न गुजरात से शेर और न ही ओडिशा से बाघ आया बिहार, कोरोनावायरस संक्रमण ने रोकी दोनों की राह
तय योजना के तहत गुजरात से तीन शेर राजगीर जू सफारी के लिए लाए जाने थे। उसके एवज में पटना स्थित संजय गांधी जैविक उद्यान यानी पटना चिडिय़ाघर से एक मादा गैंडा को गुजरात भेजा जाना था। ओडिशा से बाघ को लाने की बात थी।
पटना, राज्य ब्यूरो। कोरोनावायरस महामारी ने आम जनजीवन के साथ ही वन्य जीवन से जुड़ी योजनाओं को भी प्रभावित किया है। गुजरात से शेर और ओडिशा से बाघ को नालंदा स्थित राजगीर जू सफारी के लिए लाया जाना था। अप्रैल में ही सरकार के स्तर पर यह कवायद शुरू हुई थी। संबंधित राज्यों को पत्र लिखा गया था, लेकिन फिलहाल इस मामले पर ब्रेक लग गया है। बताया जा रहा कि कोरोना की वजह से अभी अंतरराज्यीय स्तर पर शेर और बाघ की अदला-बदली पर रोक है। व्याघ्र परियोजना (टाइगर प्रोजेक्ट) पर विशेष रूप से बंदिश है। वैसे गुजरात के अधिकारियों की एक टीम इस सिलसिले में बिहार भी आई थी।
राज्य सरकार ने गुजरात और ओडिशा सरकार को लिखा था
तय योजना के तहत गुजरात से तीन शेर राजगीर जू सफारी के लिए लाए जाने थे। उसके एवज में पटना स्थित संजय गांधी जैविक उद्यान यानी पटना चिडिय़ाघर से एक मादा गैंडा को गुजरात भेजा जाना था। ओडिशा से बाघ को लाने की बात थी।
अंतरराज्यीय स्तर पर शेर व बाघ की अदला-बदली पर रोक
संबंधित अधिकारियों ने बताया कि अब इस बारे में नए सिरे से कवायद आरंभ होगी। कोरोना की वजह से एक शेर की मौत होने की खबर के बाद अंतरराज्यीय स्तर पर चिडिय़ाघर व सफारी के लिए जानवरों की अदला-बदली पर फिलहाल रोक लगी हुई है। कोरोना की पहली लहर के शांत होने पर इस दिशा में उम्मीद जगनी शुरू हुई थी, तब तक दूसरी लहर ने और भी प्रचंड रूप दिखा दिया।
राजगीर जू सफारी में दिखेंगे पांच किस्म के हिरण
पटना चिडिय़ाघर से भालू और हिरण राजगीर जू सफारी के लिए पहुंचाए जा चुके हैं। कुछ हिरण वहां पहले से थे। तय योजना के तहत राजगीर जू सफारी में पांच किस्म के हिरण को देखा जा सकेगा। पर्यटकों के भ्रमण के लिए भी पूरी व्यवस्था हो गई है। 20 कस्टमाइज्ड बसें भी लाई जा चुकी हैं।