रहस्‍यमयी वायरल बुखार का असर पांच वर्ष तक के बच्‍चों पर अधिक, पटना के डाक्‍टर ने बताई वजह

Third wave of coronavirus कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच बिहार और उत्‍तर प्रदेश में अनजान वायरस से तेजी से फैल रहा रहस्‍यमयी बुखार जानलेवा बन रहा है। सामान्‍य वायरल बुखार की तुलना में यह अधिक दिनों तक और गंभीर असर दिखा रहा है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Fri, 10 Sep 2021 08:54 AM (IST) Updated:Fri, 10 Sep 2021 08:54 AM (IST)
रहस्‍यमयी वायरल बुखार का असर पांच वर्ष तक के बच्‍चों पर अधिक, पटना के डाक्‍टर ने बताई वजह
वायरल बुखार से बच्‍चे हो रहे बीमार। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। Third Wave of Coronavirus: कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच बिहार और उत्‍तर प्रदेश में अनजान वायरस से तेजी से फैल रहा रहस्‍यमयी बुखार जानलेवा बन रहा है। सामान्‍य वायरल बुखार की तुलना में यह अधिक दिनों तक और गंभीर असर दिखा रहा है। कुछ बच्‍चों की तो जान तक जा रही है। नतीजा है कि पटना के प्रमुख अस्‍पतालों के बच्‍चों के वार्ड फुल हैं। डाक्‍टरों के मुताबिक यह बुखार पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में ही गंभीर लक्षण दिखा रहा है। पीएमसीएच व एनएमसीएच के पीकू व वार्ड में भर्ती बच्चों में ज्यादातर इसी उम्र के हैं। पीडियाट्रिक आइसीयू में भर्ती होने वालों में एक वर्ष से कम उम्र के शिशुओं की संख्या सर्वाधिक है। वहीं पांच वर्ष तक के बच्चों का आक्सीजनयुक्त बेड पर ही इलाज हो जाता है।

छह वर्ष से अधिक बच्‍चे घर पर ही हो रहे ठीक

छह वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे दवाओं और ब्रांकोडायलेटर से नेबुलाइज कर घर पर ही ठीक हो रहे हैं। ये जानकारी शिशु रोग विशेषज्ञ इंडियन एसोसिएशन आफ पीडियाट्रिक की नेशनल एक्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्य डा. बीरेंद्र कुमार सिंह ने दी। बताते चलें कि दो दिनों से पीएमसीएच और एनएमसीएच की पीडियाट्रिक आइसीयू फुल है।  

पांच वर्ष तक के बच्चों में क्यों आ रहे गंभीर लक्षण

डा. बीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि शिशुओं व पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सांस नली व फेफड़े दोनों पूर्ण रूप से विकसित नहीं होते हैं। ऐसे में ब्रांकियोलाइटिस संक्रमण होने पर सांस नली में सूजन और म्यूकस भरने से बच्चों को सांस फूलने, खांसी व सांस लेने में तकलीफ की शिकायत होने लगती है। ऐसे में बच्चा सुस्त हो जाता है और दूध पीना बंद कर देता है। ये गंभीर लक्षण होते हैं और ऐसे में तुरंत बच्चे को नजदीकी अस्पताल ले जाना चाहिए।

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