बराबर की पहाड़‍ियों पर विराजमान हैं सिद्धेश्वर नाथ महादेव, पटना और गया दोनों जगह से पहुंचना आसान

Tourist Spot in Bihar धार्मिक ऐतिहासिक व प्राकृतिक रूप से समृद्ध है बराबर की पहाड़ियां अति प्राचीन गुफाएं भगवान शिव का मंदिर सरोवर और आसपास की हरियाली सहज ही करती है आकर्षित पटना गया और जहानाबाद से पहुंचना है आसान

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Sat, 14 Aug 2021 12:10 PM (IST) Updated:Sat, 14 Aug 2021 12:10 PM (IST)
बराबर की पहाड़‍ियों पर विराजमान हैं सिद्धेश्वर नाथ महादेव, पटना और गया दोनों जगह से पहुंचना आसान
बराबर की पहाड़ी तक जाने वाला रास्‍ता। जागरण

जहानाबाद, जागरण संवाददाता। बराबर की पहाड़‍ियां बिहार की महत्‍वपूर्ण विरासतों में से एक हैं। इन पहाड़‍ियों का कुछ हिस्‍सा जहानाबाद जिले के मखदुमपुर प्रखंड में तो कुछ हिस्‍से गया जिले में पड़ता है। बराबर शृंखला की सबसे ऊंची चोटी पर है सिद्धेश्वर नाथ महादेव मंदिर। हजारों साल पुराने इस शिव मंदिर में जल चढ़ाने के लिए सालों भर श्रद्धालु आते हैं, लेकिन सावन में तो यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यहां मगध के महान सम्राट अशोक के समय के शिलालेख आज भी उस साम्राज्य की गाथा अपने अंदर सहेजे हुए हैं। ब्राह्मी लिपि में लिखे यह अभिलेख हजारों साल के इतिहास का जीवंत प्रमाण हैं। यही कारण है कि इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए यह पसंदीदा जगह है। बराबर न केवल पहाड़ और जंगल के लिए प्रसिद्ध है बल्कि औषधीय पौधे और लौह अयस्क के भी यहां भंडार हैं।

गया प्रमंडल मुख्‍यालय से 30 किलोमीटर है दूरी

गया प्रमंडल मुख्यालय से 30 किमी उत्तर-पूरब और जहानाबाद जिला मुख्यालय से 25 किमी दक्षिण-पूरब में स्थित बराबर पर्वत शृंखला न केवल स्वच्छंद और प्रदूषण रहित नैसर्गिक सौंदर्य को समेटे है, बल्कि भारत की अमूल्य पौराणिक एवं ऐतिहासिक धरोहरों का संगम भी है। बराबर की पहाड़ी राक पेंटिंग का अद्भुत नमूना है। हाल के दिनों में बराबर के सौंदर्यीकरण को लेकर कई कार्य भी किए गए हैं।

सुरक्षा के लिहाज से अब यहां पुलिस थाने की भी स्थापना कर दी गई है। बौद्ध सर्किट से जोड़े जाने के साथ-साथ हर वर्ष यहां बाणावर महोत्सव का भी आयोजन होता है। 24 करोड़ की लागत से पहाड़ की चोटी तक सुगमता पूर्वक पहुंचने को लेकर रोपवे का निर्माण कार्य भी यहां प्रस्तावित है। इसके लिए सभी प्रक्रिया पूरी हो गई है, हालांकि चार किलोमीटर तक बनने वाले इस रोपवे के निर्माण कार्य में लगातार विलंब हो रहा है।

मगध का हिमालय है बराबर का पहाड़

100 फीट ऊंचे इस पहाड़ को मगध का हिमालय भी कहा जाता है। यह देश के बेहद पुराने पहाड़ों में से एक है। बराबर की पहाड़ियों पर कुल सात गुफाएं हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इनमें चार बराबर पहाड़ियों पर और तीन पास में ही नागार्जुन की पहाड़ियों पर हैं। पहाड़ों को सावधानी से काट कर हजारों साल पहले इंसान ने बेहद सुंदर गुफाओं को बनाया है। इनमें से कई गुफाओं की दीवारों को देखकर आप दंग रह जाएंगे। इसकी चिकनाई आज के समय में लगाई जाने वाली टाइल्स से कम नहीं हैं।

मौर्य काल की यह स्थापत्य कला पर्यटकों को आश्चर्य से भर देती है। इनका निर्माण सम्राट अशोक के आदेश पर आजीवक संप्रदाय के बौद्ध भिक्षुओं के रहने के लिए करवाया गया था। इसमें कर्ण चौपर, सुदामा और लोमस ऋषि गुफा अपनी स्थापत्य कला के लिए देश और दुनिया में प्रसिद्ध हैं। गुफाओं के प्रवेश द्वार पर ही अशोक के द्वारा खुदवाए गए अभिलेखों को पढ़ना रोमांचक अनुभव देता है।

बराबर के पहाड़ की चोटी पर अवस्थित बाबा सिद्धनाथ मंदिर। फोटो- जागरण

सातवीं सदी में बनाया गया था बाबा सिद्धनाथ का मंदिर

बराबर पहाड़ पर मौजूद बाबा सिद्धनाथ मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में गुप्ता काल के दौरान कराया गया था। हालांकि इसे लेकर दंतकथाओं में यह भी प्रचलित है कि राजगीर के महान राजा जरासंध द्वारा इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। यहां से गुप्त मार्ग राजगीर किले तक पहुंचा था। इस रास्ते से राजा पूजा-अर्चना करने के लिए मंदिर में आते थे। पहाड़ी के नीचे विशाल जलाशय पातालगंगा में स्नान कर मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती थी।

राजधानी पटना से कैसे पहुंचें बराबर

पटना से सड़क के जरिये यहां तीन से चार घंटे में पहुंच सकते हैं। पटना-गया राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 83 से होते हुए मखदुमपुर में जमुने नदी के पुल को पार करने पर पूरब की ओर सड़क जाती है, जो सीधे पर्यटक स्थल बराबर तक पहुंचती है। ट्रेन से आने वाले लोग बराबर हाल्ट पर उतर कर सवारी गाड़ी के माध्यम से भी यहां पहुंच सकते हैं। यहां पर्यटकों की सुविधा के लिए जिला प्रशासन की ओर से कई इंतजाम किए गए हैं, सुरक्षा के लिए पुलिस रहती है, वहीं खान-पान और ठहरने की सुविधा भी आसानी से मिल जाती है।

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