UPSC Result: यूपीएससी में बिहार के टापरों की लंबी है लिस्ट, एक बार फिर से दम दिखाने लगे बिहारी
UPSC Result Toppers यूपीएससी यानी संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में बिहार के टापरों की लिस्ट लंबी है। पटना विश्वविद्यालय के छात्र एक समय इस परीक्षा में अव्वल आते थे। दो-तीन साल से बिहार का रिजल्ट फिर सुधरने लगा है।
पटना, जयशंकर बिहारी। UPSC Result 2021: यूपीएससी (Union Public Service Commission) की सिविल सेवा परीक्षा (Civil Service Exam) में बिहार की मेधा का डंका हमेशा बजता रहा है। टापर बनने की शुरुआत 1960 में हुई थी। इस साल कटिहार (Katihar) के शुभम कुमार (Shubham Kumar) ऑल इंडिया टापर (UPSC 2021 Topper) रहे हैं। 1960 में जगन्नाथन मुरली बिहार से पहले टापर थे। उन्होंने पटना में रहकर ही पढ़ाई की थी। उनके पिता भी आइसीएस (ब्रिटिश काल) थे और तब पटना में पदस्थापित थे। आजादी के बाद यह पद आइसीएस की जगह आइएएस हो गया। छह साल बाद 1966 में पूर्णिया के आभास चटर्जी टापर बने।
मौजूदा विकास आयुक्त आमिर सुबहानी भी रहे हैं टापर
1966 के बाद बिहार को टापर के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा, जब राज्य के वर्तमान विकास आयुक्त आमिर सुबहानी ने 1987 में टाप किया था। लगातार दूसरे साल बिहार के ही प्रशांत कुमार टापर रहे। 1988 के बाद सिविल सेवा परीक्षा में दर्जनों अभ्यर्थियों ने सफलता का झंडा गाड़ा, लेकिन आल इंडिया टापर का सन्नाटा एक बार फिर नौ साल बाद गया के सुनील कुमार बर्णवाल ने तोड़ा। वे झारखंड में मुख्यमंत्री के सचिव रह चुके हैं। वर्तमान में गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव हैं। इसके बाद 2001 में आलोक रंजन झा टापर रहे। वे विदेश सेवा में हैं। इनके बाद फिर टापर के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा और 20 साल बाद कटिहार के शुभम कुमार ने राज्य का मान फिर बढ़ाया है।
साइंस कालेज के छात्र रहे हैं आमिर सुबहानी
1987 के टापर आमिर सुबहानी पटना साइंस कालेज के एलुमिनाई हैं। पटना विश्वविद्यालय के सांख्यिकी विभाग से स्नातकोत्तर में गोल्ड मेडलिस्ट थे। 1988 बैच के टापर प्रशांत कुमार की प्रारंभिक पढ़ाई भी पटना में हुई थी। उच्च शिक्षा सेंट स्टीफेंस कालेज, दिल्ली से हुई। सुनील बर्णवाल की प्रारंभिक शिक्षा भागलपुर में हुई। आइएसएम धनबाद से बीटेक के बाद उन्होंने गेल में भी सेवा दी।
2001 के टापर आलोक रंजन झा ने हिंदू कालेज से स्नातक करने के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एमफिल किया। तीसरे प्रयास में पहली रैंक प्राप्त की। सुनील बर्णवाल ने दूसरे प्रयास में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। 1961 बैच के सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी आइसी कुमार ने बताया कि 1960 से पहले बिहार से करीब 26 आइसीएस थे। इसके बाद 1960 में प्रथम स्थान पर पटना के जगन्नाथन मुरली, पांचवें स्थान पर रामास्वामी और 12वें स्थान पर पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा थे। 1966 में पूर्णिया के आभास चटर्जी अव्वल रहे।
यशवंत सिन्हा ने बताया कि उनके सहित तीनों ने बिहार काडर का चयन किया था। पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रास बिहारी प्रसाद सिंह ने बताया कि 1960 के बाद यूपीएससी में बिहार के रिजल्ट में काफी सुधार देखने को मिला। 1966 से 1986 के बीच टापर नहीं निकले, लेकिन हर साल दो अंकों में रिजल्ट रहा। पिछले तीन-चार साल से बेहतर रिजल्ट हो रहा है।