पटनाः कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमितों के लिए मुसीबत बना सुपर इंफेक्शन, जानें क्या है ये

कोरोना की दूसरी लहर में नए वायरस के कई रूप सामने आ रहे हैं। अस्पतालों में भर्ती संक्रमितों में कोरोना वायरस के साथ बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन भी शिकंजा कस चुके हैं। डॉक्टर इसे सुपर इंफेक्शन (वायरस के साथ बैक्टीरियल फंगल या अन्य पैथोजन से हुआ संक्रमण) नाम देते हैं।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 11:20 AM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 11:20 AM (IST)
पटनाः कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमितों के लिए मुसीबत बना सुपर इंफेक्शन, जानें क्या है ये
कोरोना की दूसरी लहर में नए वायरस के रूप सामने आए हैं। प्रतीकात्मक तस्वीर।

जागरण संवाददाता, पटना: कोरोना की दूसरी लहर में इस नए वायरस के कई रूप सामने आ रहे हैं। अस्पतालों में भर्ती संक्रमितों में कोरोना वायरस के साथ बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन भी शिकंजा कस चुके हैं। डॉक्टर इसे सुपर इंफेक्शन (वायरस के साथ बैक्टीरियल, फंगल या अन्य पैथोजन से हुआ संक्रमण) नाम देते हैं। सुपर इंफेक्शन के कारण रोगी न केवल शाक में चला जाता है बल्कि कई अंग भी काम करना बंद कर देते हैं। इससे रोगी की जान खतरे में पड़ जाती है।

एम्स व आइजीआइएमएस में भर्ती रोगियों में करीब 30 फीसद रोगी ऐसे हैं, जो कोरोना वायरस के साथ या उसके बाद सुपर इंफेक्शन से पीडि़त हैं। ऐसे रोगियों में दवाओं का असर देर से होता है। एम्स पटना के नोडल पदाधिकारी डा. संजीव कुमार ने बताया कि पहली लहर में जो रोगी आ रहे थे, वे सामान्यत: सिर्फ कोराना वायरस से पीडि़त होते थे। दूसरी लहर में 30 फीसद रोगी ऐसे थे, जो कोरोना वायरस के साथ बैक्टीरियल व फंगल इंफेक्शन से भी पीडि़त थे। आइसीयू में भर्ती गंभीर रोगियों में तो इनकी संख्या काफी अधिक थी। ऐसे में यदि समय पर बैक्टीरियल व फंगल इंफेक्शन की जांच कर उपचार नहीं किया जाता है तो रोगी की जान को खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि एक वायरस का इंफेक्शन होने पर दूसरा वायरस सामान्यत: संक्रमित नहीं करता है। 

क्या है सुपर इन्फेक्शन

जब व्यक्ति किसी इन्फेक्शन से पीडि़त हो और कोई बाहरी पैथोजेन, बैक्टीरिया या फंगस के कारण दूसरा रोग हो जाये जो पहले के उपचार को दी जा रही दवाओं का असर खत्म या कम करे तो उसे सुपर इंफेक्शन कहा जाता है। पहले संक्रमण से कमजोर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी उसका प्रतिरोध करने की स्थिति में नहीं होती है। ऐसे में स्वस्थ व्यक्ति को सामान्य स्थिति में जो बैक्टीरियल व फंगल इन्फेक्शन आसानी से ठीक हो जाते हैं, पहले से संक्रमित लोगों के लिए वे जानलेवा हो सकते हैं।

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