देवउत्थान एकादशी पर्व आज, अब शुरू हो जाएंगे शुभ और मांगलिक कार्य

पूर्णिया। देवउत्थान एकादशी का व्रत जिले में बुधवार को मनाया जा रहा है। इसी दिन तुलसी विवाह

By JagranEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 06:07 PM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 06:07 PM (IST)
देवउत्थान एकादशी पर्व आज, अब शुरू हो जाएंगे शुभ और मांगलिक कार्य
देवउत्थान एकादशी पर्व आज, अब शुरू हो जाएंगे शुभ और मांगलिक कार्य

पूर्णिया। देवउत्थान एकादशी का व्रत जिले में बुधवार को मनाया जा रहा है। इसी दिन तुलसी विवाह भी होगा। काफी संख्या में महिलाएं यह व्रत करती हैं तथा उपवास रखकर शाम में तुलसी विवाह धूमधाम से करती हैं। मान्यता है कि देवउत्थान त्योहार के बाद मांगलिक और शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं। बुधवार के बाद से शादी-व्याह व गृह प्रवेश आदि कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे। पंडित देवश्री आचार्य बताते हैं कि देवउठनी एकादशी का विशेष धार्मिक महत्व है। हिंदू मान्यताओं के अुनसार सृष्टि के पालनहार श्रीहरि विष्णु चार महीने तक सोने के बाद देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं। इसी दिन भगवान विष्णु शालीग्राम रूप में तुलसी से विवाह करते हैं। देवउठनी एकादशी से ही सारे मांगलिक कार्य जैसे कि विवाह, नामकरण, मुंडन, जनेऊ और गृह प्रवेश की शुरुआत हो जाती है। देवउठनी एकादशी को देवोत्थान एकादशी या हरिप्रबोधनिी एकादशी और तुलसी विवाह एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

वहीं पंडित महेश झा ने बताया कि विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने शंखासुर नामक भयंकर राक्षस का वध किया था। जिसके बाद आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को क्षीर सागर में शेषनाग की शय्या पर शयन करने चले गए। चार महीने के पश्चात योग निद्रा त्यागने के बाद भगवान विष्णु जब देवउठनी एकादशी को जागे तब चतुर्मास का अंत हुआ माना जाता है। जागने के बाद सबसे पहले उन्हें तुलसी अर्पित की जाती है। मान्यता है कि इस दिन देवउठनी एकादशी व्रत की कथा सुनने से 100 गायों को दान के बराबर पुण्य मिलता है। इस दिन तुलसी विवाह भी होता है। इस एकादशी का व्रत करना बेहद शुभ और मंगलकारी माना गया है।

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