Patna News: एनएमसीएच में लावारिस मरीजों की देखभाल और इलाज करना बनी चुनौती

एनएमसीएच की इमरजेंसी में भर्ती तीन लावारिस मरीजों पर तरस खा रहे सभी अलग वार्ड व व्यवस्था न होने से मरीज को खतरा देखभाल को संगठन का इंतजार इंसान होने पर अफसोस अस्पताल में इधर-उधर रेंगते व गंदगी से सने दिखते हैं मरीज

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Fri, 05 Feb 2021 01:15 PM (IST) Updated:Fri, 05 Feb 2021 01:15 PM (IST)
Patna News: एनएमसीएच में लावारिस मरीजों की देखभाल और इलाज करना बनी चुनौती
एनएमसीएच में कई तरह की दिक्‍कतें। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना सिटी, जागरण संवाददाता। नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की इमरजेंसी में तीन जनवरी से आठ वर्षीया एक लावारिस बच्ची भर्ती है। जख्म से बजबजाते इसके पैर पर पट्टी बंधी है। इसकी सड़ चुकी पैर की अंगुलियों की सर्जरी जारी है। स्वास्थ्य कर्मी इसकी सेवा में लगे ही थे कि चार दिनों बाद करीब 22 वर्षीया एक और लावारिस युवती को पुलिस इमरजेंसी में पहुंचा कर चली गयी। यह दोनों मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं। गुरुवार को एक लावारिस व्यक्ति को कोई इमरजेंसी में छोड़ गया। यह तीनों अपना नाम व पता बता पाने में असमर्थ हैं।

बिहार में लावारिस मरीजों की देखभाल बड़ी चुनौती

अस्पताल में लावारिस वार्ड न होने के कारण इमरजेंसी में आने वाले ऐसे लावारिस मरीजों की देखभाल एवं इलाज चुनौती बनी है। इन्हें दवा-सूई देने से लेकर खाना खिलाने, कपड़ा पहनाने, सफाई व इनकी सुरक्षा का ध्यान रखने की समस्या गंभीर होती जा रही है। अस्पताल परिसर में गंदगी से सने और रेंगते अक्सर ऐसे मरीज दिख जाते हैं। तब इनके इंसान होने पर एक इंसान को अफसोस होता है।

एनजीओ ने भी खड़े किए हाथ

स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि अपनी दैनिक ड्यूटी के साथ ऐसे विक्षिप्त मरीजों का विशेष ध्यान रख पाना संभव नहीं है। अस्पताल में हर दिन एक-दो की संख्या में आने वाले ऐसे मरीजों की समुचित देखभाल की अलग व्यवस्था होनी चाहिए। पूर्व में इमरजेंसी स्थित एक कमरे में एक स्वयं सेवी संगठन द्वारा बेहतर व्यवस्था की गयी थी। एक साल में ही संगठन ने हाथ खड़े कर दिए।

कर्मचारी महसूस करते हैं असुरक्षा

कर्मियों का कहना है कि लावारिस व विक्षिप्त मरीज अपने व दूसरे मरीज के लिए कब और क्या खतरा उत्पन्न कर दे, हर समय डर बना रहता है। अस्पताल प्रशासन को इस बारे में गंभीर होना होगा। ऐसे मरीजों की सेवा के लिए एनजीओ को आगे आने या लाने की जरूरत है। कई डॉक्टर, परिचारिका व कर्मी ऐसे हैं जो इन मरीजों पर तरस खाकर निजी स्तर से सहायता व सेवा कर देते हैं। ऐसे मरीज के स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज किए जाने पर कहां जाएं? यह समस्या भी बनी रहती है।

एनएमसीएच के अधीक्षक डॉ. विनोद कुमार सिंह ने कहा कि लावारिस मरीज का हर संभव इलाज एनएमसीएच में होता है। खाना दिया जाता है। स्वास्थ्य कर्मी इनकी देखभाल करते हैं। अलग से लावारिस वार्ड संचालित नहीं होता है। कोई एनजीओ चाहे तो ऐसे मरीजों की सेवा के लिए आगे आ सकती है।

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