रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून

शिक्षा संस्कार और सलीका पहचान है नौबतपुर की

By JagranEdited By: Publish:Sun, 21 Apr 2019 01:54 AM (IST) Updated:Sun, 21 Apr 2019 06:26 AM (IST)
रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून
रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून

श्रवण कुमार, पटना। शिक्षा, संस्कार और सलीका पहचान है नौबतपुर की । प्रखंड की एक-एक पंचायत में आधा दर्जन सरकारी विद्यालय और लोगों का अदब भरा अंदाज प्रमाण है इसका। आज नौबतपुर के लगभग हर पंचायत और अधिकतर गांवों तक सड़क है। कहीं सड़क के दोनों ओर तो कहीं एक ओर खुदे आहर भी हैं, पर सूखे हैं। कभी सोन नदी का पानी आहर में आया करता था। सिंचाई के लिए कोई फिक्र नहीं थी किसानों को। पर अब सिंचाई की कौन कहे, पीने के लिए भी पर्याप्त पानी मयस्सर नहीं है नौबतपुर को। सारी समृद्धि धरी की धरी रह जाती है पानी बिन । संकेतों में संदेश दे रहे हैं नौबतपुर वाले - रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। जैसे-जैसे गर्मी चढ़ेगी और नौबतपुर का हलक सूखेगा, मतदाताओं के मिजाज का ताप भी बढ़ेगा।

पाटलिपुत्र संसदीय और बिक्रम विधानसभा क्षेत्र का एक हिस्सा है नौबतपुर प्रखंड। राजधानी से लगभग रोज का रिश्ता है इस प्रखंड का। समृद्ध होने के साथ ही राजनीतिक रूप से भी सजग हैं यहां के लोग। 2019 की मतदाता सूची के अनुसार एक लाख 45 हजार 40 वोटर हैं। इनमें 70 हजार 285 महिला और 74 हजार 465 पुरुष हैं। मतदाताओं को वोट करने के लिए 158 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।

डेढ़ दशक में विकास का मतलब समझा है नौबतपुर ने

डेढ़ दशक पहले तक नक्सलवाद से प्रभावित नौबतपुर की पहचान ही छह इंच छोटा करने वाले प्रखंड के रूप में हुआ करती थी। बदले माहौल में बिहार से नक्सलवाद का लगभग अंत हुआ, तब नौबतपुर ने भी राहत की सांस ली। सड़कें बनने लगीं। स्कूल खुलने लगे। राजकीय मध्य विद्यालय खजुरी के शिक्षक हरिओम निराला बताते हैं - 2001 में जब बीएन कॉलेज में पढ़ा करता था, सड़कें थी ही नहीं। किसी तरह उबड़-खाबड़ रास्तों पर साइकिल से पढ़ने जाते थे, पर आज चकाचक सड़कें हैं। सड़क ही नहीं, सड़क किनारे बनने वाले कई सरकारी उपक्रमों ने भी नौबतपुर को राजधानी के करीब कर दिया है। पटना को मिलने वाले कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी ) का नियंत्रण कक्ष नौबतपुर में ही है। कक्ष के स्टेशन टेकनीशियन विकास कुमार पांडे और योगेश कुमार मौर्या ने बताया कि लगभग दो माह में नौबतपुर स्टेशन से पाइप के जरिए सीधे पटना के सिटी गैस स्टेशन तक सीएनजी पहुंचाने का काम पूरा हो जाएगा। अभी गैस बैंक के जरिए पटना के स्टेशन तक सीएनजी पहुंचाया जा रहा है। इस परियोजना ने नौबतपुर की समृद्धि में चार चांद लगाया है। हालांकि शुरुआती दिनों में तो किसानों के लिए मुआवजा बड़ा मुद्दा बना था। पर अब अधिकतर संतुष्ट हैं और नौबतपुर इस परियोजना को उपलब्धि मान रहा है।

आहर सूखने का है मलाल और पेयजल समस्या परेशानी का सबब

नौबतपुर में सिचाई और पेयजल आज सबसे बड़ा मुद्दा है। आहर-पइन के सूखने का मलाल है, तो पेयजल समस्या परेशानी का सबब बनी है। चिरौरा पंचायत के बादीपुर गांव के शशिकांत शर्मा बताते हैं कि पहले सोन नदी से लिंक मंझौली नहर से खेतों की सिंचाई होती थी। खूब धान-गेहूं पैदा होता था, पर अब नहर नाला बन गई है। चिरौरा पंचायत में एक भी सरकारी नलकूप नहीं है। धर्मेद्र कुमार भी शशिकांत की बात का समर्थन करते हुए कहते हैं कि किसी पंचायत में तो आठ-दस नलकूप हैं, पर यहां एक भी नहीं। कौशलेंद्र कुमार कहते हैं कि विद्यालय में तो पीने का पानी भी नहीं है। पानी को लेकर जबर्दस्त शिकायत खजुरी पंचायत के गांवों में भी है। डिहरा में महादलित, मुस्लिम और अति पिछड़ों की अच्छी-खासी आबादी है। करीब 200 घर महादलितों के और 50 घर मुस्लिमों के हैं यहां। कमलेश पासवान, सावित्री देवी समेत कई गांव वाले बताते हैं कि पानी का एकमात्र सहारा स्कूल का नल ही है। पूरा गांव लाइन लगाकर यहीं से पानी भरता है। गांव में जो नल थे, खराब पड़े हैं। हर घर नल जल योजना से भी डिहरा के महादलित टोले में लाभ नहीं मिलने की शिकायत की जा रही है। पंचायत के शेखपुरा, खैरा, मितनचक, करदाहा में भी हर घर नल जल का लाभ नहीं पहुंचने की शिकायत ग्रामीणों ने की। बताया कि पंचायत के सिर्फ एक गांव खजुरी में ही पाइप लाइन है। पर टंकी वहां भी नहीं। करंजा पंचायत के गोआए गांव के सूर्य प्रकाश राम, कमलेश मांझी , उपेंद्र मांझी समेत कई लोगों ने भी पानी को लेकर आक्रोश जताया। शिकायत है कि पंचायत के मुखिया से लेकर बीडीओ, एसडीओ तक फरियाद के बावजूद पीने का पानी नहीं मिल रहा है। कहते हैं मतदाता - पानी के लिए ये गुस्सा ईवीएम के बटन पर उतरे तो इसमें आश्चर्य नहीं।

शौचालय नहीं बनने का ठीकरा बीडीओ पर फोड़ा

दैनिक जागरण के मतदाता जागरुकता अभियान में वोटरों को मतदान प्रक्रिया की जानकारी देने डिहरा पहुंचे प्रखंड विकास पदाधिकारी सुशील कुमार को भी शिकायतों से रूबरू होना पड़ा। पेयजल के साथ ही शौचालय निर्माण को लेकर भी ग्रामीणों ने आक्रोश जताते हुए समस्याओं का ठीकरा बीडीओ के सिर फोड़ दिया। डिहरा के महीर नट, बिंदा नट, असलीम नट, रोझन खातून, ओलीम नट, शहजादी खातून, सरोजनी खातून, सोनिया खातून, नेहरून खातून, सलमा खातून और धुरखेली मोची और खजुरी की शारदा देवी व सविता देवी, बेबी देवी समेत कई लोगों ने बताया कि शौचालय का निर्माण तो कर्जा लेकर करा लिए, पर पैसा अब तक नहीं मिला।

अजब कहानी ओडीएफ की

नौबतपुर के खजुरी पंचायत के ओडीएफ की कहानी भी बड़ी अजब है। 25 मार्च 2017 को ही इस पंचायत को खुले में शौच से मुक्ति का प्रमाणपत्र दे दिया गया था, पर हकीकत यह है कि सिर्फ कागज पर ही पंचायत खुले में शौच से मुक्त हुआ। बाद में जब सच्चाई का पर्दाफाश हुआ, तब प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया। सतीश कुमार कहते हैं कि उस वक्त हंगामे के बाद जब डीएम संजय अग्रवाल आए थे, तब कुछ लोगों का शौचालय बना था। हकीकत यह है कि आज तक यह पंचायत खुले में शौच से मुक्त नहीं हो पाई है।

देश की सुरक्षा और विकास है सबसे बड़ा मुद्दा

स्थानीय समस्याओं और शिकायतों पर देश की सुरक्षा और विकास भारी है। असंतोष दर्ज कराने के बाद भी जब मतदान के लिए मुद्दों पर चर्चा हुई, तो मतदाताओं ने ऐसी ही राय जाहिर की। गोआए के मनीष कुमार कहते हैं- राष्ट्र की समृद्धि, सुरक्षा और विकास के आगे कुछ नहीं। रामकिशोर शर्मा भी उनकी बातों पर सहमति व्यक्त करते हैं। दिनेश्वर शर्मा कृषि को चुनाव का बड़ा मुद्दा बताते हैं। किसान, मजदूर समृद्ध होगा तो देश की भी तरक्की होगी । रामविनय शर्मा कहते हैं कि बाहर के दुश्मनों से मुकाबला करने के लिए हर कुर्बानी देने को हम तैयार हैं। सुभाष शर्मा और रमेश शर्मा भी विकास के मुद्दे पर ही वोट करेंगे।

छोटे-छोटे मुद्दों पर भी हो रही चर्चा

लोकसभा चुनाव में छोटे-छोटे मुद्दों पर भी मतदाता सजग हैं। नाली से लेकर मिड डे मिल के पारिश्रमिक की शिकायतें की जा रही है। बादीपुर में लिंक पथ आज भी जर्जर है। स्कूल जाने वाले बच्चों को भी इसी मार्ग से गुजरना होता है। सरकारी स्कूल में नल नहीं है। चार माह से मिड डे मिल नहीं मिल रहा। मीरा देवी बताती हैं कि सात निश्चय योजना का कोई काम नहीं हुआ। पिपलांवा बाजार के कपड़ा दुकानदार मो. अनवर आलम ने कहा कि उन्हें शौचालय व गैस कनेक्शन तो मिला है, पर आवास नहीं मिला।

chat bot
आपका साथी