गंगा दशहरा पर पटना में घाटों पर खूब हुआ भूत खेला, प्रशासन में नहीं दिखी रोकने की कोई फिक्र
यहां भूत भगाने के लिए मुर्गे भी काटे गए। नौबतपुर से आई रानी कुमारी ने बताया कि दो साल से गांव में ओझा-गुणी को दिखाया पर फायदा नहीं हुआ। इसलिए यहां आई हैं। घाट पर ओझाई करने वाले मंगरु ङ्क्षसह सुबह से ही यहां डटे थे।
पटना, जागरण संवाददाता। विज्ञान के इस युग में भी समाज में अंधविश्वास किस तरह कायम है, इसका नजारा रविवार को दीघा घाट पर गंगा किनारे दिखा। सुदूर गांव-कस्बों की छोड़ दें, लोग राजधानी में भूत भगाने के लिए झाड़-फूंक करा रहे थे। गंगा दशहरा के मौके पर जहां एक ओर गंगा में पुण्य डुबकी लगाई जा रही थी, वहीं दूसरी ओर ओझा-गुणी ने भी अपनी दुकान सजा ली थी। कोरोना संक्रमण की भी परवाह नहीं। न तो मास्क, न ही शारीरिक दूरी।
राजधानी में ओझा खुलेआम उतार रहे थे भूत, प्रशासन का पता नहीं
यहां भूत भगाने के लिए मुर्गे भी काटे गए। नौबतपुर से आई रानी कुमारी ने बताया कि दो साल से गांव में ओझा-गुणी को दिखाया, पर फायदा नहीं हुआ। इसलिए यहां आई हैं। घाट पर ओझाई करने वाले मंगरु ङ्क्षसह सुबह से ही यहां डटे थे। क्या भूत-प्रेत देखा है? सवाल पर कुतर्क कि यह लोगों के विश्वास का विषय है। इन्हें रोकने-टोकने को प्रशासन कहीं नहीं दिखा।
पटना के कई घाटों पर ओझा गुनी के बहाने बढ़ा अंधविश्वास
पुनपुन से आईं मीरा कुमारी भी यहीं ओझा से दिखाने आई थीं। न सिर्फ दीघा घाट, बल्कि समाहरणालय घाट और पटना सिटी के घाटों पर यह खेल चलता रहा। डायन-बिसाही और ओझा-गुणी के बहाने लोगों को बेवकूफ बनाने का खेल किस तरह चल रहा है, यह इसका उदाहरण इसका कारण है अशिक्षा और जागरूकता की कमी। इसी चक्कर में डायन आदि के नाम पर हत्या तक कर दी जाती है।
कोरोना गाइडलाइन की भी अनदेखी
ओझा गुनी के नाम पर अंधविश्वास बढ़ाने के साथ ही लोगों को जुटाकर कोरोना गाइडलाइन की भी जमकर अनदेखी हुई। बावजूद घाटों पर तैनात पुलिस वाले सब कुछ देख कर अनजान बने रहे। कुछ पुलिस वालों का कहना था कि धार्मिक मामला होने के कारण वे इसमें दखल नहीं दे रहे हैं, लेकिन लोगों को जल्दी घर लौटने के लिए जरूर समझा रहे हैं।