कम उम्र में गर्भाशय व ओवरी की सर्जरी से हड्डियां हो रहीं खोखली

हड्डियों का खोखलापन यानी ऑस्टियोपोरोसिस साइलेंट किलर है। इस बीमारी में जल्दी कोई लक्षण नहीं दिखता। बीमारी का शिकार बन चुके आदमी को इसका पता तब चलता है जब उसे मामूली चोट में हड्डी में फ्रैक्चर जैसी मुसीबत का सामना करना पड़ता है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 09:45 AM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 09:45 AM (IST)
कम उम्र में गर्भाशय व ओवरी की सर्जरी से हड्डियां हो रहीं खोखली
कम उम्र में गर्भाशय व ओवरी की सर्जरी से हड्डियां हो रहीं खोखली

पटना। हड्डियों का खोखलापन यानी ऑस्टियोपोरोसिस साइलेंट किलर है। इस बीमारी में बिना किसी लक्षण के हड्डियां कमजोर होती जाती हैं। इसका पता फ्रैक्चर होने के बाद ही चलता है। हर साल करीब 1.5 मिलियन फ्रैक्चर के केस देखे जाते हैं, जिसमें पांच लाख हिप फ्रैक्चर होते हैं। साथ ही हर तीन में से एक महिला ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रसित होती है। वर्ष 2050 तक होनेवाले 2 हिप फ्रैक्चर में से एक मरीज एशिया में होने की आशका है। कम उम्र में गर्भाशय के ऑपरेशन के साथ कैंसर की आशका में ओवरी निकाल देना भी महिलाओं में आस्टियोपोरोसिस का प्रमुख कारण बन गया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह बीमारी किस हद तक हमारी बड़ी आबादी की जीवनशैली को प्रभावित कर रही है। उक्त बातें मेडिवर्सल हॉस्पिटल के ऑर्थोस्कोपी सर्जरी एंड स्पो‌र्ट्स मेडिसिन के एचओडी डॉ. गुरुदेव कुमार ने कहीं। उन्होंने कहा कि आरामतलब जीवनशैली, सनलाइट से एक्सपोजर की कमी, बुढ़ापा, स्मोकिंग और मेनोपॉज इसके प्रमुख कारण हैं।

उन्होंने जोर देकर कहा कि स्टेरॉयड के अधिक इस्तेमाल से युवाओं को भी आस्टियोपोरोसिस का खतरा है। जिम जानेवाले लोग कई प्रकार के प्रोटीन सप्लीमेंट का सेवन करते हैं, जिसमें मौजूद स्टेरॉयड उनके ज्वाइंटस को डैमेज कर इस रोग से ग्रसित कर देता है। ऐसे लोगों को डायटरी सप्लीमेंट या डॉक्टर की सलाह से ऐसे प्रोटीन लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार में आस्टियोपोरोसिस का प्रमुख कारण हिस्टेरेक्टॉमी और उफोरेक्टमी है, जिसमें कम उम्र की विवाहित महिलाओं में गर्भाशय और ओवरी हटाना है। इसके लिए उन्होंने मरीजों के साथ साथ डॉक्टर को भी जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि जबतक बहुत आवश्यक नहीं हो, ऐसी सर्जरी से परहेज करें।

प्रारंभिक चरण में ही डीईएक्सए स्कैन से इसे डायग्नोज किया जा सकता है। अब कई ड्रग्स जैसे डेनोसुमाव, टेरीपैराटाइड, बिसफॉस्फोनेटस आदि कारगर हैं। डॉ. गुरुदेव ने कहा कि हडिडयों के स्वास्थ्य के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार हमारी अपनी जीवनशैली है। आजकल की तेज भागदौड़ की जिंदगी में लोगों को अपनी सेहत पर ध्यान देने की फुर्सत नहीं है। मुश्किल से वे एक्सरसाइज के लिए वक्त निकाल पाते हैं। अधिकतर लोग डेस्क वर्क में लगे रहते हैं, जिससे मसल मास घटने लगता है, परिणामस्वरुप खराब बोन डेंसिटी देखने को मिलती है। उन्होंने हेल्दी बोन के पांच उपाय बताये हैं, जिसमें एक्सपर्ट से नियमित तौर पर बोन चेक अप, हेल्दी फूड के साथ एक्सरसाइज, अल्कोहल और स्मोकिंग से परहेज, विटामिन डी सप्लीमेंट तथा स्टेरॉयड युक्त प्रोटीन सप्लीमेंट से दूरी शामिल है। - ऑस्टियोपोरोसिस है साइलेंट किलर, बिना जानकारी के कमजोर हो जातीं हड्डियां

- 15 लाख फ्रैक्चर हर साल होते हैं देश में

- 5 लाख फ्रैक्चर होते कूल्हे के

- 3 में से एक महिला देश में ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रसित

- 2 हिप फ्रैक्चर में से एक एशिया में होगा वर्ष 2050 तक

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