दावत को ईको फ्रेंडली बनाने आ गई ये सस्‍ती कप-प्‍लेट, अब प्‍लास्टिक और थर्मोकोल को कर दें बाय-बाय

नौकरी छोड़ मक्के के छिलके से बना रहे कप-प्लेट मुजफ्फरपुर के मुरादपुर गांव के रहने वाले एमटेक पास मोहम्मद नाज कर रहे हैं निर्माण कहा-प्लास्टिक का बेहतर विकल्प डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि पूसा के वैज्ञानिकों ने भी सराहा

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 11:52 AM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 11:52 AM (IST)
दावत को ईको फ्रेंडली बनाने आ गई ये सस्‍ती कप-प्‍लेट, अब प्‍लास्टिक और थर्मोकोल को कर दें बाय-बाय
प्‍लास्टिक से बनी कप प्‍लेट को अब कहें बाय-बाय। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, प्रभात रंजन। प्लास्टिक निर्मित कप-प्लेट आप सभी ने देखा भी है और उपयोग करते आ रहे हैं। प्लास्टिक से बनी वस्तुएं न सिर्फ पर्यावरण के लिए, बल्कि इंसानों के लिए घातक साबित हो रहा है। इसका विकल्प मक्के के छिलके भी हो सकते हैं। मक्के के छिलके से कप, कोटरी, साबुन के रैपर आदि का निर्माण मुजफ्फरपुर के मुरादपुर गांव के रहने वाले एमटेक पास मोहम्मद नाज करने में लगे हैं। कीमत भी ज्यादा नहीं, महज एक रुपये में एक कप-प्लेट। उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान की ओर से गांधी मैदान स्थित खादी माल परिसर में राज्य पुरस्कार प्रतियोगिता में भाग लेने आए मोहम्मद नाज छिलके से कई प्रकार की उपयोगी सामग्री बना लोगों को आकर्षित करने में लगे हैं।

नौकरी छोड़ कुछ अलग करने की चाह  

सामान्य परिवार से आने वाले मोहम्मद नाज बताते हैं, वर्ष 2016 में हैदराबाद के जवाहर लाल नेहरू टेक्निकल विश्वविद्यालय से एमटेक की डिग्री प्राप्त की थी। उसके बाद प्राइवेट कपंनी में अच्छे पैकेज की नौकरी भी मिली, लेकिन मन में कुछ अलग करने की चाह हमेशा से रही। वहीं, इसी क्रम में गांव जाने का मौका मिला। गांव जाने के बाद मक्के के छिलके पर नजर पड़ी तो दिमाग में विचार आया कि प्लास्टिक की जगह छिलके से कप-प्लेट आदि सामग्री बनाई जा सकती है, जो पर्यावरण के लिए उपयोगी साबित होगा। छिलके से तैयार सामग्री की प्रदर्शनी विभिन्न जिलों में लगाई गई तो लोगों ने खूब सराहा। नाज बताते हैं कि डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि पूसा के वैज्ञानिकों ने भी इसे बेहतर बताया है।

किसानों को भी मिलेगा इसका लाभ

मोहम्मद नाज ने बताया कि बिहार में मक्के की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इसके छिलके की उपयोगिता को समझाने के बाद किसान भाई बड़े पैमाने पर मक्के की खेती कर लाभ उठा सकते हैं। किसान भाइयों से मक्के के छिलके प्राप्त कर प्लास्टिक की जगह इसके जरिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण कर उन्हें आर्थिक मदद कर सकते हैं।

आरंभ के दिनों में आए थे कुछ जगहों से आर्डर

मक्के के छिलके से निर्मित प्लेट आरंभ के दिनों में तैयार करते थे। इसके प्रचार-प्रसार के लिए गांव-गांव घूमा करते थे। कुछ लोगों ने इसकी सराहना करते हुए आर्डर भी दिए। बाद के दिनों में थोड़ी परेशानी का सामाना करना पड़ा। एक दिन में एक हजार प्लेट तैयार कर अगले दिन बाजार में जाते थे। पूंजी के अभाव में व्यापक पैमाने पर मशीन नहीं लगने से प्रचार-प्रसार ढंग से नहीं हो पा रहा।

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