भारत को 41 साल बाद मिला पदक खोल रहा नई राह, अब बदलेगी बिहार हाकी की सूरत

भारतीय हाकी का स्वर्णिम अतीत अब इतिहास के पन्नों की बात नहीं रह गया। यह जीत नई राह खोल रही है। ओलिंपिक में चार दशक बाद इस मेडल का महत्व बिहार के संदर्भ में इसलिए बढ़ जाता है कि अभी इसकी सबसे जरूरत अपने राज्य को थी।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 08:49 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 08:49 PM (IST)
भारत को 41 साल बाद मिला पदक खोल रहा नई राह, अब बदलेगी बिहार हाकी की सूरत
भारतीय हाकी टीम के पूर्व कप्तान अजितेश राय।

अरुण सिंह, पटना। अद्भुत, अद्वितीय और अकल्पनीय है 41 साल बाद मिला यह पदक। भारतीय हाकी का स्वर्णिम अतीत अब इतिहास के पन्नों की बात नहीं रह गया। यह जीत नई राह खोल रही है। ओलिंपिक में चार दशक बाद इस मेडल का महत्व बिहार के संदर्भ में इसलिए बढ़ जाता है कि अभी इसकी सबसे जरूरत अपने राज्य को थी। बिहार के वरीय हाकी कोच योगेश कुमार ने बताया कि इस बार हाकी को हर भारतीय और सरकार का साथ मिला है।  हाकी इंडिया पूरी तरह प्रोफेशनल तरीके से काम कर रही है। देश की इस मुहिम में बिहार भी कंधे से कंधा मिला कर साथ चले। 1980 मास्को ओलिंपिक हाकी स्वर्ण पदक विजेता टीम में अविभाजीत बिहार से सिलवानुस डुंगडुंग और मनोहर टोपनो थे। उस जीत से बिहार में हाकी की लोकप्रियता बढ़ी थी। टोक्यो में मिली जीत यहां के खिलाडिय़ों में नए जोश, का संचार करेगी। वे राष्ट्रीय खेल में अपना योगदान देने आगे आएंगें। सरकार एक अदद एस्ट्रो टर्फ मैदान उपलब्ध करा दे। हाकी बिहार अपनी जिम्मेदारी से काम करे तो शेष बिहार में भी एक बार फिर डुंगडुंग, टोपनो, भरत छेत्री और अजितेश राय जैसे खिलाड़ी निकलेंगे, जो राज्य हाकी की सूरत बदल देंगे।

जिलों में भी हाकी एकेडमी खोलने की जरूरत

हाकी बिहार के सचिव मोहम्मद मुश्ताक अहमद ने कहा कि 41 साल बाद मिले कांस्य पदक के लिए भारतीय टीम को बधाई। हाकी इंडिया का महासचिव रहते मैंने राज्य सरकार से एस्ट्रो टर्फ मैदान के लिए जमीन मुहैया कराने की मांग की थी। 2011 में फिजिकल कालेज परिसर में ध्यानचंद के नाम पर एस्ट्रो टर्फ मैदान बनाने की घोषणा भी हुई थी। राजगीर की तरह अन्य जिलों में भी हाकी एकेडमी खोलने की जरूरत है, जिसका फायदा खिलाड़ियों को होगा।

खिलाड़ी मेहनत करना जारी रखें

भारतीय हाकी टीम के पूर्व कप्तान अजितेश राय ने कहा कि अगर मैं बिहार से निकल भारतीय हाकी टीम की कमान संभाल सकता हूं, तो मेरे राज्य के अन्य खिलाड़ी भी ऐसा कर सकते हैं। वे मेहनत करना जारी रखें। शार्ट कट से बचें और लक्ष्य तय कर आगे बढ़ें। उन्हेंं कामयाबी जरूर मिलेगी।  खिलाड़ियों की मांगें -राज्य में विशेष कर पटना, मुजफ्फरपुर, खगडिय़ा और पूर्णिया में जल्द से जल्द एस्ट्रो टर्फ मैदान बने। -केंद्र प्रायोजित हाकी प्रशिक्षण के लिए साई से संपर्क कर जल्द से जल्द ट्रेनिंग सेंटर खोलने की कोशिश की जाए। -एकलव्य हाकी प्रशिक्षण केंद्र की संख्या बढ़े और उसे सुचारु रूप से चलाया जाए। उसके लिए पैसों का भुगतान समय पर हो। -खेल विभाग और विद्यालय में कार्यरत हाकी प्रशिक्षकों को मैदान में प्रशिक्षण के लिए लगाया जाए। इसमें पूर्व खिलाड़ियों की भी मदद ली जाए। -प्रतिभावान खिलाड़ी को ज्यादा से ज्यादा नौकरी में प्राथमिकता दी जाए। अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी को सीधे डीएसपी पद पर बहाल करने के लिए नियम में संशोधन हो।

हाकी बिहार से मांग 
-राज्य में नियमित रूप से विभिन्न आयु वर्ग की प्रतियोगिता तथा जिला लीग का आयोजन हो। -राष्ट्रीय प्रतियोगिता से पूर्व लंबी अवधि के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन हो। किसी भी स्तर के खिलाड़ी के चयन के लिए एक चयन समिति का गठन किया जाए। इसमें पूर्व खिलाड़ी तथा प्रशिक्षक को भी शामिल किया जाए।

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