पटना में अस्पताल से भागे दो ब्लैक फंगस के मरीज, डॉक्टर की एक बात सुनते ही खुद को रोक न सके
ब्लैक फंगस के मरीजों का हरसंभव इलाज करने के लिए जहां राज्य सरकार गंभीर है वहीं चिकित्सा व्यवस्था सरकार की इस कोशिश को कमजोर कर रही है। कोविड अस्पताल एनएमसीएच में दवा न होने की बात सुनकर दो मरीज भाग गए।
जागरण संवाददाता, पटना सिटी : कोरोना के बाद महामारी का रूप ले चुके ब्लैक फंगस के मरीजों का हरसंभव इलाज करने के लिए जहां राज्य सरकार गंभीर है वहीं चिकित्सा व्यवस्था सरकार की इस कोशिश को कमजोर कर रही है। कोविड अस्पताल एनएमसीएच के नाक-कान-गला विभाग स्थित ब्लैक फंगस वार्ड में भर्ती नौ मरीजों और उनके स्वजन को लाइपोसोमल एम्फेटेरेसिन बी इंजेक्शन खत्म होने की बात कह कर डॉक्टरों और कर्मचारियों ने इतना डरा दिया कि दो मरीज को लेकर स्वजन अस्पताल से भाग गए। जहानाबाद और बेगूसराय के इन दो मरीजों के नाम के आगे लामा यानी स्वेच्छा से फरार लिख कर डॉक्टरों ने उनका रजिस्टर बंद कर दिया। हैरत की बात यह है कि ईएनटी विभागाध्यक्ष को पता ही नहीं कि ब्लैक फंगस के कितने रोगी भर्ती हैं।
यह भी जानें
- दवा नहीं सुनते ही एनएमसीएच से ब्लैक फंगस के दो मरीज भागे
- अधीक्षक ने कहा-शनिवार तक के लिए आ गया लाइपोसोमल एम्फेटेरेसिन बी इंजेक्शन
- पांच सौ वायल और मांगे गए हैं स्वास्थ्य विभाग से, सात मरीज हैं भर्ती
स्वास्थ्य विभाग से मांगे 500 वायल इंजेक्शन
अधीक्षक डॉ. विनोद कुमार ङ्क्षसह ने बताया कि ब्लैक फंगस के सभी रोगियों को ईएनटी विभाग में ही भर्ती किया जाता है। बुधवार को नौ मरीज भर्ती थे। लाइपोसोमल एम्फेटेरेसिन बी इंजेक्शन खत्म होने की खबर मिलने के बाद दो मरीज लामा हो गए। गुरुवार को मरीजों के लिए एक सौ वाइल इंजेक्शन मिले हैं। इनसे शनिवार तक काम चलेगा। स्वास्थ्य विभाग से पांच सौ वायल इंजेक्शन और मांगा गया है। उन्होंने कहा कि इंजेक्शन नहीं होने पर पोसाकोनाजोल टैबलेट से मरीजों का इलाज किया जा सके इसलिए सरकार से उसकी भी मांग की गई है। यहां के डॉक्टर व कर्मचारी इलाज को तत्पर हैं, यदि रोगियों को कोई समस्या है तो वे मुझे इसकी सूचना दें। दवा का संकट है लेकिन उसकी व्यवस्था की जा रही है।