Bihar Assembly Elections 2020: पिता की विरासत को विस्तार देने की मुहिम में दो उत्तराधिकारी

Bihar Assembly Elections 2020ः बिहार की राजनीति के बड़े खिलाड़ियों लालू यादव और रामविलास पासवान के उत्तराधिकारी अपने पिता की विरासत को विस्तार देने की मुहिम में हैं।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 07:30 PM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 07:30 PM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020: पिता की विरासत को विस्तार देने की मुहिम में दो उत्तराधिकारी
Bihar Assembly Elections 2020: पिता की विरासत को विस्तार देने की मुहिम में दो उत्तराधिकारी

अरविंद शर्मा, पटना। बिहार की राजनीति के दो बड़े खिलाड़ियों के उत्तराधिकारी अपने पिता की विरासत को विस्तार देने की मुहिम में हैं। विधानसभा चुनाव दोनों के लिए निर्णायक साबित होने वाला है। कामयाब हुए तो खुला आसमान मिलेगा। चूक गए तो पिता की उम्मीदों को झटका लगना तय है। राजद के भविष्य तेजस्वी यादव के पिता लालू प्रसाद और लोजपा प्रमुख चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान को जेपी आंदोलन की उपज माना जाता है। दोनों एक साथ पनपे और फैले। उनके पुत्रों के भी पलने और फैलने का समय भी एक ही है। क्यारियां अलग-अलग हैं, किंतु मिïट्टी, मौसम और मुहूर्त में कोई फर्क नहीं है। 

राजनीति में आने और छाने के लिए न तो तेजस्वी को संघर्ष करना पड़ा और न ही चिराग को। पिता की पाठशाला से निकलकर सीधे कर्मशाला की ओर प्रस्थान कर गए। चिराग पहली बार 2014 में सांसद बने और तेजस्वी 2015 में विधायक और उप मुख्यमंत्री बने। दोनों लगभग हमउम्र हैं और अविवाहित भी। राजनीति से पहले दोनों ही ग्लैमर की दुनिया में थे। तेजस्वी को क्रिकेट प्यारा था तो चिराग फिल्मों में किस्मत आजमा रहे थे। अब दोनों की राजनीति कशमकश से गुजर रही है। वजूद आमने-सामने है। 

तेजस्वी राजद के 80 विधायकों को नेतृत्व कर रहे हैं तो चिराग छह सांसदों वाली पार्टी की बागडोर संभाल रहे। तेजस्वी के पैर लालू की जमीन पर हैं तो चिराग के लिए भी पासवान ने सारी कायनात को अनुकूल कर रखा है। आगे का सफर दोनों को खुद तय करना है। फिलहाल तेजस्वी का औरा कुछ ज्यादा दिख रहा है। लालू ने उन्हें महागठबंधन के अघोषित नेता के रूप में स्थापित कर दिया है। चिराग इस मोर्चे पर अभी संघर्ष करते नजर आ रहे हैं। हालांकि सधी हुई चाल का संकेत है कि चिराग भी नई पीढ़ी की राजनीति में अपने लिए जगह बनाने की राह पर हैं। पारिवारिक मोर्चे पर उन्हें समर्थन भी मिल रहा है, जबकि तेजस्वी को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। 

पुरानी लीक को किया ठीक

राजनीति का रास्ता भले ही पिता ने दिखाया, किंतु दोनों ने ही पिता की लीक को ठीक करने की जरूरत समझी है। लालू-राबड़ी के कार्यकाल की गलतियों के लिए तेजस्वी ने खुले मंच से माफी मांगकर उन्हें भी जोडऩे की कोशिश की है, जो राजद के राज में प्रताडि़त-प्रभावित थे। चिराग ने भी राजनीति में प्रवेश के पहले ही पासवान की सियासी बिसात को अपने हिसाब से सजाया। गोधरा कांड के बाद केंद्र की अटल बिहारी सरकार से इस्तीफा देकर बिहार में मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाने के पक्षधर पिता को खींचकर फिर से भाजपा के कुनबे में खड़ा किया। चिराग ने अपने पिता को राजनीति के 14 फीसद बनाम 86 फीसद के फार्मूले को समझाया और दिल परिवर्तन के लिए तैयार किया। 

सूरत पर भी मुग्ध हैं पिता

दोनों वारिसों की सियासी चमक और चाल पर भी पिताओं को गर्व है। रामविलास पासवान ने पटना में एक बार चिराग की तुलना तेजस्वी से करते हुए कहा था कि उनके पुत्र की सुंदरता व योग्यता का अमेरिका भी कायल है। यह तुलना इसलिए की गई थी कि तेजस्वी की मां राबड़ी देवी ने चिराग को पहले शादी करने की नसीहत दी थी। दरअसल, उप मुख्यमंत्री रहते हुए तेजस्वी ने जब सड़कों की मरम्मत से संबंधित प्रस्ताव के लिए ह्वाट्स-एप नंबर जारी किया था तो बड़ी संख्या में लड़कियों ने उन्हें शादी के लिए प्रपोज किया था। मीडिया में बात चली तो दोनों की सूरत की भी तुलना होने लगी। 

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