कोरोना से तो बचे पर तनाव और तंगी ले रही जान, डालें शहर की चार बड़ी घटनाओं पर नजर
लॉकडाउन के साइड इफेक्ट हताशा और तनाव के बाद आत्महत्या की शक्ल में सामने आए। शहर में हुई कुछ घटनाएं तो यही बता रही हैं। जानें
पटना, जेएनएन। कोरोना संक्रमण काल में लगाए गए लॉकडाउन के साइड इफेक्ट हताशा और तनाव के बाद आत्महत्या की शक्ल में सामने आए। हताशा और अनिश्चित भविष्य को लेकर कई लोगों का आत्मविश्वास घटा तो कई असुरक्षा की भावना के शिकार हुए। इस कारण परेशान लोगों ने गलत कदम उठा लिया। अप्रैल और मई महीने में आधा दर्जन से अधिक ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें किसी ने जॉब जाने तो किसी ने लॉकडाउन में फंसने की वजह से गले में फांसी का फंदा लगा लिया।
लॉकडाउन में छूटी नौकरी, लगा लिया फंदा
रूपसपुर निवासी धनंजय दिल्ली की मोबाइल कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर थे। कुछ माह पूर्व जॉब छोड़कर पटना लौट आए और यहां एक निजी कंपनी में मैनेजर पद पर कार्य करने लगे। लॉकडाउन की वजह से यह नौकरी भी छूट गई। इससे वह परेशान रहने लगे। 20 अप्रैल को अपने फ्लैट में ही फंदा लगा सुसाइड कर लिया।
बेचैन हो मेडिकल की छात्रा ने दी जान
18 मई को कंकड़बाग के चांदमारी रोड नंबर आठ में किराए के मकान में रहकर मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने वाली छात्रा ने फांसी लगाकर खुदकशी कर ली। लॉकडाउन की वजह से वह काफी तनाव में रहती थी। छात्रा ने आखिरी बार मां को फोन कर कहां था कि लॉकडाउन के कारण अकेले यहां मन नहीं लग रहा है।
ससुराल नहीं जा पाया तो युवक ने की खुदकशी
14 अप्रैल को धनरुआ के नीमा गांव के एक घर से युवक का शव मिला। पुलिस की मानें तो प्रथमदृष्टया मामला सुसाइड का था। वह कुछ दिनों से मानसिक रूप से परेशान था। ग्रामीणों ने बताया कि संजीव कुमार कई दिनों से अपनी ससुराल जाने के लिए परेशान था। लेकिन, लॉकडाउन के चलते नहीं जा पा रहा था। इससे तनाव में आकर उसने आत्महत्या कर ली।
आमदनी व परीक्षा में असफलता ने ली जान
अगमकुआं थाना क्षेत्र की छोटी पहाड़ी इलाके में मंगलवार को महिला इंजीनियर ने फंदे से लटक खुदकशी कर ली। वह प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थी। पति किसी काम से बाहर गए थे। घर में सिर्फ उनके दोनों बच्चे थे। महिला इंजीनियर प्रतियोगी परीक्षा में सफलता नहीं मिलने और आमदनी की वजह से परेशान थी।
असुरक्षा की भावना से हो रहा ऐसा
मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. सरिता शिवांगी कहती हैं कि असुरक्षा की भावना और आत्मविश्वास में कमी के कारण इस तरह के मामले आ रहे हैं। लोगों को सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। मन में कभी निराशा का भाव न रखें। यह समय धैर्य बनाए रखने और अपनों के साथ बिताने का अनमोल खजाना है। इसलिए सहनशीलता बनाए रखें। अगर परिवार का कोई भी सदस्य मायूस दिखे तो उसके साथ समय बिताएं। उसकी बात सुनें और मोटिवेट करें। डॉ. सरिता शिवांगी, मनोरोग विशेषज्ञ