सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस अरविंद बोबडे ने कहा- कोविड-19 में वर्चुअल सुनवाई से बढ़ी है असमानता

सीजेआइ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने आज पटना हाइकोर्ट के शताब्‍दी भवन का उद्घाटन किया । उन्‍होंने कोर्ट की सुनवाई में नए टेक्‍नोलॉजी की चर्चा की । मौके पर मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद भी मौजूद थे।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 07:15 PM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 07:15 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस अरविंद बोबडे ने कहा- कोविड-19 में वर्चुअल सुनवाई से बढ़ी है असमानता
शताब्‍दी भवन का उद्घाटन करते हुए सीजेआइ अरविंद बोबडे, सीएम नीतीश कुमार,केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद

पटना, राज्य ब्यूरो । पटना हाइकोर्ट के नए भवन का उद्घाटन करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने कोरोना काल का नाम लिए बिना कहा कि वर्चुअल सुनवाई और नई टेक्नोलॉजी से निसंदेह वकीलों के बीच विषमताएं बढ़ी हैं। सभी वकीलों के पास अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी नहीं है। इसलिए यह जरूरी हो गया है कि टेक्नोलॉजी की ऐसी व्यवस्था हो जिससे सबको एक समान लाभ प्राप्त हो सके। कार्यपालिका एवं न्यायपालिका को मिलकर इस मसले को हल करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुनवाई का यह फायदा हुआ कि कोई वकील किसी भी जगह से बहस कर सकता है।

ये रहे मौजूद

मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने अदालतों की संख्या बढ़ाए जाने की आलोचना किए बिना कहा कि नई टेक्नोलॉजी में रिकॉर्ड एवं अदालतों की भी जरूरत नहीं होगी। रिकॉर्ड अथवा अन्य कागजात को रखने की जरूरत नहीं है। इसके पूर्व मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने पटना हाइकोर्ट के शताब्‍दी भवन का उदघाटन किया, जहां उनके साथ सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नवीन सिन्हा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी, केंद्रीय विधि एवं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश हेमंत गुप्ता आदि मौजूद थे।

अतिथियों में रविशंकर प्रसाद को नहीं दिया मोमेंटो

आमंत्रित अतिथियों को पटना हाइकोर्ट का मोमेंटो प्रदान किया गया। इसमें मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, न्यायाधीश नवीन सिन्हा, न्यायाधीश हेमंत गुप्ता, न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी एवं पटना हाइकोर्ट के न्यायाधीश संजय करोल को मोमेंटो प्रदान किया गया। जबकि मुख्य अतिथियों में केवल रविशंकर प्रसाद ही एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हेंं मोमेंटो नहीं दिया गया। इसे देख कर वकीलों ने हैरानी जाहिर की।

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