World Day Against Child Labor: बिहार में बाल श्रम से बच्चों को बचाएगा 'चाइल्ड फ्रेंड कार्ड'
चाइल्ड फ्रेंड कार्ड के जरिए बच्चों की तस्करी की निगरानी होगी। सरकार इसके लिए एक गैर-सरकारी संस्थान की मदद ले रही है। बिहार में अभी कुल 4.5 लाख बाल श्रमिक हैं मगर बाल श्रम विमुक्ति कार्यक्रम के लिए अलग से बजट नहीं है।
पटना, दीनानाथ साहनी। बिहार में बच्चों को श्रम से बचाने के लिए एक विशेष योजना पर काम हो रहा है। इसमें श्रम संसाधन विभाग, शिक्षा विभाग और समाज कल्याण विभाग को शामिल किया जाएगा। यदि योजना पर तेजी से अमल हुआ तो बाल श्रम से बच्चों को बचाने के लिए चाइल्ड फ्रेंड कार्ड (बाल मित्र कार्ड) बनाया जाएगा। बच्चों की ट्रैफिकिंग (तस्करी) पर इसके जरिए निगरानी होगी। कार्ड कैसे काम करेगा, इस पर सरकार एवं एक गैर-सरकारी संस्थान में बातचीत हो रही है। एक अनुमान के मुताबिक बिहार में कुल 4.5 लाख बाल श्रमिक हैं।
चिप लगे कार्ड से बच्चों की ट्रैकिंग : चिप लगे कार्ड की मदद से बच्चों की ट्रैकिंग होगी। कार्ड कैसे तैयार होगा और किस तरह काम करेगा, इसके लिए आइटी सेक्टर के विशेषज्ञों से मदद ली जाएगी। कार्ड श्रम से विमुक्त कराए गए बच्चों को उपलब्ध कराया जाएगा। पिछले वर्ष बचपन बचाओ आंदोलन ने बाल श्रम उन्मूलन व पुनर्वास योजनाओं को सशक्त तथा सरल बनाने हेतु कार्ड उपलब्ध कराने का सुझाव सरकार को दिया था।
2016 में लांच हुआ ट्रैकिंग सिस्टम नहीं रहा कारगर : 12 जून, 2016 को बाल श्रम दिवस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बच्चों के सुनहरे भविष्य के उद्देश्य से बाल श्रम ट्रैकिंग सिस्टम को लांच किया था। तब अफसरों को जिम्मेदारी दी गई थी कि इस सिस्टम द्वारा बाल श्रम पर निगरानी रखने एवं छुड़ाए गए बच्चों का पुनर्वास कराएंगे, लेकिन ट्रैकिंग सिस्टम को कारगर बनाने में किसी ने रुचि नहीं ली।
अलग से नहीं है बजट
एक अधिकारी ने स्वीकार किया कि बाल श्रम से मुक्त कराए गए बच्चे को लेकर यह गारंटी नहीं दी जा सकती कि वह भविष्य में फिर से जबरन बाल श्रम में नहीं धकेला जाएगा। एक सवाल पर बताया कि बाल श्रम से विमुक्ति कार्यक्रम के लिए अलग से बजट का प्रविधान नहीं है। बाल श्रम से मुक्त कराए गए बच्चों को घर तक पहुंचाने के लिए विभाग की तरफ से तीन हजार रुपये दिए जाते हैं। मुख्यमंत्री राहत कोष से वैसे बच्चे को 25 हजार रुपये दिए जाते हैं। यह राशि सीधे बच्चे के बैंक खाते में भेजी जाती है। अब तक करीब एक हजार बच्चों को यह राशि दी जा चुकी है। 2017-18 में करीब 691 बच्चे, 2016-17 में 1,022 और 2015-16 में 1,050 बाल श्रमिक मुक्त कराए गए हैं।
श्रम संसाधन मंत्री जिवेश कुमार का कहना है कि राज्य में कामकाजी बच्चों का सर्वेक्षण कराया जाएगा। उससे प्राप्त आंकड़ों का उपयोग बाल श्रम उन्मूलन, विमुक्ति व पुनर्वास के उद्देश्य से किया जाएगा। ऐसा करते समय शिक्षा विभाग समेत अन्य विभाग से समन्वय स्थापित किया जाएगा। राज्य व जिला स्तर पर धावा दल का गठन भी होगा।