विधानसभा चुनाव में एनडीए के गढ़ में सेंधमारी को व्याकुल विपक्षी दल
पूर्णिया। किसी जमाने में कांग्रेस के गढ़ रहे बनमनखी विधानसभा क्षेत्र में फिलहाल केसरिया तिर
पूर्णिया। किसी जमाने में कांग्रेस के गढ़ रहे बनमनखी विधानसभा क्षेत्र में फिलहाल केसरिया तिरंगा लहरा रहा है। यहां भाजपा पिछले चार चुनावों से अपनी साख मजबूती से जमाए हुए हैं। पिछले बीस वर्षों से बनमनखी विधानसभा भाजपा का गढ़ रहा है। भाजपा के एक नेता यहां तीन पारी खेल चुके हैं। वर्ष 2000 से ही बनमनखी विधानसभा क्षेत्र की जनता ने भरपूर समर्थन कर उनकी राजनीतिक कद को बढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। चौथी पारी खेलने को तैयार एनडीए समर्थित उम्मीदवार के रूप में निवर्तमान विधायक सह पूर्व मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि चुनावी जंग में फिर कूदे हैं। विपक्ष इस पर पलटवार करते नहीं थकते हैं। इसलिए इस बार के चुनाव में एनडीए को परास्त करने के लिए विपक्षी दलों की ओर से चक्रब्यूह रचने की कोशिश की जा रही है।
राजनीतिज्ञों की बात छोड़ भी दें तो लोकसभा चुनाव का परिणाम मतदाताओं के बदलते नजरिए को समझने के लिए काफी है। बीते विधानसभा चुनाव में एनडीए प्रत्याशी 700 वोट से जीते थे। वहीं राजद के टिकट पर चुनाव लड़ संजीव कुमार पासवान दूसरे नंबर पर रहे थे।
विधान परिषद के चुनाव के बाद सभी की नजर विधानसभा चुनाव पर पड़ गई है। सूत्रों की मानें तो महागठबंधन एवं एनडीए के नेताओं ने अपने अपने प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त रणनीति बनाई है। इस रणनीति का क्रियान्वयन भी जमीनी तौर पर हो रहा है।