पटना कलेक्ट्रेट भवन को ढहाने पर फिलहाल रोक
पटना। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ढाई सौ साल पुराने पटना कलेक्ट्रेट परिसर को ढहाने से जुड़
पटना। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ढाई सौ साल पुराने पटना कलेक्ट्रेट परिसर को ढहाने से जुड़े मामले पर यथास्थिति बहाल रखने को कहा है। इस इमारत के कई हिस्से ब्रिटिश काल में डच निर्माण शैली में बनाए गए थे। इस प्राचीन इमारत को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब दो दिन पहले नए कलेक्ट्रेट भवन निर्माण की आधारशिला रखी गई।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी.रामासुब्रह्मण्यम ने इस संबंध में दायर एक याचिका पर बिहार सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा है। पटना हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए यह याचिका इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (आइएनटीएसीएच) ने दायर की थी। कोर्ट ने कहा कि जवाब देने के लिए दी गई दो हफ्ते की अवधि तक यथास्थिति बहाल रहेगी। यानी इमारत को नहीं गिराया जाएगा। बुधवार को पटना कलेक्ट्रेट की नई इमारत बनाने के लिए आधारशिला रखी गई थी। इस परियोजना की लागत 622.22 करोड़ रुपये है।
सर्वोच्च अदालत को बताया गया है कि डच शैली में ब्रिटिश काल में बनी यह इमारत ऐतिहासिक महत्व की है। कोर्ट को बताया गया कि डच राजदूत ने भी 2016 में कहा था कि भारत और नीदरलैंड की इस साझा धरोहर को सहेजने की आवश्यकता है। विगत एक सितंबर को पटना हाईकोर्ट ने इमारत को ढहाने पर लगे स्टे आर्डर को हटा दिया था।
नए कलेक्ट्रेट भवन के निर्माण पर कई बार ग्रहण लग चुका है। 2010 में नए भवन के निर्माण की पहल प्रारंभ हुई थी। पुराना भवन 250 वर्ष का हो चुका है। ब्रिटिश काल में पटना अफीम का व्यापारी केंद्र था। यहां फैक्ट्री थी। इस कारण अफीम का गोदाम बनाया गया था। 2017 में इसे तोड़कर नया भवन बनाने पर सहमति बनी। लेकिन, मामला न्यायालय में चला गया। पटना उच्च न्यायालय ने भवन तोड़ने पर रोक हटा दी जिसके बाद मामला शीर्ष अदालत में चला गया।
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