जुलाई में सर्वे, 62 जगह मिले लार्वा, अक्टूबर में लार्वासाइड का छिड़काव

हर वर्ष सितंबर-अक्टूबर में डेंगू-चिकनगुनिया का खतरा बढ़ जाता है। स्वास्थ्य विभाग ने जुलाई में गत दो वर्षों में सबसे ज्यादा प्रभावित 26 मोहल्लों से 200 से अधिक लार्वा के नमूने लेकर जांच भी करवाई थी। इनमें से 62 नमूनों में डेंगू वाहक एडीज मच्छर के लार्वा की पुष्टि हुई थी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 07 Oct 2021 02:13 AM (IST) Updated:Thu, 07 Oct 2021 02:13 AM (IST)
जुलाई में सर्वे, 62 जगह मिले लार्वा, 
अक्टूबर में लार्वासाइड का छिड़काव
जुलाई में सर्वे, 62 जगह मिले लार्वा, अक्टूबर में लार्वासाइड का छिड़काव

पटना । हर वर्ष सितंबर-अक्टूबर में डेंगू-चिकनगुनिया का खतरा बढ़ जाता है। स्वास्थ्य विभाग ने जुलाई में गत दो वर्षों में सबसे ज्यादा प्रभावित 26 मोहल्लों से 200 से अधिक लार्वा के नमूने लेकर जांच भी करवाई थी। इनमें से 62 नमूनों में डेंगू वाहक एडीज मच्छर के लार्वा की पुष्टि हुई थी। बावजूद इन इलाकों में न तो जलजमाव वाली जगहों पर लार्वासाइड्स का छिड़काव कराया गया और न ही वयस्क मच्छरों को मारने के लिए फागिग कराई गई। सरकारी अस्पतालों में एलाइजा विधि से जांच में डेंगू के 57 और चिकनगुनिया के पांच मामले मिलने के बाद लार्वासाइड्स छिड़काव के लिए अधिकारी माइक्रो प्लान बना रहे हैं।

सिविल सर्जन डा. विभा कुमारी सिंह के अनुसार उन्होंने लार्वासाइड्स के छिड़काव के लिए मलेरिया विभाग और फागिग के लिए नगर निगम से कहा है। इसकी निगरानी भी कराई जा रही है।

वहीं, जिला मलेरिया पदाधिकारी डा. विनोद कुमार चौधरी के अनुसार, तीन अक्टूबर को मिले पत्र के आलोक में जलजमाव वाली जगहों को चिह्नित कर छिड़काव कराया जा रहा है।

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खुद करनी होगी वयस्क

मच्छरों की रोकथाम

डेंगू-चिकनगुनिया के मच्छर बड़ी संख्या में लोगों के घरों में घुस चुके हैं। बुखार पीड़ित 15 फीसद लोगों में डेंगू की पुष्टि हो रही है। हालांकि, इनमें से अधिकतर लोग निजी लैब व निजी क्लीनिक में इलाज करा स्वस्थ हो रहे हैं इसलिए उनके इलाके में फागिग नहीं कराई जा रही है। डा. विनोद कुमार के अनुसार एलाइजा विधि से डेंगू की पुष्टि होने पर संक्रमित के घर के चारों ओर 500 मीटर के दायरे में ही फागिग कराने के निर्देश हैं। मच्छरजनित रोगों से बचाव के लिए एहतियातन फागिग कराना नगर निगम के सामान्य कार्यों में आता है।

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सात दिन में बन जाता

लार्वा से प्यूपा

डेंगू, चिकनगुनिया, फाइलेरिया, येलो फीवर, जीका जैसे घातक रोगों के वाहक एडीज मच्छर का पूरा जीवन करीब 21 दिन का होता है। मादा एडीज मच्छर पानी से भरे डिब्बों की भीतरी गीली दीवारों पर अंडे देती हैं। 24 घंटे में अंडा विकसित होकर लार्वा बन जाता है और चार से पांच दिन में सूक्ष्मजीवों व कार्बनिक पदार्थों को खाकर ये प्यूपा में बदल जाता है। दो दिनों में प्यूपा व्यस्क मच्छरों में बदल जाता है।

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घर में यहां हो सकते

डेंगू मच्छर के लार्वा

विशेषज्ञों के अनुसार एडीज मच्छर मुख्यत: टायर, प्लास्टिक के ड्रम, टब-बाल्टी या कैन में जमा पानी में प्रजनन करना पसंद करता है। घर में गमले के नीचे या उस पर जमा पानी, पुराने मिट्टी के बर्तन, एसी की ट्रे, फ्रिज की ट्रे, साफ बर्तन रखने की रैक, कूलर के पानी, बाथरूम की नाली बंद होने पर जमा पानी, ड्रेनेज पानी में लीकेज, बिना ढंकी बाल्टी जिसमें एक दिन से अधिक समय से पानी रखा हो, पानी भरे फूलदान और कमरों में रखे पौधों में ये लार्वा दे सकते हैं।

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डेंगू-चिकनगुनिया से

कैसे रहें सुरक्षित

- एडीज मच्छर दिन में खासकर सुबह और शाम को ज्यादा काटता है। ऐसे में इस समय मोजे व फुल आस्तीन के कपड़े पहन कर काफी हद तक इससे बचा जा सकता है।

- घर या आसपास डेंगू मच्छर नहीं पनप सकें इसलिए पानी संग्रह वाली चीजों जैसे जार, बोतलें, कंटेनर, टायर, टब आदि को सूखा रखें। यदि पानी देरतक पानी जमाकर रखना हो तो उसे महीन जाली से ढंकर कर रखें और एक-दो दिन बदलते रहें।

-घर के आसपास खुली जगह में पानी जमा हो तो वहां केरोसिन तेल, कीटनाशक की गोलियां या ब्लीचिग पाउडर का छिड़काव करें।

- कूलर और गमलों में कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं।

- सोते वक्त मच्छरदानी का प्रयोग करें, खिड़की-दरवाजों में जाली लगवाएं।

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जेई वाहक क्यूलेक्स

मच्छर ने बढ़ाई चिता

पटना : डेंगू वाहक एडीज के बाद अब जापानी इंसेफेलाइटिस वाहक क्यूलेक्स मच्छर का भी खतरा मंडराने लगा है। मलेरिया विभाग के अनुसार बख्तियारपुर और पंडारक में एक-एक मरीज जेई का मिल चुका है। दोनों रोगी स्वस्थ हो चुके हैं। हालांकि, यदि वयस्क मच्छरों की रोकथाम नहीं की गई तो जेई के मामले भी बढ़ सकते हैं। बताते चलें कि जेई में तेज सिरदर्द, बुखार, अकड़न, मतिभ्रम, कंपकपी और लकवा जैसे लक्षण होते हैं।

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