40 की उम्र के बाद बढ़ जाता है आस्‍टि‍योपोरोसिस का खतरा, पटना के डाक्‍टरों ने बताए बचाव के उपाय

खान-पान में अनियमितता के कारण लोग विटामिन व कैल्शियम की कमी का खामियाजा भुगत रहे हैं। बुजुर्गों में होने वाली आस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) अब युवाओं को भी चपेट में ले रही है। इस बीमारी में फ्रैक्चर का खतरा काफी बढ़ जाता है।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 08:58 AM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 08:58 AM (IST)
40 की उम्र के बाद बढ़ जाता है आस्‍टि‍योपोरोसिस का खतरा, पटना के डाक्‍टरों ने बताए बचाव के उपाय
40 की उम्र के बाद कैसे करें आस्‍टियोपोरोसिस से बचाव। सांकेतिक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। खान-पान में अनियमितता के कारण लोग विटामिन व कैल्शियम की कमी का खामियाजा भुगत रहे हैं। बुजुर्गों में होने वाली आस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) अब युवाओं को भी चपेट में ले रही है। इस बीमारी में फ्रैक्चर का खतरा काफी बढ़ जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, अनियमित दिनचर्या के कारण 40 की उम्र के बाद इसका खतरा 30-40 फीसद तक बढ़ जाता है। हल्की चोट में भी हड्डियां टूटने लगती हैं। आइजीआइएमएस (IGIMS) के वरीय हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. रीतेश रूनु ने बताया कि आमतौर पर यह रोग 55-60 वर्ष के लोगों को होता था। अब, यह 40 पार के लोगों में भी होने लगी है। स्टेरायड के अधिक सेवन, धूमपान, किडनी व स्किन के मरीज व मधुमेह के रोगियों में 40 वर्ष के बाद से ही इसका 30-40 फीसद खतरा बढ़ जाता है।

जीवनशैली में बदलाव कर कम किया जा सकता है खतरा 

एलएनजेपी हड्डी सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल (LNJP Superspeciality Hospital) के पूर्व निदेशक डा. एचएन दिवाकर ने बताया कि हड्डियों के ढांचे में जैविक व मिनरल का अजैविक हिस्सा होता है। अनियमित जीवनशैली के कारण जैविक हिस्से के कमजोर होने से यह परेशानी होती है। पीएमसीएच (PMCH) के वरीय हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. मारूति नंदन ने बताया कि जीवनशैली में बदलाव कर शरीर को गतिमान रखते हुए आस्टियोपोरोसिस का खतरा कम किया जा सकता है। 

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मौसम्बी प्रभावी

आयुर्वेदाचार्य लंगरटोली स्थित दुबे क्लिनिक के निदेशक डा. सुनील कुमार दुबे ने कहा कि मौसम्बी गुप्त व अन्य रोगों के उपचार में रामबाण है। इसके रस के लगातार उपयोग से यौन समस्याओं में लाभ होता है। मधुमेह में भी इसका आंवला और शहद के साथ सेवन फायदेमंद है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हुए बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। इसके उपयोग से कोलेस्ट्राल का लेवल कम होता है। बीपी की समस्या में भी लाभ मिलता है। कोरोना के इस दौर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में यह अत्यंत प्रभावी है।

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