कोरोना मरीज बिना चिकित्सकीय सलाह के एचआरसीटी नहीं कराएं
पूर्णिया। कोविड के दौरान फेफड़े में संक्रमण होता है। कभी-कभी कोरोना जांच में संक्रमण
पूर्णिया। कोविड के दौरान फेफड़े में संक्रमण होता है। कभी-कभी कोरोना जांच में संक्रमण का पता नहीं चलता है, ऐसे में चिकित्सक एचआरसीटी (हाई रिजोल्यूशन कंप्यूटेड टोमोग्राफी) जांच कराने की सलाह दे रहे हैं। इससे जांच से फेफड़े में संक्रमण की स्थिति का पता चलता है। यह कोरोना का उपचार बिल्कुल नहीं है। इसकी आवश्यकता को देखते हुए जिले में इसकी दर में पचास फीसद की कमी की गई है। निजी अस्पतालों में भी कम हुए दर पर ही जांच की जा रही है।
सदर अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एनके झा का कहना है कि यह जांच विशेष परिस्थिति में और चिकित्सकीय सलाह पर करानी चाहिए। वे बताते हैं कि कई बार तो कोविड मरीज स्वयं एचआरसीटी टेस्ट करवा कर पहुंच जाते हैं। यह गलत चलन है। टेस्ट से एक्सपोजर का भी खतरा है। दूसरा चिकित्सक एक्सरे करके भी देख सकते है। अगर चिकित्सक आवश्यक समझते है और वह सलाह देते है तभी टेस्ट के लिए जाएं। अगर मरीज की अवस्था गंभीर हो रही है। छाती में जकड़न हो तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। इस टेस्ट के दौरान रेडिएशन की आशंका होती है। जहां टेस्ट होता है वहां बंद कमरा होता है। अगर मरीज को कोविड नहीं है तो भी संक्रमण की आशंका होती है। कई लोग बार-बार सीटी स्कैन करा रहे हैं यह गलत है। इससे कैंसर तक का खतरा है इसलिए सावधानी से ही इसका उपयोग करना चाहिए। बार -बार इस टेस्ट से फायदे की जगह पर नुकसान हो सकता है। डॉ. एनके झा ने बताया कोरोना संक्रमण के दौरान लक्षण पर विशेष नजर रखें। पांच दिनों दस दिनों का समय काफी महत्वपूर्ण है। लक्षण जो भी हो उसको अपने डॉक्टर को स्पष्ट बताएं। उसको न ही छुपाना चाहिए न ही बढ़ाकर बताना चाहिए।