पूर्णिया महिला कॉलेज में आधा दर्जन विषयों में बिना शिक्षक हो रही है पढ़ाई

जिले में उच्च शिक्षा भगवान भरोसे चल रही है। कहीं संसाधन है तो शिक्षक नहीं और शिक्षक हैं तो संसाधन नहीं। शिक्षक-शिक्षणेतर कर्मियों के अभाव में उच्च शिक्षा को गति दे पाना कॉलेज प्रशासन के लिए मुश्किल हो रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 15 Dec 2020 11:20 PM (IST) Updated:Tue, 15 Dec 2020 11:20 PM (IST)
पूर्णिया महिला कॉलेज में आधा दर्जन विषयों में बिना शिक्षक हो रही है पढ़ाई
पूर्णिया महिला कॉलेज में आधा दर्जन विषयों में बिना शिक्षक हो रही है पढ़ाई

पूर्णिया। जिले में उच्च शिक्षा भगवान भरोसे चल रही है। कहीं संसाधन है तो शिक्षक नहीं और शिक्षक हैं तो संसाधन नहीं। शिक्षक-शिक्षणेतर कर्मियों के अभाव में उच्च शिक्षा को गति दे पाना कॉलेज प्रशासन के लिए मुश्किल हो रहा है। बीएनएमयू से अलग होकर पूर्णिया विश्वविद्यालय बनने के बाद भी सीमांचल में उच्च शिक्षा की रफ्तार धीमी है। महिला शिक्षा के लिए एक मात्र पूर्णिया महिला कॉलेज में भी शिक्षक और संसाधन दोनों का अभाव है। लगभग आधा दर्जन विषयों भूगोल, संगीत, उर्दू, बांग्ला आदि विषयों में एक भी शिक्षक नहीं हैं, तो विज्ञान विषयों की पढ़ाई पहले शिक्षा दान के तहत होती थी और अब इसके लिए विवि की ओर से अतिथि शिक्षक बहाल हैं। विज्ञान विषयों के लिए इसके पूर्व में भी स्थायी शिक्षक नहीं थे, यहां दूसरे कॉलेज से शिक्षकों का प्रतिनियोजन किया जाता था। उनमें से अधिकतर शिक्षक अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

कॉलेज में शिक्षकों के एक दर्जन से अधिक पद रिक्त हैं। शिक्षकों के स्वीकृत 32 पद के विरुद्ध महज 16 नियमित शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें से तीन शिक्षिका पूर्णिया विश्वविद्यालय में प्रतिनियोजन पर हैं। इसके अलावा कॉलेज में अध्यापन कार्य के लिए पांच अतिथि शिक्षक भी हैं।

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16 विषयों में स्नातक की पढ़ाई

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पूर्णिया महिला कॉलेज में 16 विषयों में स्नातक की पढ़ाई की सुविधा है। इसमें 1200 से अधिक छात्राएं नामांकित हैं, लेकिन इसके हिसाब से शिक्षक और संसाधन नहीं है। कॉलेज में मात्र एक विषय गृहविज्ञान में स्नातकोत्तर की सुविधा है। शेष विषयों में स्नातकोत्तर के लिए छात्राओं को दूसरे कॉलेज का रूख करना पड़ता है। कॉलेज में इंटर से लेकर पीजी तक की पढ़ाई होती है। स्नातक में वाणिज्य की पढ़ाई पिछले वर्ष से शुरू हुई है। इंटर में सिर्फ विज्ञान एवं कला की पढ़ाई होती है।

कॉलेज में सिर्फ शिक्षक ही नहीं शिक्षणेतर कर्मियों की भी काफी कमी है। तृतीय श्रेणी में स्वीकृत छह पद के विरुद्ध चार कर्मी कार्यरत हैं। चतुर्थ श्रेणी में भी स्वीकृत 13 पद के विरुद्ध छह कर्मी कार्यरत हैं। कर्मियों के अभाव में कॉलेज का संचालन मुश्किल हो जाता है। खासकर जब इंटर से लेकर पीजी तक का कार्यक्रम एक साथ चल रहा होता है। ऐसे में नामांकन, रजिस्ट्रेशन और परीक्षा फॉर्म समेत अन्य कार्य संपन्न करने में काफी परेशानी होती है। ऐसी परिस्थिति में न सिर्फ कॉलेज कर्मी की परेशानी बढ़ जाती है बल्कि अधिक भीड़ की स्थिति में छात्राओं को भी कई बार वापस लौटना पड़ता है। ---------

तीन व्यावसायिक पाठ्यक्रम की पढ़ाई

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कॉलेज में इंटर, स्नातक, स्नातकोत्तर के अलावा तीन व्यावसायिक पाठ्यक्रम बीसीए, बीबीए और सीएनडी की पढ़ाई होती है। ऐसे में शिक्षक एवं शिक्षणेतर कर्मियों की कमी का सीधा प्रभाव पठन-पाठन एवं कॉलेज के काम-काज पर पड़ता है। पठन-पाठन तो प्रभावित होता ही है काम-काज भी समय पर नहीं होता है। कॉलेज में छात्राओं के लिए छात्रावास की सुविधा है। जहां लगभग दो सौ छात्राओं के रहने की व्यवस्था है। कॉलेज में एनसीसी की व्यवस्था है लेकिन यहां खेल शिक्षक नहीं हैं। लगभग एक दशक पूर्व तक महिला शिक्षा के क्षेत्र में कॉलेज की काफी धमक हुआ करती थी, लेकिन कलांतर में शिक्षक एवं संसाधन के अभाव में यह धमक कमजोर पड़ने लगी है।

प्रधानाचार्य डॉ. संजय कुमार सिंह का कहना है कि कॉलेज में शिक्षक एवं शिक्षणेतर कर्मियों का अभाव है। लगभग आधा दर्जन विषयों में तो शिक्षक ही नहीं हैं। विश्वविद्यालय की ओर से अतिथि शिक्षकों की सेवा उपलब्ध करा कर य कमी दूर की जाती है। यहां उपलब्ध संसाधनों के आधार पर पठन-पाठन एवं प्रशासनिक कार्यों को पूरा करने का प्रयास किया जाता है।

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