कोरोना काल में भी 'जहर' ढूंढने वालों को क्‍या कहेंगे आप, आपके नजदीक भी पाए जाते हैं ऐसे लोग

World Tobacco Day थोड़ा बढिय़ा वाला बुद्धिवर्धक चूर्ण दीजिए। बढिय़ा माल नहीं मिल रहा है। ऐसे में बहुत परेशानी हो रही है। कुछ ऐसा ही हाल कोरोना संक्रमण काल में नशा करने वाले लोगों का है। कोरोना काल में भी लोग जहर की गुणवत्ता खोजने में लगे हैं।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Sun, 30 May 2021 10:50 PM (IST) Updated:Sun, 30 May 2021 10:50 PM (IST)
कोरोना काल में भी 'जहर' ढूंढने वालों को क्‍या कहेंगे आप, आपके नजदीक भी पाए जाते हैं ऐसे लोग
31 मई को है विश्‍व तंबाकू निषेध दिवस।

पटना, जागरण संवाददाता। World Tobacco Day: भैया! तीन दिन से आपकी दुकान पर आ रहे हैं, पर आज दुकान खुली मिली। भैया! थोड़ा बढिय़ा वाला बुद्धिवर्धक चूर्ण दीजिए। बढिय़ा माल नहीं मिल रहा है। ऐसे में बहुत परेशानी हो रही है। कुछ ऐसा ही हाल कोरोना संक्रमण काल में नशा करने वाले लोगों का है। कोरोना काल में भी लोग जहर की गुणवत्ता खोजने में लगे हैं। वहीं, दुकानदारों की मानें तो संक्रमण काल में माल नहीं आने से ग्राहकों को परेशानी हो रही है।

कैंसर के लिए पर्याप्‍त सामान

बिहार का बुद्धिवदर्धक चूर्ण कही जाने वाली 'खैनी' की खपत राजनीतिक गलियारे से लेकर ईंट-भट्ठे पर काम करने वाले मजदूरों के बीच भी स्वीकार्य है। डॉक्टरों की मानें तो खैनी में कैंसर पैदा करने वाले निकोटिन, कैडमियम और कार्बन मोनोऑक्साइड होता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। इसका विषैला प्रभाव मानव रक्त को दूषित करता है। इसके साथ ही इसका पेट, मुंह, फेफड़े आदि अंगों पर पड़ता है। जिसके कारण शरीर कई बीमारियों का घर बन जाता है।

एक करोड़ से अधिक लोग करते सेवन

दिशा नशा मुक्ति केंद्र की सीईओ राखी शर्मा की मानें तो एक करोड़ से अधिक लोग खैनी-तंबाकू का सेवन कर कैंसर को न्योता देते हैं। खैनी-तंबाकू को लेकर सरकार के स्तर पर भी स्पष्टता नहीं है। इसमें निकोटिन जैसे तत्व पाए जाते हैं, इसके बावजूद न तो फूड सेफ्टी और नहीं कोटपा यानी तंबाकू नियंत्रण अधिनियम राज्य में लागू नहीं है, जिसके कारण इनका सेवन करने वाले बड़ों के साथ बच्चे भी हैं।

जागरूकता के लिए कई संस्थाएं करती हैं काम

नशे को खत्म करने को लेकर शहर के कई संस्थाएं समय-समय पर स्कूलों व कॉलेजों में जागरुकता अभियान चलाती रही हैं। दिशा नशा मुक्ति केंद्र की सीईओ राखी शर्मा बताती हैं केंद्र की ओर से स्कूल-कॉलेजों में जागरुकता अभियान चलाया जाता रहा है। वहीं, केंद्र पर आने वाले लोगों को भी नशा छुड़ाने को लेकर प्रयोग किए जाते रहे हैं। डॉ. वीपी सिंह के अनुसार, इसको लेकर जागरुकता अभियान चलाया जाता रहा है। सबेरा संस्था के जरिए लोगों को नशे से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में अवगत कराया जाता है।

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