Positive India: अंधेरे में पिता का उखड़ा नाखून तो बेटे ने वेतन से कर दिया गांव को रोशन... पूरा गांव कर रहा वाह-वाह

Positive India बिहार के वैशाली में सेना के जवान जीतेंद्र के पिता का सड़क पर अंधेरे में नाखून उखड़ गया। इसी तरह दूसरा चोटिल न हो उन्‍होंने पूरे गांव को रोशन कर दिया।

By Rajesh ThakurEdited By: Publish:Sat, 04 Jul 2020 12:08 PM (IST) Updated:Sat, 04 Jul 2020 08:17 PM (IST)
Positive India: अंधेरे में पिता का उखड़ा नाखून तो बेटे ने वेतन से कर दिया गांव को रोशन... पूरा गांव कर रहा वाह-वाह
Positive India: अंधेरे में पिता का उखड़ा नाखून तो बेटे ने वेतन से कर दिया गांव को रोशन... पूरा गांव कर रहा वाह-वाह

वैशाली, राजेश। सेना के जवान जितेंद्र के वृद्ध पिता गांव में एक भोज में शामिल होने निकले। टार्च की मद्धिम रोशनी के कारण उनका पांव पत्थर से टकराया और नाखून उखड़ गया। वे दर्द से कराह उठे और काफी दिन तक इलाज कराते हुए बिस्तर पर पड़े रहे। फोन पर यह खबर मिली तो बेटे का खून खौल गया। होली में छुट्टी हुई तो जितेंद्र घर लौटे। पिता की तरह गांव में कोई और अंधेरे से जख्मी न हो, इसलिए गलियों का अंधेरा दूर करने का इरादा लेकर आए थे, लेकिन कोरोना के कारण लॉकडाउन में इससे बड़ा काम जरूरतमंदों को भोजन देना था। पूरा समय इसमें बीत गया। अब उन्होंने गांव को रोशन करने का काम शुरू करा दिया है। 

पिता की पीड़ा से लिया सबक

सरहद की सुरक्षा में लगे जितेंद्र कुमार बिदुपुर प्रखंड की रजासन पंचायत के निवासी हैं। बताते हैं कि ड्यूटी के दौरान पिता मुनारिक राय के पांव के जख्मी होने पर इतनी पीड़ा हुई कि गांव से अंधेरा दूर करने का संकल्प ले लिया। इसके लिए वेतन कुर्बान करने की ठान ली। पंचायत के वार्ड 3, 4, 5 और 6 में दो सौ जगहों की पहचान कराई, जहां अंधेरा पसरा रहता है। सभी जगहों पर स्ट्रीट लाइट लगवा रहे हैं। रात में अब किसी के पांव में ठोकर नहीं लगती। 

शाम होते ही रोशन हो रहीं गलियां

बकौल जितेंद्र, एक बल्ब की कीमत 70 रुपये और उसे खंभे पर तार के साथ लगाने में 130 रुपये खर्च आ रहा है। गांव को रोशन करने के लिए वेतन से 26 हजार रुपये वे खर्च कर चुके हैं। दिल्ली से ही पिता से बात कर पूरे गांव के पोल पर नौ वॉट के एलईडी बल्ब लगवाने शुरू किए। आज गांव की गलियां शाम होते ही रोशन हो उठती हैं। 

ग्रामीण बता रहे अनुकरणीय पहल

पंचायत समिति के सदस्य संजय कुमार कहते हैं कि शाम होते ही गांव की गलियां अंधेरे में डूब जाती थीं, क्योंकि शहरों की तरह गांवों में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं। जितेंद्र की पहल से अब गलियां रोशन रहती हैं। ग्रामीण श्याम बाबू साह इस पहल को अनुकरणीय बता रहे। 

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