जनता दरबार में सीएम नीतीश कुमार से शिकायत का दिखा असर, आठ एकड़ जमीन की बदलने लगी सूरत

जनता दरबार में शिकायत के दसवें दिन नालंदा शासन हरकत में आया और आठ एकड़ जमीन को सालों भर जल-जमाव से मुक्ति की पहल शुरू कर दी गई। किसानों की लगभग आठ एकड़ जमीन पर कई साल से पूरे बाजार का गंदा पानी गिर रहा था।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 04:12 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 04:12 PM (IST)
जनता दरबार में सीएम नीतीश कुमार से शिकायत का दिखा असर, आठ एकड़ जमीन की बदलने लगी सूरत
जनता दरबार में शिकायत सुनते नीतीश कुमार। जागरण आर्काइव।

संवाद सूत्र गिरियक (नालंदा) : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार में शिकायत के दसवें दिन नालंदा में शासन हरकत में आया और आठ एकड़ जमीन को सालों भर जल-जमाव से मुक्ति की पहल शुरू कर दी गई। दरअसल, गिरियक बाजार के सटे किसानों की लगभग आठ एकड़ जमीन में कई साल से पूरे बाजार का गंदा पानी गिर रहा था। जिससे उसमें कुछ भी उपजाना संभव नहीं था। बरगहिया नाला जाम पड़ा था।

स्थानीय अफसरों से आग्रह का कोई असर नहीं हुआ तो अंतत: 20 जुलाई को किसान मुख्यमंत्री के जनता दरबार पहुंच गए और उन्हें अपनी मुसीबत सुनाई। मुख्यमंत्री ने इस पर सख्त रुख दिखाया था। कहा कि अधिकारी जल्द से जल्द खेत से जल-जमाव दूर कराएं। वे कभी भी खुद मुआयना करने पहुंच सकते हैं। यही वजह रही कि शिकायत के दसवें दिन स्थानीय प्रशासन ने जेसीबी और मजदूरों को जाम पड़े नाले की उड़ाही में लगा दिया। अब उम्मीद है कि दो से तीन दिनों में किसानों को जल जमाव से मुक्ति मिल जाएगी। इससे पहले राजगीर एसडीओ ने मौके का निरीक्षण किया था और सीओ अलखनिरंजन यादव को निर्देश दिया था कि जैसे भी हो नाले के पानी से किसी किसान की फसल को बर्बाद नहीं होनी चाहिए।

पांच साल बाद नीतीश ने शुरू किया जनता दरबार

बता दें कि बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने पांच साल बाद 12 जुलाई से फिर जनता दरबार का सिलसिला आरंभ किया है। इसमें नीतीश लोगों की समस्या जानकार उसका निवारण करते हैं। जनता दरबार के दौरान  कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए लोग शामिल होते हैं। इसमें कई विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहते हैं। नीतीश जनता की समस्या सुनकर तुरंत जिम्मेदार अधिकारियों से बात तरते हैं। जनता दरबार के दौरान नल का जल, ग्रामीण सड़क, समाज कल्याण, स्टूडेंट्स क्रेडिट कार्ड, पंचायती राज, स्वास्थ्य, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के मामले सामने आए। 

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