Lalu Yadav Birthday Special: कांग्रेस की पुरानी राजनीतिक धारा को लालू यादव ने दिया था मोड़, हनक अभी बरकरार

Lalu Yadav Birthday Special सारण की माटी ने सूबे की सियासत को बार-बार मजबूती दी है। बिहार को छह मुख्यमंत्री देने वाले सारण ने कई सियासी हस्तियां दी हैं। उनमें राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद भी एक हैं। वे सारण के ऐसे राजनीतिक हस्ती बने।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 04:57 PM (IST) Updated:Fri, 11 Jun 2021 09:12 AM (IST)
Lalu Yadav Birthday Special: कांग्रेस की पुरानी राजनीतिक धारा को लालू यादव ने दिया था मोड़, हनक अभी बरकरार
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव। जागरण आर्काइव।

जागरण संवाददाता, छपरा : सारण की माटी ने सूबे की सियासत को बार-बार मजबूती दी है। बिहार को छह मुख्यमंत्री देने वाले सारण ने कई सियासी हस्तियां दी हैं। उनमें राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद भी एक हैं। वे सारण के ऐसे राजनीतिक हस्ती बने, जिन्होंने यहां के सियासी कैनवास पर चटख रंग भरकर कांग्रेस काल की पुरानी राजनीति की धारा को ही मोड़ दिया। 11 जून 1948 को गोपालगंज जिले के फुलवरिया में एक साधारण परिवार में उनका जन्म हुआ। लेकिन, उन्होंने अपना कर्म क्षेत्र छपरा को बनाए रखा है। लोकसभा में यहां का चार टर्म वे प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। पहली बार जेपी लहर में कांग्रेस के गढ़ को ध्वस्त कर वे यहीं से लोकसभा की दहलीज पर पहुंचे थे। जिले के सोनपुर विधानसभा क्षेत्र से वे दो बार विधायक निर्वाचित हुए। यहीं के विधायक रहते वे विधानसभा में नेता विरोधी दल बने। यहां की सियासत में राजद सुप्रीमो की हनक आज भी बरकारार है, तभी तो यहां के 10 विधानसभा क्षेत्रों में छह पर आज भी राजद का कब्जा है। 

29 साल की उम्र में पहली बार बने छपरा के सांसद 

1977 तक सारण की धरती कांगे्रसियों का गढ़ था। इस गढ़ को लालू प्रसाद ने ही 1977 के जेपी लहर में ध्वस्त किया और 29 साल की उम्र में पहली बार छपरा के सांसद बने। चारा घोटाले में सजायफ्ता होने पर जब लोकसभा की उनकी सदस्यता छिनी गई तब भी वे यहीं के सांसद थे। 1977 में उन्होंने लगातार तीन टर्म सांसद रहे कांग्रेस के रामशेखर ङ्क्षसह को रिकार्ड 3,73,800 मतों के अंतर से पराजित किया था। 1952 के पहले संसदीय चुनाव से 2019 के लोकसभा चुनाव तक कोई भी सांसद इतने भारी मतों से जीत नहीं हासिल किया है। स्वयं लालू प्रसाद भी बाद के चुनावों में अपने उस रिकार्ड को नहीं तोड़ पाए।

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धारा के विपरित भी यहां लोगों ने चुना सांसद

1977 के चुनाव में बड़े वोटों के अंतर से सांसद बनने के बाद लालू प्रसाद 1989, 2004 और 2009 में भी यहां से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए। 2009 के चुनाव का उनका रिजल्ट धारा के विपरित था। बीजेपी की पूरे देश में लहर थी और उस लहर में भी यहां के लोगों ने उन्हें अपना सांसद चुना। 1980 और 1985 में जिले के सोनपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए। 15 वीं लोकसभा के दौरान यूपीए सरकार में 2004-09 तक जब वे रेल मंत्री रहे तो छपरा के ही सांसद थे। कोर्ट की चुनावी बंदीश में भी उन्होंने छपरा को नहीं छोड़ा और अपनी पत्नी राबड़ी देवी को 2014 के संसदीय चुनाव में प्रत्याशी बनाया। हालांकि वर्तमान बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूढी से वे परास्त हो गयीं।

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छपरा का सांसद रहते ही सीएम की कुर्सी पर बैठे 

लालू प्रसाद छपरा का सांसद रहते ही 1990 में पहली बार सूबे के सीएम की कुर्सी पर बैठे। वे तीन उम्मीदवारों के बीच मुख्यमंत्री चुने गए थे। हालांकि उनके पास विधायकों की संख्या 50 फीसदी से भी कम थी। वे 10 मार्च 1990 से 28 मार्च 1995 व 4 अप्रैल 1995 से 25 जुलाई 1997 तक सूबे के सीएम रहे। 

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