Tokyo Paralympics 2020: बिहार के शरद के लड़खड़ाते कदम का सहारा बनी मां, लगवा दी कांस्य तक छलांग

पैरा एथलीट शरद कुमार ने हार नहीं मानी। पोलियोग्रस्त बायें पैर को उन्होंने अपने शरीर का सबसे मजबूत हिस्सा बनाया और टोक्यो पैरालिंपिक में ऊंची छलांग लगाकर कांस्य पदक जीत बिहार समेत देशवासियों को सबसे बड़ा तोहफा दिया।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Tue, 31 Aug 2021 07:38 PM (IST) Updated:Tue, 31 Aug 2021 07:38 PM (IST)
Tokyo Paralympics 2020: बिहार के शरद के लड़खड़ाते कदम का सहारा बनी मां, लगवा दी कांस्य तक छलांग
पटना में शरद कुमार के घर पर माता-पिता एक दूसरे को मिठाई खिलाते हुए।

अरुण सिंह, पटना। महज 18 माह की उम्र में पोलियो का शिकार पैरा एथलीट शरद कुमार ने हार नहीं मानी।  पोलियोग्रस्त बायें पैर को उन्होंने अपने शरीर का सबसे मजबूत हिस्सा बनाया और टोक्यो पैरालिंपिक में ऊंची छलांग लगाकर कांस्य पदक जीत बिहार समेत देशवासियों को सबसे बड़ा तोहफा दिया। शरद यह कामयाबी हासिल करने वाले बिहार के पहले पैरा एथलीट हैं। मंगलवार को ऊंची कूद की टी-63 स्पर्धा में कांस्य पदक विजेता शरद के पटना स्थित आवास पर जश्न का माहौल है। पिता सुरेंद्र कुमार, मां कुमकुम कुमारी और भाई सलज कुमार शरद की उपलब्धि पर गदगद हैं।  शरद को पैरों पर खड़ा करने में जो मेहनत उन्होंने की थी, उसका इनाम उन्हें आज मिल गया। 

टेनिस स्टार रोजर फेडरर हैं आइडियल

शरद ने कहा कि जो फाइटर होगा, वह जरूर जीतेगा। पैरालिंपिक पदक जीतने का मेरा सपना पूरा हुआ। मेरे आइडियल टेनिस स्टार रोजर फेडरर हैं, जिनसे मैंने आखिर तक लड़ने और हार न मानने की सीखी है। जिंदगी की तमाम कठिनाइयों का सामना करते हुए मैंने यह मुकाम हासिल किया है। मैं चाहूंगा कि अन्य एथलीट भी पैसे व ग्लैमर के पीछे न पड़कर अपने लक्ष्य की ओर बढ़े। उन्हेंं कामयाबी जरूर मिलेगी।

बेटा मैं नहीं हारी तो तुम कैसे निराश हो सकते हो

स्पर्धा से कुछ घंटे पूर्व शरद ने पैर में चोट लगने की बात मां को बताई। वह फोन पर ही रोने लगा और स्पर्धा के लिए खुद को संक्षम न होने की बात कही। यह सुनते ही मां ने कहा कि जब 18 माह में तुम्हे पोलियो हुआ तो मैं नहीं हारी तो अब तो बात देश की है। तुम कैसे पीछे हट जाओगे। जुनूनी बनो और आगे बढ़ो। पिता सुरेंद्र ने कहा कि समय-समय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शरद का हौसला बढ़ाते रहे, जिसकी बदौलत उसे कामयाबी मिली। 

रियो में रहे छठे स्थान पर

पूर्व विश्व नंबर एक रहे शरद ने दक्षिण कोरिया पैरा एशियाड में स्वर्ण पदक  और 2016 रियो पैरालिंपिक में छठा स्थान हासिल किया। इसके बाद उन्हेंं ट्रेनिंग के लिए यूक्रेन भेजा गया, जो उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। इसके बाद 2018 जार्काता पैरा एशियाड में शरद ने स्वर्णिम छलांग लगाई और वहां उसे वे आगे बढ़ते चले गए।

शरद की उपलब्धियां

-2014 दक्षिण कोरिया पैरा एशियाड में 12 साल का एशियाई रिकार्ड तोड़ कर स्वर्ण पदक जीता

-2018 जकार्ता पैरा एशियाड में स्वर्ण पदक

2017 पैरा विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक

-2018 में अर्जुन पुरस्कार मिला

2020 पैरालिंपिक : कांस्य पदक

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