सैनिक को अंतिम विदाई देने के लिए निकल पड़ा कारवां, आठ किलोमीटर तक पैदल चले सिवान के लोग
राजस्थान के बीकानेर में पोस्टेड सिवान निवासी बबलू सिंह की मौत करंट लगने से हो गई। वहां से तिरंगे में लिपटा शव गांव पहुंचते ही गगनभेदी नारे गूंजने लगे। उनको अंतिम विदाई देने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचे।
बसंतपुर (सिवान), संवाद सूत्र। शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पे मरने वालों का यही बाकी निशां होगा। देश के लिए शहादत देने वालों के सम्मान में हर भारतीय का शीश श्रद्धा से झुक जाता है। सिवान निवासी एक सैनिक की मौत करंट लगने से राजस्थान के बीकानेर में हो गई। दो दिन तक जिंदगी की जंग लड़ने के बाद आखिरकार इस वीर की सांसें थम गईं। शव वहां से आते ही, उनकी अंतिम विदाई के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। दूरियां भी जैसे कम पड़ गईं।
दो दिन पहले थम गई थीं सासें
राजस्थान के बीकानेर में तैनात सेना के जवान बबलू सिंह को करंट लग गया था। दो दिन पहले इलाज के क्रम में उनकी मौत हो गई। शनिवार की सुबह उनका शव उनके पैतृक गांव लकड़ी नबीगंज के किशुनपुरा लाया गया। सेना के जवान और पदाधिकारी बबलू सिंह का पार्थिव देह लेकर यहां पहुंचे। परिवार में कोहराम मच गया। साथ ही बबलू सिंह अमर रहे नारे भी गूंजने लगे।
तिरंगा लिए सैकड़ों की संख्या में पहुंचे लोग
जिले के लाल की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए मलमलिया चौक से हजारों की संख्या में लोग उनके गांव पहुंचे। शव यात्रा में शामिल होने के लिए युवा, बुजुर्ग सहित काफी संख्या लोग कई किलोमीटर पैदल ही चल पड़े। हाथों में तिरंगा लिए ये लोग देशभक्ति के नारे लगा रहे थे। बबलू सिंह अमर रहे, जब तक सूरज चांद रहेगा, बबलू तेरा नाम रहेगा जैसे नारे लगाते इन लोगों का हुजूम फिजाओं में देशप्रम की भावना फैला रहा था। लोग जैसे जैसे किशुनपुरा कि तरफ बढ़ रहे थे, भीड़ भी वैसे वैसे बढ़ती जा रही थी। मानों कारवां बनता जा रहा था। बबलू का शव उनके पैतृक गांव में रखा गया था। वहां लोग अंतिम दर्शन कर रहे थे। इसके बाद उनके शव को अंत्येष्टि के लिए ले जाने की तैयारी की जाने लगी।