान दिया जाता है हालांकि उन्हें सबसे अधिक सम्मान उत्तर प्रदेश, पंजाब और महाराष्ट्रा में अपने भक्ति आंदोलन और धार्मिक गीतों के लिए मिलता था। वरीय शिक्षक विवेकानंद झा ने कहा संत रविदास जयंती पूरे भारत में खुशी और बड़े उत्साह के साथ माघ महीने के पूर्ण चन्द्रमा दिन पर माघ पूर्णिमा पर हर साल संत रविदास की जयंती या जन्म दिवस को मनाया जाता है। जबकि वाराणसी में लोग इसे किसी उत्सव या त्योहार की तरह मनाते हैं। शिक्षक नवल किशोर ठाकुर ने कहा की इस खास दिन पर आरती कार्यक्रम के दौरान मंत्रों के रागों के साथ लोगों द्वारा एक नगर कीर्तन जुलूस निकालने की प्रथा है जिसमें गीत-संगीत, गाना और दोहा आदि सड़कों पर बने मंदिरों में गाया जाता है। रविदास के अनुयायी और भक्त उनके जन्म दिवस पर गंगा- स्नान करने भी जाते है तथा घर या मंदिर में बनी छवि की पूजा-अर्चना करते है। इस पर्व को प्रतीक बनाने के लिये वाराणसी के सीर गोवर्धनपुर के श्री गुरु रविदास जन्म स्थान मंदिर के बेहद प्रसिद्ध स्थान पर हर साल वाराणसी में लोगों के द्वारा इसे बेहद भव्य तरीके से मनाया जाता है। संत रविदास के भक्त और दूसरे अन्य लोग पूरे विश्व से इस उत्सव में सक्रिय रुप से भाग लेने के लिए वाराणसी आते है। इस अवसर पर विद्यालय के सभी छात्र,छात्रा सहित शिक्षक तथा शिक्षिकाएं मौजूद थे।

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