World Bhojpuri Day: पटना के वीणा सिनेमा में दिखी थी भोजपुरी की पहली फिल्‍म, जानें ऐसे ही दिलचस्‍प तथ्‍य

World Bhojpuri Day नेपाल मारीशस सूरीनाम गुयाना फिजी आदि देशों में सदियों पहले गए लोग भोजपुरी संस्कृति को बचाने के साथ इसका संवर्धन करते रहे। मारीशस की संसद ने 2011 में भोजपुरी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा देकर मान बढ़ाया।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 06:05 AM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 06:57 AM (IST)
World Bhojpuri Day: पटना के वीणा सिनेमा में दिखी थी भोजपुरी की पहली फिल्‍म, जानें ऐसे ही दिलचस्‍प तथ्‍य
विश्‍व भोजपुरी दिवस पर पढ़ें ये विशेष आलेख। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, प्रभात रंजन। World Bhojpuri Day:  भोजपुरी भी दुनिया की बड़ी आबादी की बीच बोली जाने वाली भाषाओं में एक है। इससे जुड़े लोग जहां भी गए उन्होंने भोजपुरी संस्कृति को बरकरार रखा है। नेपाल, मारीशस, सूरीनाम, गुयाना, फिजी आदि देशों में सदियों पहले गए लोग भोजपुरी संस्कृति को बचाने के साथ इसका संवर्धन करते रहे। मारीशस की संसद ने 2011 में भोजपुरी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा देकर मान बढ़ाया। आज विदेश में रहने वाले भारतीय भोजपुरी भाषा और लोक संस्कृति की मिठास को फैलाने में लगे हैं। हर वर्ष ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा पर संत कबीर की जयंती के मौके पर विश्व भोजपुरी दिवस मनाया जाता है।

एक हजार वर्ष पुरानी भाषा

वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी की मानें तो भोजपुरी भाषा का इतिहास सातवीं सदी से शुरू होता है। ये भाषा लगभग एक हजार वर्ष पुरानी है। गुरु गोरखनाथ ने 1100 वर्ष में गोरखवाणी का निर्माण किए थे। वहीं संत कबीर दास के 1297वें जन्मदिवस को भोजपुरी दिवस के रूप में भारत में स्वीकार किया गया और जिसे  विश्व भोजपुरी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। अंग्रेजी तिथि के अनुसार, संत कबीर की जयंती 16 जून व भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन ने 20 जून को मनाने का निर्णय लिया था पर भारतीय पंचांग के मुताबिक ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि को सही अर्थों में कबीर जयंती का दिन माना गया है।

विश्व के महाद्वीपों में भोजपुरी

2001 जनगणना के आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 3.3 करोड़ लोग भोजपुरी बोलते हैं, जबकि पूरे विश्व में भोजपुरी जानने वाले लोगों की संख्या पांच करोड़ है। अंग्रेज भारत से करीब 12 लाख मजदूरों को गिरमिटिया मजदूर बनाकर विदेश ले गए। सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद, फिजी आदि प्रमुख देशों में भोजपुरी का बोलबाला है। विश्व में करीब आठ देश ऐसे हैं जहां भोजपुरी बोली जाती है।

विदेश में भी संजोए रखा 

नीदरलैंड में लगभग 43 वर्षो से रहते हुए राजमोहन ने अपने पुरखे गिरमिटिया मजदूरों की जीवन गाथा को संगीत में ढाल पूर्वजों की संस्कृति को बचाए रखा है। वे बताते हैं कि यहां डेढ़ लाख से अधिक भोजपुरी भाषा से संबंध रखने वाले पदाधिकारी हैं।

संवैधानिक दर्जा की आस

भोजपुरी भाषा को संवैधानिक दर्जा मिले इसके लिए बीते पांच दशकों से भोजपुरी भाषी आस लगाए हैं। भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर लोग लड़ाई लड़ रहे हैं। साहित्यकार डाक्टर ब्रजभूषण मिश्र की मानें तो 1969 में संसद में सांसद भोगेंद्र झा ने आवाज उठाई, वर्ष 2016 में दिल्ली में इसे लेकर आंदोलन भी हुआ। लेकिन कुछ परिणाम नहीं निकल सका। निराला बिदेसिया की मानें तो दूसरे देशों में इसे मान्यता दे दी लेकिन अपने देश में अभी भी उपेक्षित है।

भोजपुरी पर बनी पहली फिल्म 

देश के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद के कहने पर भोजपुरी की पहली फिल्म 'गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो' बनी थी। 22 फरवरी 1963 को फिल्म रिलीज हुई। ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म का पटना के वीणा सिनेमा में प्रदर्शन हुआ था। रिलीज होने के पूर्व पहली स्क्रीनिंग पटना के सदाकत आश्रम में की गई थी, जिसे राजेंद्र बाबू ने देखा था।

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