अंकों के आगे जहां और भी हैं..

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) का रिजल्ट आने के बाद अंको को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 16 Jul 2020 08:16 PM (IST) Updated:Thu, 16 Jul 2020 08:16 PM (IST)
अंकों के आगे जहां और भी हैं..
अंकों के आगे जहां और भी हैं..

जागरण संवाददाता, पटना : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) का रिजल्ट आने के बाद अंकों के महत्व को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। मार्किंग वार से मायूस होने वाले छात्र-छात्राओं को पुरानी पीढ़ी अपने अनुभव से मोटिवेट कर रही है। सोशल मीडिया पर शिक्षाविद, अधिकारी और बड़े अफसर अपना रिजल्ट शेयर कर बता रहे हैं कि वे कम मा‌र्क्स लाकर भी आज कितने आगे हैं। वहीं, हाई मार्किंग की दौड़ शुरू करने के लिए बोर्ड को कई ने आड़े हाथ भी लिया।

इंडियन रेलवे ट्रैफिक सेवा (आइआरटीएस) के अधिकारी दिलीप कुमार ने फेसबुक पोस्ट में लिखा है- जितने अंक में दो-दो बच्चे परीक्षा पास कर सकते थे, उतना अंक अकेले ही पा लेने वाले बच्चों को बधाई। हम तो अपने हिस्से के अंकों से ही सदा संतुष्ट रहे। चाहे वह 10वीं की परीक्षा में हो (57 फीसद) या फिर सिविल सेवा की परीक्षा (52 फीसद)।

अटल इनोवेशन मिशन के मेंटर तथा रोबेटिक एक्सपर्ट विवेकानंद प्रसाद ने अपने फेसबुक अकाउंट के पेज पर लिखा है। मुझे 10वीं में 66 फीसद मिला, और कक्षा 12वीं में भौतिकी में फेल हो गया। पांचवें सत्र में पांच पूरक मिले। तुम्हें पता है क्या? उन्हें मेरी किस्मत तय करने के लिए नहीं मिला। शिक्षा अंकों की मोहताज नहीं होती।

शादाब हसन खां लिखते हैं। 100 फीसद अंक प्राप्त करने वाले को बधाई। सभी प्रश्न का जवाब देने लायक सेट तैयार करने वाले तथा कॉपी में एक भी गलती नहीं खोज पाने वाले शिक्षक इस्तीफा दे दें। बोर्ड मार्किंग मशीन बन गई है। दोगुना अंक के बाद भी मायूस

सेवा निवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के अधिकारी एसके शर्मा अपने पोस्ट में कहते हैं। नाती 10वीं में 97 फीसद अंक प्राप्त कर भी मायूस है। उसे पढ़ाने वाले शिक्षक के चेहरे पर भी खुशी नहीं है। भैया, 10वीं में 49 फीसद अंक प्राप्त करने के बाद सिविल सेवा के लिए चयनित हुआ। सफलता के लिए अंक ही सबकुछ होता तो सीवी रमण, आइंस्टीन, बिल गेट्स हमें नहीं मिलते। आइआइटी के पूर्ववर्ती छात्र मुंबई से लिखते हैं कि 10वीं में उच्च गणित में 37 अंक मिले थे। अंक के पीछे दौड़ता तो आइआइटी छूट जाता। जो अधिकतम अंक पाएं हैं उन्हें बधाई। जिन्हें कम मिले हैं, उनके लिए अपने अनुभव पर एक संदेश- कम अंक के आगे जीत है..।

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