विषम परिस्थिति में भी मां जानकी ने किया नारी धर्म का निर्वाह

जय-जय भैरवि असुर भयाउनि पशुपति भामिनी माया सहज सुमति पर दियउ गोसाउनि अनुगति गति..

By Edited By: Publish:Tue, 14 May 2019 01:29 AM (IST) Updated:Tue, 14 May 2019 01:30 AM (IST)
विषम परिस्थिति में भी मां जानकी ने किया नारी धर्म का निर्वाह
विषम परिस्थिति में भी मां जानकी ने किया नारी धर्म का निर्वाह
पटना। 'जय-जय भैरवि असुर भयाउनि पशुपति भामिनी माया, सहज सुमति पर दियउ गोसाउनि अनुगति गति तुअ पाया..', 'मिथिला में जन्म लेलन्हि हे सिया सुकमारी, जोगिया एक देखल गेमाई..' आदि एक से बढ़कर एक मैथिली गीतों की प्रस्तुति विद्यापति भवन में सोमवार को हुई। मैथिली महिला संघ पटना की ओर से मां जानकी अवतरण दिवस समारोह के मौके पर यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत भगवती गीत जय-जय भैरवी से हुई। गीतों की उम्दा प्रस्तुति गायिका आकांक्षा पंकज, आस्था झा, शांभवी प्रिया ने किया। कार्यक्रम का उद्घाटन चाणक्या विवि के उप-कुलपति एवं पूर्व न्यायाधीश मृदुला मिश्र, पद्मश्री उषा किरण खान, निशा झा ने किया। समारोह के दौरान मां जानकी की तस्वीर पर लोगों ने पुष्प अर्पित करने के साथ वंदना की। मां जानकी के अवतरण दिवस समारोह पर मैथिली महिला संघ द्वारा प्रकाशित स्मारिका का विमोचन हुआ। वही समारोह के दौरान मिथिला में विशेष योगदान देने वाली महिलाओं में प्रो. वीणा ठाकुर, पद्मश्री गोदावरी दत्त, मिथिला भाषा में गोल्ड मेडलिस्ट मुक्ति रंजन झा को महिला संघ की ओर से सम्मानित किया गया। हर नारी को मां जानकी से सीख लेने की जरूरत - मां जानकी के अवतरण पर पूर्व न्यायाधीश मृदुला मिश्र ने कहा कि महिलाओं के सशक्तीकरण को केंद्रित कर जानकी नवमी मनाई जाती है। जानकी ने कठिन परिस्थिति में अपना कर्तव्य निभाते हुए समाज के प्रत्येक नारी को विषम परिस्थिति में अपनी हार नहीं मनाने की सीख दी। जानकी ने विषम स्थिति में भी अपना कर्तव्य निभाते हुए अपने स्त्री गुण को नहीं छोड़ा। आज महिलाओं में शिक्षा की अहम भूमिका है। वे हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। शिक्षित होने के साथ हर नारी को अपने अंदर मौजूद स्त्री गुण को भी बनाए रखने और परिवार के संचालन का दायित्व निभाना होगा। पद्मश्री डॉ. उषा किरण खान ने कहा कि आज के दिन जानकी अवतरित हुई। उनका जीवन संघर्षो से भरा रहा। आज की स्त्रियों को उनके जीवन से शिक्षा लेने की जरूरत है। सूचना क्रांति के युग में स्वयं के साथ दूसरे को भी जागरूक होने की जरूरत है। निशा झा ने कहा कि सखी वाट्सएप गु्रप से कई महिलाएं जुड़ी हैं। मैथिली महासंघ की महिलाएं भी इस ग्रुप से जुड़कर अपने आप को व्यक्त कर सकती हैं। हम सभी कला के धनी हैं, जिसका उदाहरण मिथिला पेंटिंग हैं। शुभ काम में पाग पहनने का प्रचलन आज भी मिथिला में है, जिसे हमेशा बचाए रखने की जरूरत है। भगवती गीतों से सराबोर रहा परिसर - मां जानकी के अवतरण दिवस पर विद्यापति भवन परिसर मैथिली लोक गीतों से गुलजार रहा। मैथिली महिला संघ के बाल कलाकारों ने एक से बढ़कर एक गीता और नृत्य के जरिए मिथिला की लोक संस्कृति से दर्शकों को रूबरू कराया। कार्यक्रम के दौरान बाल प्रतिभा का प्रदर्शन खूब दिखा। वही कलाकार आस्था झा ने सोहर गीत एवं जाह्नवी प्रिया, शांभवी प्रिया ने मां जानकी को याद करते हुए ' मिथिला में जन्म लेलेन्हि हे सिया सुकुमारी, जोगिया एक देखल गेमाई' गीत को पेश कर सभी का मन मोह लिया। वही श्याम झा के निर्देशन में किलकारी के छात्र-छात्राओं में अमिषा, श्वेता, अर्पिता कुणाल, महिमा मौर्य, हिमाद्री राज ने 'आजु मिथिला नगरिया नेहाल सखिया बाजे बधैया हे बाजे बधैया' गीत की प्रस्तुति कर सभी का मन मोह लिया। गीतों को जीवंत बनाने में संगत कलाकारों में तबले पर मोहम्मद अलाउद्दीन ने बेहतर प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के दौरान अतिथियों ने मां जानकी पर प्रकाश डाला। समारोह का धन्यवाद ज्ञापन प्रो. डॉ. शीला चौधरी, मंच का संचालन प्रो. डॉ. वंदना किशोर ने किया। मौके पर आयोजन संघ की अध्यक्ष सरिता झा, सचिव कल्पना कुमारी आदि मौजूद थीं।

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