धार्मिक पर्यटन के जरिये बदल रही बिहार की पहचान, हर धर्म से बड़े तीर्थस्थल हैं इस राज्य में
राष्ट्रीय पर्यटन दिवस आज धार्मिक स्थलों को सर्किट से जोड़ पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा पर्यटकों को हमेशा से आकर्षित करती रही है बिहार की धरती यहां से जुड़े रहे हैं भगवान बुद्ध महावीर गुरु गोविंद सिंह व मां सीता
पटना, जागरण संवाददाता। National Tourism Day: बिहार की भूमि भगवान बुद्ध, महावीर, गुरु गोविंद सिंह के साथ मां सीता की धरती रही है। बिहार अपने अंदर कई इतिहास छिपाए है। पर्यटकों को यहां की धरती हमेशा से आकर्षित करती रही है। ऐसे में सरकार प्रमुख ऐतिहासिक व धार्मिक पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने के साथ उनके विकास को लेकर निरंतर कार्य कर रही है। पयर्टकों को सुविधा देने को लेकर राज्य में कई धार्मिक सर्किट का निर्माण कार्य आरंभ किया गया। कई सर्किट का काम लगभग पूरा हो गया है। राज्य में जैन, कांवरिया, गांधी सर्किट आदि बनाए गए हैं। वहीं, आने वाले दिनों में अन्य सर्किट का विकास होगा। राष्ट्रीय पर्यटन दिवस पर धार्मिक सर्किट से जुड़ी रिपोर्ट
जैन तीर्थ स्थलों पर भगवान महावीर स्वामी की जीवन यात्रा
बिहार जैन धर्मावलंबियों का लिए पावन स्थल है। जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्म भी यहीं हुआ था। बिहार के नालंदा जिले के पावापुरी में जल मंदिर, जमुई के जैन मंदिर लछुआर, जैन मंदिर नाथनगर भागलपुर, बासोकुंड वैशाली जैन मंदिर, कुंडलापुर जैन मंदिर नालंदा, कमलदह मंदिर पटना, गुणावां जैन मंदिर नवादा, जैन मंदिर भोजपुर, जैन मंदिर बांका, जैन मंदिर चंपानगर भागलपुर आदि जगहों जैन धर्म से जुड़े मंदिरों का निर्माण किया गया है। ये सभी मंदिर जैन सर्किट से जुड़े हैं, जिसकी अपनी महत्ता है।
पर्यटकों की सुविधा के लिए भारत सरकार और बिहार सरकार के सहयोग से जैन सर्किट बनाए गए हैं। जैन सर्किट के बहाने पटना सहित प्रदेशों के बड़े जैन मंदिर के पास पर्यटकों को ठहरने, गाड़ी पार्क करने के साथ खाने-पीने की सामग्री उपलब्ध रहेगी। पर्यटन निगम की ओर से जैन सर्किट तैयार करने को लेकर केंद्र सरकार की ओर से मंजूरी मिली है। बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक श्रीप्रभाकर की मानें तो जैन सर्किट बनाने को लेकर लगभग काम पूरा हो गया है। कुछ कार्य बचे हैं, जिसे वर्ष के अंत तक पूरा कर जैन अनुयायियों के लिए खोल दिया जाएगा। वहीं विभाग के मुख्य अभियंता सुरेश चौधरी की मानें तो जैन सर्किट, कावंरिया सर्किट गांधी सर्किट आदि के कार्य लगभग पूरे हो गए हैं।
बाबा भोलेनाथ की नगरी में कांवरिया सर्किट
बाबा बैद्यनाथ की धरती देवघर में प्रतिवर्ष सावन के महीने में शिव भक्तों की भीड़ लगी रहती है। वहीं देश-विदेश के पर्यटक भी बाबा भोले नाथ का दर्शन करने आते हैं। ऐसे में देवघर के रास्ते कांवरिया सर्किट बनाने को लेकर केंद्र सरकार से मंजूरी मिलते ही काम आरंभ हो गया है। कांवरिया सर्किट के जरिए पर्यटकों को कई प्रकार की सुविधा मिलेगी। सर्किट का कार्य लगभग पूरा हो गया है।
वहीं महात्मा गांधी के चंपारण यात्रा के सौ वर्ष पूरे होने पर गांधी सर्किट को विकसित करने को लेकर भारत पर्यटन मंत्रालय द्वारा स्वदेश दर्शन योजना के मंजूरी दी गई थी। सर्किट निर्माण को लेकर लगभग कार्य पूरे हो गए हैं। दक्षिण चंपारण के भितरहवा आश्रम, पूर्वी चंपारण के चंद्राहिया आदि जगहों पर सर्किट के जरिए पर्यटकों को लाभ मिलेगा। वहीं, एतिहासिक पर्वतों में से एक मंदार पर्वत को ऐतिहासिक रूप से विकसित करने को लेकर सर्किट बनाने की दिशा में काम तेजी से चल रहा है। वहीं रोपवे को लेकर निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। पर्यटन निगम के अधिकारियों की मानें तो यह सारी सुविधाएं जल्द ही पर्यटकों को मिलेंगी।