Bihar Mahagathbandhan News: सीट बंटवारे पर महागठबंधन में जिच, राजद की टूट ने दिया साथी दलों को हौसला

Bihar Mahagathbandhan News महागठबंधन के पांचों घटक दलों में सीट बंटवारे के मुद्दे पर पर सहमति बनती नहीं दिख रही है। 2015 में दोनों तरफ के गठबंधनों ने इस समय तक बंटवारा कर लिया था।

By Rajesh ThakurEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 06:57 PM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 11:42 PM (IST)
Bihar Mahagathbandhan News: सीट बंटवारे पर महागठबंधन में जिच, राजद की टूट ने दिया साथी दलों को हौसला
Bihar Mahagathbandhan News: सीट बंटवारे पर महागठबंधन में जिच, राजद की टूट ने दिया साथी दलों को हौसला

पटना, अरविंद शर्मा। महागठबंधन के पांचों घटक दलों में सीट बंटवारे के मुद्दे पर पर सहमति बनती नहीं दिख रही है। 2015 में दोनों तरफ के गठबंधनों ने इस समय तक सीटों का बंटवारा कर लिया था। इस बार हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, रालोसपा और वीआइपी पहले से दबाव बनाए हुए हैं, लेकिन किसी की कोई सुन नहीं रहा। रहस्यमय तरीके से राजद ने भी चुप्पी लगा रखी है। अब कांग्रेस के दबाव बढ़ा देने से महागठबंधन खेमे में हलचल तेज हो गई है। माना जा रहा है कि महागठबंधन के घटक दलों के लिए अगले सात दिन निर्णायक साबित होंगे।

गोहिल के सक्रिय होते ही हलचल तेज

कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल के सक्रिय होते ही महागठबंधन में सीट बंटवारे के मुद्दे पर रोचक अध्याय की शुरुआत हो गई है। राजद में हालिया टूट के बाद से अन्य घटक दलों को हौसला मिला है और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को बहुत हद तक अपनी शर्तों पर समझौते के टेबल पर खींच लाने का भरोसा भी। यही कारण है कि लोकसभा चुनाव की शिकस्त के बाद से अबतक लंबित चले आ रहे महागठबंधन के तमाम मसलों पर रास्ता निकालने की रफ्तार तेज कर दी गई है। साथी दलों के नेता इसे सबसे अच्छा मुहूर्त मान रहे हैं। 

सबके अपने-अपने मुद्दे

सबके अपने-अपने मुद्दे हैं। कांग्रेस को राजद से बराबर की हिस्सेदारी चाहिए, जबकि राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को सम्मानजनक सीटें। ङ्क्षहदुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी तभी से समन्वय समिति की मांग करते आ रहे हैं, जब लोकसभा चुनाव में तीन सीटों के लिए भी उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) प्रमुख मुकेश सहनी को भी बिहार की राजनीति में पांव पसारने के लिए मौके की दरकार है, किंतु राजद के अडिय़ल रुख के कारण अभी तक किसी की मुराद पूरी होती नहीं दिख रही है। यहां तक कि तेजस्वी यादव से मुलाकात का मौका भी नहीं मिल पा रहा था। महागठबंधन के सभी तरह के मसलों पर बातचीत के लिए तेजस्वी ने अपनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को अधिकृत कर दिया है, जहां जाने में कुछ दलों के प्रमुख असहज महसूस कर रहे थे। ऐसे में सबको शक्ति सिंह से भरोसा था। 

लंबित मसलों पर समन्वय की पहल

लोकसभा चुनाव के पहले आखिरी वक्त तक राजद के टालमटोल की नीति से शक्ति सिंह गोहिल भी वाकिफ हैं, लिहाजा उनकी भी कोशिश है कि बीती बात की पुनरावृत्ति न हो। गोहिल को गुरुवार तक पटना में रुकना है। पिछले दो दिनों से वह कांग्रेस के नेताओं की मंशा जानने में जुटे हैं। माना जा रहा है कि इसके बाद साथी दलों के बेसब्र हो रहे नेताओं से मुलाकात करेंगे और महागठबंधन के तमाम मुद्दों पर समन्वय बनाने का प्रयास करेंगे। 

निर्णायक साबित होगा एक सप्ताह

महागठबंधन के घटक दलों के लिए अगले सात दिन निर्णायक साबित होने जा रहे हैं। लगातार कई अल्टीमेटम देकर जीतनराम मांझी ने अपने दरवाजे लगभग बंद कर लिए हैं। वह 10 जुलाई को अपनी पार्टी की कोर कमेटी की बैठक करने जा रहे हैं। आरपार का फैसला प्रतीक्षित है। मांझी के लिए बंद दरवाजे को खोलने का प्रयास जारी रखा जा सकता है। वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने संकेत भी दिया है कि मांझी को वह नहीं छोडऩे जा रहे। चुनाव की संभावित तारीखों के लिहाज से अब समय किसी के पास नहीं है। सीटों का बंटवारा भले बाद में हो, लेकिन सामंजस्य की जरूरत अभी ही है। 

chat bot
आपका साथी