गूगल सर्च के जरिये डाक्टर बनने वाले बढ़ा रहे बीमारी, पटना के इन मरीजों का उदाहरण करेगा सतर्क
गूगल की डाक्टरी से बढ़ा रहे मर्ज आइजीआइएमएस में हर दिन साइड इफेक्ट वाले पहुंचे दर्जन भर से ज्यादा मरीज पहुंच रहे कोरोना संक्रमण के दौरान गूगल सर्च व वायरल मैसेज के आधार पर दवा लेने के मामले बढ़े
पटना, जयशंकर बिहारी। 'गूगल' सर्च कर खुद ही अपना इलाज कर रहे लोग मुसीबत में फंसते जा रहे, फिर भी इससे बाज नहीं आ रहे। महिलाओं और युवाओं में यह कुछ ज्यादा देखा जा रहा है, जो गूगल सर्च कर खुद ही डाक्टर बन जाते हैं। डाक्टरों के सामने ऐसे केस आने के बाद वे इस ट्रेंड को लेकर चिंतित हैं। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस), पटना के मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डा. अमित मिश्रा ने इस तरह की शिकायत शहरों से आती थी, पर अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी तेजी से बढ़ रही है।
डा. मिश्रा ने कहा कि गूगल पर पांच-दस मिनट सर्च कर किसी बीमारी और उसकी दवा के बारे में कैसे जान सकते हैं। इलाज का प्रोटोकाल होता है। सिर या पेट दर्द, बुखार, जलन आदि के दर्जनों कारण होते हैं। सभी के लिए अलग-अलग दवा व उपचार है। खुद ही दवा लेने के कारण साइड इफेक्ट वाले दर्जन भर से अधिक मरीज हर दिन पहुंच रहे हैं।
एम्स, पटना के डा. रवि कीर्ति कहते हैं कि मरीज को दवा के बारे में जानने का पूरा अधिकार है। गूगल सर्च कर जानकारी लेना गलत नहीं, पर डाक्टर की सलाह के बिना इसका सेवन या दवा छोड़ देना खतरनाक है। डाक्टर को भी मरीज को पूरी जानकारी देनी चाहिए।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. अमजद खान ने कहा कि कोरोना काल में इस तरह के मामले काफी बढ़ गए हैं। स्टेरायड आदि लेने के कारण काफी संख्या में लोग गंभीर होकर अस्पताल पहुंचे। गूगल सर्च से यह खुद ही कैसे तय कर सकते हैं कि किस दवा की कितनी डोज लेनी है। आंख में लाली के दो दर्जन से अधिक कारण होते हैं। गलत दवा लेने पर रोशनी कम या खत्म होने का खतरा बना रहता है।
केस एक : आइजीआइएमएस ओपीडी में नालंदा से पहुंचे श्रवण कुमार ने बताया कि बुखार और सर्दी-जुकाम होने पर गूगल सर्च कर एक सप्ताह तक ली थी। दो सप्ताह से सीने में हल्का-हल्का दर्द है। डाक्टर ने स्टेरायड के अनावश्यक सेवन का साइड इफेक्ट बताया है।
केस दो : राजवंशीनगर की अर्चना ने बताया कि न्यूरो से संबंधित परेशानी का इलाज चार साल से करा रही हैं। गूगल सर्च में मानसिक रोग की दवा बताने के बाद बंद कर दिया था। परेशानी बढऩे पर डाक्टर से दोबारा संपर्क करना पड़ा। उन्होंने कोर्स कांबिनेशन की जानकारी दी तो संशय दूर हुआ। तीन माह दवा नहीं खाने का खामियाजा बीमारी बढ़ाकर भुगत रही हैं।
केस तीन : आइजीआइएमएस में आंख दिखाने पहुंचे कंकड़बाग के पंकज राय ने बताया कि आंख में लाली आने के बाद सर्च कर कुछ ड्राप ले लिया था। लाली चली गई, लेकिन जलन मोल ले ली। डाक्टर ने गलत दवा का साइड इफेक्ट बताया है। कार्निया प्रभावित होने की आशंका जताई है। जांच कराने की सलाह दी है।