पटनाः खुदाबख्श लाइब्रेरी को बचाने के लिए ऊषा किरण खान ने दी चेतावनी, लौटा दूंगी पद्मश्री

पद्मश्री ऊषा किरण खान ने कहा कि विश्‍व प्रसिद्ध खुदाबख्‍श लाइब्रेरी के कर्जन रीडिंग रूम सहित अशोक राजपथ पर अवस्थित विभिन्न एतिहासिक विरासतों को बचाने के लिए प्रस्तावित फ्लाईओवर निर्माण को रोका नहीं गया तो मैं पद्मश्री सहित सारे पुरस्कार वापस कर दूंगी।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 06:04 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 06:04 PM (IST)
पटनाः खुदाबख्श लाइब्रेरी को बचाने के लिए ऊषा किरण खान ने दी चेतावनी, लौटा दूंगी पद्मश्री
साहित्यिक संस्‍था ‘आयाम’ द्वारा आयोजित वेबिनार में संबोधित करते अतिथि।

जासं, पटना: विश्‍व विरासत दिवस पर साहित्यिक संस्‍था ‘आयाम’ द्वारा रविवाार को  आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए ऊषा किरण खान ने कहा कि विश्‍व प्रसिद्ध खुदाबख्‍श लाइब्रेरी के कर्जन रीडिंग रूम सहित अशोक राजपथ पर अवस्थित विभिन्न एतिहासिक विरासतों को बचाने के लिए प्रस्तावित फ्लाईओवर निर्माण को रोका नहीं गया तो मैं पद्मश्री सहित सारे पुरस्कार वापस कर दूंगी। उन्होंने कहा कि पटना की एतिहासिक विरासतों के साथ पहले ही बहुत छेड़छाड़ हो चुकी है, अब और बर्दाश्त करना मुश्किल है। हमें अपने पूर्वजों से मिली नायाब चीजों को नई पीढ़ी को सौंपने का प्रयास करना चाहिए। डाकबंगला सहित मगध महिला कॉलेज के पुराने वृक्षों को याद करते हुए ऊषा किरण खान ने कहा कि हर शहर की पहचान उसकी विरासतों से होती है। सरकार को भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। 

सुरक्षा व्‍यवस्‍था पर भी पड़ेगा कुप्रभावः प्रो.डॉ. इम्तियाज

प्रो.डॉ. इम्तियाज अहमद ने कहा कि वायसराय कर्जन 1903 ई. में खुदाबख्‍श लाइब्रेरी आए थे और उस समय उन्‍होंने पांडुलिपियों की कैट लॉगिंग के लिए धनराशि उपलब्‍ध कराई थी। पहले यह कच्‍ची दीवार एवं खपड़ैल का घर था, कर्जन के प्रति शुक्रियाना तौर पर खुदा बख्‍श खां ने 1905 में इसका निर्माण करवाया। उन्‍होंने प्रस्‍तावित फ्लाईओवर के निर्माण को दुर्भाग्‍यपूर्ण बताते हुए कहा कि इससे खुदाबख्‍श लाइब्रेरी की विरासत ही नहीं ध्‍वस्‍त होगी बल्कि सुरक्षा व्‍यवस्‍था पर भी कुप्रभाव पड़ेगा। उन्‍होंने पटना कॉलेज परिसर की डच बिल्डिंग, फोर जिम्‍नाजियम स्‍क्‍वायर, मुल्‍ला शादमान मस्जिद आदि धरोहरों के महत्‍व की चर्चा करते हुए कहा कि विकास के नाम पर हमें अपनी धरोहरों को नष्‍टकर देने की मानसिकता से बाहर निकलने की जरूरत है।

बढ़ जाएगी यातायात की समस्याः डॉ. उमेश चन्‍द्र

पटना संग्रहालय के पूर्व निदेशक डॉ. उमेश चन्‍द्र द्विवेदी ने कहा कि प्रस्‍तावित फ्लाईओवर का निर्माण गांधी मैदान से एनआईटी मोड़ तक ही किया जा रहा है, इससे यातायात की समस्‍या घटने की बजाय कई गुना बढ़ जाएगी। उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री की दूरदर्शिता की प्रशंसा करते हुए कहा कि गंगा ड्राइव-वे का निर्माण ही इसलिए किया जा रहा है कि आगे आनेवाले दो सौ वर्षों तक अशोक राजपथ पर भीड़ नहीं हो। उन्‍होंने सलाह दी कि धरोहरों को नष्‍ट करने की बजाय इस गंगा ड्राइव से अशोक राजपथ की विभिन्‍न गलियों को जोड़ दिया जाए।

हम बनते जा रहे लापरवाहः प्रबुद्ध विश्‍वास

इतिहासकार प्रबुद्ध विश्‍वास ने कहा कि आज पूरा विश्‍व अपनी धरोहरों को बड़ी संजीदगी से बचाने का प्रयास कर रहा है और हम इसके प्रति लापरवाह बनते हुए इसे नष्‍ट करने की कल्‍पना कर रहे हैं। उन्‍होंने अशोक राजपथ के विभिन्‍न धरोहर भवनों की चर्चा करते हुए कहा कि फर्रूखशियर की ताजपोशी पटना में ही हुई थी। रानीघाट एक प्रकार का ‘ऑब्‍जर्वेशन प्‍वायंट’ था। आज जहां एनआइटी है वहां पहले अजमल खां का बाग था।आज जहां राजेन्‍द्र सर्जिकल ब्‍लॉक है, वहां कंपनीबाग था। उन्‍होंने पटना विश्‍वविद्यालय सहित अशोक राजपथ के विभिन्‍न धरोहरों की ऐतिहासिकता का उल्‍लेख करते हुए कहा कि किसी भी ऐतिहासिक धरोहर से छेड़छाड़ करना अपनी इतिहास को मिटाना भी एक अपराध है। 

धरोहर बचाने को इन्होंने आवाज की बुलंद

कार्यक्रम की संयोजिका ज्‍योति रश्मि ने आगत अतिथियों का स्‍वागत किया। वेबिनार में वीणा अमृत, भावना शेखर, सुनिता गुप्‍ता,सुमेधा पाठक, सौम्‍या सुमन, रानी सुमिता, शाइस्‍ता अंजुम, अर्चना त्रिपाठी, मीरा मिश्रा, नीलिमा सिंह, पूनम आनंद, शाहनाज फातिमी, विम्‍मी रानी, विभा रानी श्रीवास्‍तव, पूनम सिन्‍हा, सविता सिंह नेपाली, ऊषा झा, गीताश्री सहित अन्‍य कवियित्री, कथाकार, इतिहासकार आदि बुद्धिजीवियों ने जुड़कर ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने में अपनी आवाज बुलंद की।

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